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Jharkhand Tourism: जंगल के बीच मौजूद इस प्राचीन मंदिर में साक्षात निवास करते हैं भगवान शिव

Jharkhand Tourism: झारखंड के प्रसिद्ध टांगीनाथ धाम में मौजूद हैं अनेकों शिवलिंग. यह श्रद्धालुओं के आस्था का केंद्र है. यहां सावन महीने में खास श्रावणी मेले का आयोजन किया जाता है.

Jharkhand Tourism: झारखंड के गुमला जिले में स्थित है टांगीनाथ धाम. यह पवित्र धाम अपने समृद्ध इतिहास और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है. यहां भगवान शिव और फरसे की पूजा होती है. गुमला जिला मुख्यालय से करीब 50 किलोमीटर दूर मौजूद यह प्राचीन शिवालय टांगीनाथ पहाड़ पर स्थित है. लगभग 300 फीट ऊंचे पहाड़ पर मौजूद टांगीनाथ में भगवान परशुराम के फरसे की पूजा की जाती है. वैसे तो पूरे साल टांगीनाथ धाम में श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है. मगर सावन के मौके पर बड़ी संख्या में भक्त भगवान भोलेनाथ के दर्शन-पूजन करने टांगीनाथ धाम पहुंचते हैं. टांगीनाथ पहाड़ पर अनेकों शिवलिंग के साथ कई देवी देवताओं की मूर्तियां भी मौजूद हैं. श्रावण मास में टांगीनाथ धाम में विशेष पूजा अर्चना की जाती है. इस दौरान टांगीनाथ पहाड़ पर श्रावणी मेले का भी आयोजन किया जाता है जिसे देखने दूर-दूर से लोग आते हैं.

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Sawan 2024: यहां होता है श्रावणी मेले का आयोजन

हर साल सावन महीने में टांगीनाथ पहाड़ पर श्रावणी मेले का आयोजन किया जाता है. इस दौरान प्रशासन मंदिर में उमड़ने वाली भक्तों की भीड़ और मेले की तैयारियों का जायजा लेती है. इस साल 22 जुलाई से शुरू हुए सावन माह के साथ श्रावणी मेले का भी आगाज हो गया. सावन के पहले सोमवार पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने टांगीनाथ धाम में भगवान शिव के दर्शन किए. इस दौरान विधि व्यवस्था सुदृढ़ रही. घने जंगल के बीच स्थित टांगीनाथ धाम में हजारों शिव भक्त बाबा के दर्शन करने आते हैं. सावन के दौरान इस जगह का महत्व बढ़ जाता है दूर-दूर से लोग भगवान शिव की आराधना करने टांगीनाथ धाम आते हैं.

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Sawan 2024: इसका भगवान परशुराम से है खास नाता

Farsa Of Lord Parshuram
Farsa of lord parshuram

टांगीनाथ धाम को लेकर कई पौराणिक मान्यताएं सुनने को मिलती है. इसमें सबसे प्रचलित मान्यता के अनुसार प्राचीन युग में भगवान परशुराम ने टांगीनाथ पहाड़ पर भगवान शिव की आराधना की थी. जिस जगह परशुराम तपस्या कर रहे थे, वहीं बगल में उन्होंने अपना परशु यानी फरसा गाढ़ दिया था. फरसा को टांगी भी कहा जाता है. यही कारण है इस जगह का नाम टांगीनाथ धाम पड़ा. टांगीनाथ पहाड़ पर गड़ा भगवान परशुराम का फरसा काफी रहस्यमय है. इस फरसे की आकृति त्रिशूल से मिलती है, इस कारण भक्त पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ इस फरसे की पूजा करते हैं. सालों से खुले आसमान के नीचे गड़े इस फरसे पर कभी जंग नहीं लगती है. टांगीनाथ धाम भगवान शिव को समर्पित प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है.

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