MP Tourism: खूनी दरवाजा है चंदेरी किले का खून से लथपथ दरवाजा
बेतवा नदी के किनारे स्थित 11वी सदी का चंदेरी का किला भारत के समृद्ध ऐतिहासिक और पौराणिक चित्रों का प्रमाण है.
Chanderi Fort,MP Tourism: मध्य प्रदेश के चंदेरी का किला(Chanderi Fort, Madhya Pradesh) अशोक नगर जिले (मुंगावली) में स्थित है, इस किले का निर्माण प्रतिहार राजा कीर्ति पाल ने बेतवा नदी के किनारे 11वी सदी में करवाया था इस किले में तीन प्रवेश द्वार है. किले के मुख्य द्वार को खूनी दरवाजा भी कहा जाता है. चंदेरी का किला में कई पर्यटन के कई स्थान भी है जो प्राचीन समय की कहानियां आज भी सुनाते है.
चंदेरी का किला का इतिहास
चंदेरी किले का निर्माण 11वीं शताब्दी में तोमर वंश द्वारा किया गया था. तोमर, एक राजपूत वंश जो अपनी स्थापत्य कला और वीरता के लिए जाना जाता है, ने राजा कीर्ति सिंह के शासन के तहत किले का निर्माण करवाया था. किले को एक रणनीतिक सैन्य चौकी और शाही निवास के रूप में डिजाइन किया गया था. प्राचीन समय में चंदेरी का किला ने इस क्षेत्र से गुजरने वाले व्यापार मार्गों की रक्षा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, साथ ही कपड़ा और अन्य वस्तुओं के आकर्षक व्यापार पर सुरक्षा और नियंत्रण दोनों प्रदान किया.
किले की वास्तुकला तोमर राजवंश की भव्यता को दर्शाती है, जिसमें इसकी प्रभावशाली युद्ध-प्राचीरें, प्रहरीदुर्ग और जटिल नक्काशी है. स्थानीय बलुआ पत्थर से बनी विशाल दीवारें अभी भी मजबूती से खड़ी हैं, जहां से चंदेरी का कोई भी कोना अछूता नही है.
चंदेरी किले से जुड़ी सबसे आकर्षक मिथकों में से एक है किले के भूतिया होना ऐसा कहा जाता हैं कि यहां पर बेरहमी से मरे हुए सैनिकों की आत्माएं भटकती है. चंदेरी का किला से जुड़ी कई कहानियां प्रचलित हैं, विशेष रूप से युद्ध के दौरान मारे गए सैनिकों की आत्माओं की. लोगों के बीच फैली ये किंवदंतियां किले में रहस्य का माहौल जोड़ती हैं.
खूनी दरवाजा: चंदेरी किले का खून से लथपथ दरवाजा
चंदेरी किले की कई दिलचस्प विशेषताओं में से, खूनी दरवाजा अपने काले इतिहास और खौफनाक रहस्यों के लिए जाना जाता है. यह दरवाज़ा अपने साथ जुड़े खून-खराबे की कहानियों के लिए कुख्यात है. स्थानीय किंवदंतियों के अनुसार, इस दरवाजे ने यहां लड़ी गई कई लड़ाइयों और जान गंवाने के कारण अपना नाम कमाया. किले के इतिहास के दौरान, ऐसा कहा जाता है कि यह दरवाजा सारेआम फांसी और युद्ध संघर्षों का स्थल था, जिसके कारण यह माना जाता है कि यह उन लोगों की आत्माओं से भरा हुआ है जो यह बेरहमी से मारे गए थे.
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चंदेरी किले तक कैसे पहुंचें
चंदेरी किले तक पहुंचने के लिए निकटतम प्रमुख शहर भोपाल है, जहां से आप सड़क मार्ग से चंदेरी की यात्रा कर सकते हैं. भोपाल और चंदेरी के बीच की दूरी लगभग 200 किलोमीटर है, और कार या बस से जाने में लगभग 4 से 5 घंटे लगते हैं. भोपाल और चंदेरी के बीच नियमित बस सेवाएं चलती हैं,
आप चंदेरी तक ट्रेन से निकटतम स्टेशन अशोक नगर तक पहुंच सकते हैं, अशोक नगर से, चंदेरी तक की शेष दूरी को कवर करने के लिए टैक्सियों और स्थानीय परिवहन का उपयोग किया जा सकता है.
महत्वपूर्ण तथ्य
- तोमर वंश के राजा कीर्ति सिंह द्वारा 11वीं शताब्दी में एक किले का निर्माण करवाया गया था.
- किले के मुख्य द्वार को खूनी दरवाजा भी कहा जाता हैं.
- यह भारत के मध्य प्रदेश राज्य के चंदेरी जिले में स्थित है.
- किले में राजपूत और इस्लामी स्थापत्य शैली का मिश्रण देखने को मिलता है, जो इसके प्रभावों की विविधता को दर्शाता है.
- इसमें मुख्य किलेबंदी, कई द्वार (जैसे कोशक महल द्वार) और भव्य प्रवेश द्वार शामिल हैं.
- किला लगभग 10 एकड़ के क्षेत्र में फैला हुआ है, जिसकी दीवारें परिधि के चारों ओर फैली हुई हैं.
- किला यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल उम्मीदवार है, जिसे इसके ऐतिहासिक और स्थापत्य महत्व के लिए मान्यता प्राप्त है.
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