Janmashtami 2024: जन्माष्टमी पर करें द्वारकाधीश के दर्शन, इस दिन सजती है द्वारका नगरी

Janmashtami 2024: हिंदू धर्म के पवित्र चार धामों में से एक है, गुजरात का श्री द्वारकाधीश मंदिर. जन्माष्टमी पर मंदिर में विशेष पूजा की जाती है. पूरे द्वारका शहर को सजाया जाता है. आइए आपको बताते हैं जन्माष्टमी पर कैसा होता है द्वारकाधीश मंदिर का नजारा.

By Rupali Das | August 20, 2024 2:48 PM

Janmashtami 2024: हिंदू धर्म के पवित्र चार धामों बद्रीनाथ, रामेश्वरम और पुरी में से एक है गुजरात के द्वारका में स्थित द्वारकाधीश मंदिर. प्रभु श्री कृष्ण को समर्पित द्वारकाधीश मंदिर हिंदुओं का पवित्र तीर्थ स्थल है. पौराणिक कथाओं के अनुसार द्वारकाधीश मंदिर का निर्माण करीब 5000 वर्ष पहले भगवान श्री कृष्ण के वंशज वज्रनाभ ने करवाया था. इस मंदिर का निर्माण उसी स्थान पर करवाया गया है, जहां प्राचीन काल में भगवान श्री कृष्ण का महल हुआ करता था.

विश्व प्रसिद्ध द्वारकाधीश मंदिर में पूरे साल देश-विदेश से श्रद्धालु श्रीकृष्ण के दर्शन करने आते हैं. जन्माष्टमी के अवसर पर द्वारकाधीश मंदिर का नजारा बेहद मनोरम दिखाई देता है. इस मौके पर पूरे द्वारका को सजाया जाता है. जन्माष्टमी के अवसर पर भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव मनाने संपूर्ण विश्व से भक्तजन गुजरात के द्वारका पहुंचते हैं. अगर आप भी इस जन्माष्टमी श्रीकृष्ण की भक्ति में सराबोर होना चाहते हैं, तो जरुर आएं गुजरात के द्वारकाधीश मंदिर.

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भव्य होता है जन्माष्टमी का आयोजन

गुजरात के द्वारका में स्थित श्री द्वारकाधीश मंदिर में जन्माष्टमी का पर्व बेहद धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन पूरी द्वारका को फूल और लाइट से सजाया जाता है. जन्माष्टमी का उत्सव भगवान श्रीकृष्ण का जन्म दिवस है, जो द्वारका का सबसे प्रमुख त्यौहार है. भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव में शामिल होने संपूर्ण विश्व से कृष्ण के भक्त द्वारका पहुंचते हैं. इस मंदिर को जगत मंदिर के नाम से भी जाना जाता है.

भगवान कृष्ण की नगरी द्वारका देश के सात सबसे पुराने धार्मिक स्थलों में से एक है. प्राचीन काल में इसी जगह भगवान श्री कृष्ण शासन करते थे. यही कारण है श्री द्वारकाधीश मंदिर में जन्माष्टमी का उत्सव बेहद भव्य तरीके से मनाया जाता है. चालुक्य शैली वास्तुकला में बने द्वारकाधीश मंदिर में प्रभु श्रीकृष्ण की काले संगमरमर से बनी मूर्ति स्थापित है. पांच मंजिला ऊंचे इस मंदिर में एक संग्रहालय भी मौजूद है, जहां पौराणिक कथाओं को समर्थन देती प्राचीन मूर्तियां संरक्षित कर रखी गई है. जन्माष्टमी के दिन आधी रात के समय श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाता है.

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इस दिन होती है विशेष पूजा

जन्माष्टमी के दिन श्री द्वारकाधीश मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव का शुभारंभ सुबह मंगल आरती के साथ होती है. इस दौरान अबोती ब्राह्मण अनुष्ठान करते हैं. जन्माष्टमी के पूरे दिन श्री द्वारकाधीश मंदिर में मीराबाई और सूरदास जैसे कृष्ण भक्तों द्वारा लिखित भजन-कीर्तन गाए जाते हैं.

इस दौरान मंदिर में श्री कृष्ण के बचपन को याद किया जाता है. एक छोटे बालक को कृष्ण के रूप में सजाकर कृष्ण लीला की जाती है. जन्माष्टमी के मौके पर दही हंडी का भी आयोजन किया जाता है. आधी रात को श्रीकृष्ण का जन्म होता है, जिसे भक्त धूमधाम से मनाते हैं. जन्माष्टमी के दिन पूरे द्वारका का नजारा भक्तिमय होता है.

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