Jharkhand Tourism: जानना चाहते हैं छऊ नृत्य का मुखौटा बनाने की कला, तो आइए सरायकेला खरसावां

Jharkhand Tourism: झारखंड का सरायकेला खरसावां जिला छऊ नृत्य के मुखौटा निर्माण के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध है. यहां कई कुशल कारीगर छऊ नृत्य के लिए पारंपरिक मुखौटों का निर्माण करते हैं. तो चलिए आज आपको बताते हैं सरायकेला खरसावां के बारे में.

By Rupali Das | August 14, 2024 2:55 PM

Jharkhand Tourism: प्राकृतिक संसाधन, खनिज संपदा, ऐतिहासिक जगहों और धार्मिक स्थलों जैसे अनेकों दर्शनीय स्थल के लिए प्रसिद्ध झारखंड राज्य. अपनी कला, परंपरा और संस्कृति के लिए भी मशहूर है. झारखंड का सरायकेला खरसावां क्षेत्र पारंपरिक छऊ नृत्य में इस्तेमाल होने वाले मुखौटा बनाने के लिए विश्व प्रसिद्ध है. सरायकेला के कलाकारों कि इस उत्कृष्ट कला शैली ने इस जगह को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई है. यही कारण है झारखंड का सरायकेला कला प्रेमियों के बीच काफी लोकप्रिय है. बड़ी संख्या में देश-विदेश से पर्यटक इस पारंपरिक कला को देखने आते हैं. अगर आपको भी कला और पारंपरिक नृत्य में रुचि है तो आपके लिए खास जगह है सरायकेला खरसावां.

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कला प्रेमियों के लिए खास है यह जगह

Chhau dance performance

सरायकेला खरसावां झारखंड की संस्कृति और परंपरा को दर्शाता कला प्रेमियों के लिए प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है. अपने मुखौटे बनाने की पारंपरिक और उत्कृष्ट कला के लिए सरायकेला को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त है. छऊ नृत्य एक विश्व प्रसिद्ध नृत्य शैली है, जिसमें नृतक चेहरे पर मुखौटा लगाकर नृत्य प्रस्तुत करता है. इस दौरान नृतक अपने नृत्य के माध्यम से कहानी बयां करने की कोशिश करता है. छऊ नृत्य का मुखौटा बनाना एक कठिन और मेहनत का काम है.

सरायकेला में करीब 100 वर्ष से महापात्र परिवार अन्य कलाकारों के साथ मिलकर मुखौटा निर्माण का काम कर रहे हैं. छऊ नृत्य शैली की प्रसिद्ध चार शैलियों में से मानभूम और सरायकेला शैली में मुखौटा का इस्तेमाल होता है. मुखौटा बनाते वक्त कलाकार नृत्य के चरित्र को ध्यान में रखकर रंग डाला जाता है. इसके अलावा मुखौटा बनाने के दौरान कलाकार नृत्य की पारंपरिक और शास्त्रीय शैली को भी ध्यान में रखते हैं. एक मुखौटा तैयार करने में कलाकार को 8 से 10 दिन तक का समय लग जाता है. मुखौटा में रंग डालने के पश्चात कलाकार उसे चरित्र के अनुसार मुकुट और गहने से सजाते हैं. यही कारण है छऊ नृत्य का मुखौटा बनाना धैर्य और संयम का काम है. हर साल बड़ी संख्या में देश-विदेश से सैलानी इस मुखौटे की निर्माण कला देखने सरायकेला पहुंचते हैं.

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कैसे आएं सरायकेला खरसावां

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपने मुखौटे के लिए ख्याति प्राप्त सरायकेला खरसावां झारखंड राज्य का हिस्सा है. यहां आने के लिए आप सड़क, रेल और वायु मार्ग का उपयोग कर सकते हैं.

सड़क मार्ग – आप जमशेदपुर, रांची, चाईबासा और कोलकाता से सड़क मार्ग के जरिए सरायकेला सकते हैं. सरायकेला की दूरी जमशेदपुर से महज 42 किलोमीटर, चाईबासा से करीब 23 किलोमीटर, रांची से लगभग 134 किलोमीटर और कोलकाता से लगभग 309 किलोमीटर है.

रेल मार्ग – सरायकेला का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन आदित्यपुर स्टेशन है. इसके अलावा आप टाटानगर जंक्शन और रांची स्टेशन से भी सरायकेला आ सकते हैं.

वायु मार्ग – सरायकेला का निकटतम हवाई अड्डा राजधानी रांची का बिरसा मुंडा एयरपोर्ट है, जहां से इसकी दूरी केवल 135 किलोमीटर है.

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