Jagannath Rath Yatra 2024: रथ यात्रा, जिसे रथ महोत्सव के रूप में भी जाना जाता है, भारत में सबसे अधिक हर्षोल्लास के साथ मनाये जाने वाले भव्य धार्मिक त्योहारों में से एक है. ओडिशा के पवित्र शहर पुरी में प्रतिवर्ष आयोजित होने वाला यह त्योहार भगवान जगन्नाथ, उनके भाई-बहनों, देवी सुभद्रा और भगवान बलभद्र को समर्पित है. यह त्योहार भक्ति, संस्कृति और परंपरा का एक पर्व है, जो दुनिया भर से लाखों भक्तों को आकर्षित करता है.
रथ यात्रा में तीन राजसी रथों की यात्रा शामिल होती है, जिनमें से तीनों देवताओं के रथ अलग अलग होते है. इन रथों को भक्त सड़कों पर खींचते हैं, जो जगन्नाथ मंदिर से लगभग 3 किलोमीटर दूर उनकी मौसी के घर गुंडिचा मंदिर तक ले जाते है.
भगवान जगन्नाथ, देवी सुभद्रा और भाई बलभद्र तीनों के रथों की अलग-अलग विशेषता है आइए जानते है-
1. नंदीघोष – भगवान जगन्नाथ का रथ
- नंदीघोष रथ की ऊंचाई लगभग 44.2 इंच होती है और इसे 34×34 फीट के प्लेटफॉर्म पर बनाया गया है. इस रथ की विशेषता यह है कि तीनों रथो में यह सबसे ऊंचा होता है और इस भव्य रथ की पहचान लाल और पीले रंग से की जा सकती है.
- रथ का निर्माण नीम और हांसी की लकड़ियों का उपयोग करके किया जाता है.इन लकड़ियों को उनके स्थायित्व और पवित्र महत्व के लिए चुना जाता है.
- नंदीघोष को खींचने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली रस्सियों का नाम “शंखचूड़ा” है.
- भगवान जगन्नाथ के रथ में 16 पहिए होते हैं, जिनमें से प्रत्येक का व्यास लगभग 7 फीट होता है. यह देवी-देवताओं के विभिन्न प्रतीकों और छवियों से सुशोभित होता है, जिस पर दारुका नामक एक सारथी को भी दर्शाया जाता है.
- रथ यात्रा में भगवान जगन्नाथ का रथ तीनों रथों में सबसे पीछे चलता है.
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2. दर्पदलन – देवी सुभद्रा का रथ
- देवी सुभद्रा का रथ दर्पदलन की ऊंचाई लगभग 42 इंच होती है और इसका आधार 31.5×31.5 फीट होता है.
- रथ को काले और नीले रंग से सजाया जाता है,जो देवी सुभद्रा के शक्तिशाली और सुरक्षात्मक पहलुओं को दर्शाता है.
- नंदीघोष की तरह, दर्पदलन भी उसी प्रकार की पवित्र लकड़ियों से बनाया जाता है: नीम और हांसी मुख्यत:
- दर्पदलन की रस्सियों को “स्वर्णचूड़ा” कहा जाता है.
- 7 फीट व्यास के 12 पहियों के साथ, रथ को अलंकृत किया जाता है. देवी सुभद्रा के रथ के सारथी की आकृति में अर्जुन बने होते है.
3. तालध्वज – भगवान बलभद्र का रथ
- तालध्वज रथ की ऊंचाई लगभग 43 इंच होती है जो कि 33×33 फीट के आधार पर स्थापित होता है.
- रथ को मुख्य रूप से हरे और लाल रंग से सजाया जाता है, जो भगवान बलभद्र की वीरता और शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है.
- इस रथ के निर्माण में उन्हीं पवित्र लकड़ियों नीम और हांसी का उपयोग किया गया है.
- जिस रस्सी से रथ को खींचा जाता है उसे “वासुकी” कहते है.
- तालध्वज में 14 पहिए होते हैं, जिनमें से प्रत्येक का व्यास 7 फीट होता है. यह नागों और अन्य शक्तिशाली प्रतीकों की आकृति से सुशोभित है. इस रथ पर चित्रित सारथी मातली है.
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