Jharkhand Tourism: नौवीं सदी में बने प्राचीन मंदिर में भद्र रूप में विराजित है मां काली

Jharkhand Tourism: चतरा में स्थित एक अतिप्राचीन मंदिर है, जहां मां काली भद्र रूप में विराजित हैं. इस मंदिर का इतिहास पाल वंश से जुड़ा हुआ है. यहां मां काली कमल के पुष्प पर विराजमान हैं. तो चलिए आज आपको बताते हैं भद्रकाली मंदिर से जुड़ी कुछ रोचक बातें.

By Rupali Das | August 11, 2024 11:19 AM
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Jharkhand Tourism: झारखंड राज्य अपने समृद्ध इतिहास, प्राचीन मंदिरों, खनिज संपदा और प्राकृतिक संसाधनों के लिए प्रसिद्ध है. यह भारत के प्रमुख पर्यटन और धार्मिक केंद्रों में से एक है, जहां पूरे साल बड़ी संख्या में सैलानी घूमने आते हैं. झारखंड में कई ऐसे मंदिर मौजूद हैं, जिनका जुड़ाव पौराणिक काल से रहा है. इन प्राचीन मंदिरों के प्रति श्रद्धालुओं में अपार विश्वास है. हर साल दुर्गा पूजा के अवसर पर बड़ी संख्या में लोग झारखंड के देवड़ी मंदिर और मां छिन्नमस्तिका मंदिर पहुंचते हैं. ये मंदिर देवी मां को समर्पित हिंदुओं का पवित्र धाम है.

झारखंड में मौजूद देवी को समर्पित इन्हीं प्राचीन मंदिरों में से एक है इटखोरी का भद्रकाली मंदिर, जिसे सनातन, बौद्ध और जैन धर्म का प्रमुख तीर्थ स्थल माना जाता है. अगर आप भी झारखंड के प्राचीन मंदिरों को घूमने की योजना बना रहे हैं, तो जरुर विजिट करें भद्रकाली मंदिर.

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Jharkhand Tourism: तीन धर्मों का संगम स्थल है मां भद्रकाली मंदिर

झारखंड के इटखोरी प्रखंड में मौजूद भद्रकाली मंदिर का निर्माण 9वीं सदी में हुआ था. इस मंदिर का इतिहास पालवंश से जुड़ा हुआ है. पहाड़ों और जंगलों के बीच महाने नदी के तट पर स्थित मां भद्रकाली मंदिर तीन धर्मों का अनूठा संगम स्थल है. यह जगह हिंदू धर्म की आराध्य देवी मां काली, बौद्ध धर्म की पूजनीय मां तारा और भदलपुर में जैन धर्म के दसवें तीर्थंकर स्वामी शीतलनाथ जी का जन्म स्थान होने के कारण प्रसिद्ध है. इस मंदिर को भदुली माता के मंदिर नाम से भी जाना जाता है.

9वीं सदी में बने भद्रकाली मंदिर का परिसर शानदार है. मंदिर परिसर में मौजूद सहस्र शिवलिंग पर उत्कीर्ण 1008 शिवलिंग इस मंदिर की शोभा बढ़ाते हैं. एक ही पत्थर को तराशकर बनाए गए इस सहस्र शिवलिंग पर जल चढ़ाने से सभी 1008 शिवलिंगों का जलाभिषेक एक साथ होता है. इस अनूठे शिवलिंग के सामने नंदी की विशालकाय प्रतिमा स्थापित है. सैंड स्टोन पत्थर को तराश कर बनाए गए इस प्राचीन मंदिर के भग्नावशेष गौरवशाली इतिहास का प्रमाण है. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा खुदाई के दौरान मिले पुरावशेषों को मंदिर के संग्रहालय में संरक्षित कर रखा गया है. इस मंदिर में स्थापित मां भद्रकाली की प्रतिमा का निर्माण बहुमूल्य काले पत्थरों को तराशकर किया गया है. यह प्रतिमा लगभग 5 फीट की है, जिसमें माता चतुर्भुज रूप में नजर आती है. मां भद्रकाली के चरणों में ब्राह्मी लिपि में लिखा हुआ है कि मंदिर का निर्माण 9वीं सदी में राजा महेंद्र पाल द्वितीय द्वारा करवाया गया था. इटखोरी का मां भद्रकाली मंदिर हिंदू धर्म का पवित्र स्थल है.

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मंदिर परिसर में मौजूद बौद्ध धर्म का पवित्र मनौती स्तूप भी आकर्षण का केंद्र है. इस अद्भुत बौद्ध स्तूप में भगवान बुद्ध की 1004 छोटी और चार बड़ी छवियां उत्कीर्ण है. पुरातत्व विभाग द्वारा इस स्तूप को 9वीं सदी का बताया जा रहा है. यहां महा पारायण मुद्रा में भगवान बुद्ध की एक प्रतिमा भी मौजूद है. यही कारण है यह स्थान बौद्ध धर्म के लोगों का भी पवित्र स्थल है.

मंदिर के म्यूजियम में जैन धर्म के दसवें तीर्थंकर स्वामी शीतलनाथ के पैरों के चिन्ह मौजूद है, जो खुदाई के दौरान मिला था. यहां खुदाई के दौरान एक तांबे का पात्र भी मिला था. इस पात्र में ब्राह्मी लिपि में बताया गया था कि यह स्थान स्वामी शीतलनाथ का जन्मस्थान है.

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Jharkhand Tourism: कहां है मां भद्रकाली का ऐतिहासिक मंदिर

झारखंड के चतरा जिले से करीब 35 किलोमीटर की दूरी पर इटखोरी में स्थित है मां भद्रकाली मंदिर. इस प्राचीन मंदिर तक आने के लिए आप रेल मार्ग, सड़क मार्ग और हवाई मार्ग का उपयोग कर सकते हैं.

रेल मार्ग – इटखोरी में स्थित प्राचीन काली मंदिर का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन कोडरमा स्टेशन है, जिसकी दूरी मंदिर परिसर से केवल 56 किलोमीटर है. इसके अलावा टोरी (चंदवा) स्टेशन भी मंदिर के नजदीक मौजूद है.

सड़क मार्ग – राजधानी रांची से करीब 150 किलोमीटर, चतरा जिला मुख्यालय से 35 किलोमीटर और हजारीबाग प्रमंडलीय मुख्यालय से लगभग 50 किलोमीटर दूर स्थित है मां काली का अति प्राचीन मंदिर. यहां निजी गाड़ी या कैब की सहायता से आप आ सकते हैं.

वायु मार्ग – मां भद्रकाली मंदिर परिसर का निकटतम एयरपोर्ट बोधगया हवाई अड्डा लगभग 90 किमी और रांची का बिरसा मुंडा हवाई अड्डा है.

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