Kashi Vishwanath: भगवान शिव के त्रिशूल पर टिकी है बाबा विश्वनाथ की नगरी वाराणसी

भारत की अत्यंत प्राचीन नगरी काशी वाराणसी में साल भर शिव भक्तों का आना-जाना लगा रहता है. काशी मोक्षदायनी है. बाबा विश्वनाथ के दर्शन मात्र से अभिभूत हो उठते है.

By Pratishtha Pawar | July 14, 2024 5:48 PM

Kashi Vishwanath, Varanasi: उत्तर प्रदेश के पवित्र शहर वाराणसी में स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर(Kashi Vishwanath Temple) भारत के सबसे प्रतिष्ठित और प्राचीन मंदिरों में से एक है. भगवान शिव को समर्पित बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक यह मंदिर पवित्र गंगा नदी के पश्चिमी तट पर स्थित है. यह एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थल और आध्यात्मिक ऊर्जा का प्रतीक है, जहां भक्त आशीर्वाद और मोक्ष की कामना करने आते हैं और अभिभूत हो उठते है.

वाराणसी को बनारस या काशी(Banaras or kashi) भी कहा जाता है.यहां गंगा तट पर विराजे है काशी के भगवान विश्वनाथ. काशी की कल्पना विश्वनाथ के बिना नही की जा सकती है.समय के प्रारंभ से ही इसका इतिहास मे महत्वपूर्ण इतिहास रहा है. यहां स्थित काल भैरव मंदिर को इस क्षेत्र का द्वारपाल काहा जाता है.

काशी विश्वनाथ मंदिर- इतिहास और महत्व

Kashi vishwanath temple, varanasi, uttar pradesh (image source- social media)

विश्व की सबसे प्राचीन नगरी काशी जो भगवान शिव की नगरी है. इस मंदिर का इतिहास पौराणिक है, जिसका उल्लेख पुराणों, शास्त्रों में मिलता है.

माना जाता है कि मंदिर की मूल संरचना का निर्माण 11वीं शताब्दी में राजा हरि चंद्र ने करवाया था. पूरे इतिहास में, मंदिर को कई आक्रमणों का सामना करना पड़ा. इसे विभिन्न शासकों द्वारा कई बार ध्वस्त और पुनर्निर्मित किया गया.

वर्तमान संरचना का निर्माण मराठा रानी अहिल्याबाई होल्कर ने 1780 में करवाया था. मंदिर के स्वर्ण शिखर और गुंबद को बाद में महाराजा रणजीत सिंह ने 1839 में बनवाया था.

काशी विश्वनाथ मंदिर(Kashi Vishwanath Temple) बारह ज्योतिर्लिंगों (12 Jyotirlingas) में से एक है, जो इसे शिव भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल बनाता है. मंदिर परिसर में अन्य देवताओं को समर्पित कई छोटे मंदिर शामिल हैं. मुख्य देवता, विश्वनाथ या विश्वेश्वर, “ब्रह्मांड के भगवान” हैं. तीर्थयात्रियों का मानना ​​है कि इस मंदिर की यात्रा बाबा विश्वनाथ के दर्शन  और गंगा में डुबकी लगाने से व्यक्ति के पाप धुल जाते हैं और वह जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति मिलती है.

काशी विश्वनाथ मंदिर- रोचक तथ्य

Kashi vishwanath temple, varanasi, uttar pradesh (image source- social media)
  • काशी विश्वनाथ बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है, जहां भगवान शिव विश्वनाथ रूप में पूजा जाता है.
  • वरुना और अशी नदियों के कारण नगर का नाम वाराणसी पड़ा.यहां पर ये नदियां गंगा में मिलती है.
  • मंदिर की वास्तुकला जटिल डिजाइन और शिल्प कौशल का एक अद्भुत मिश्रण है. 800 किलो सोने से सजी स्वर्ण शिखर और मंदिर की अलंकृत नक्काशी इसके ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व का प्रमाण है.
  • मंदिर की गंगा और वाराणसी के प्रसिद्ध घाटों, जैसे दशाश्वमेध और मणिकर्णिका से निकटता, इसकी आध्यात्मिक आभा को बढ़ाती है. ये घाट अनुष्ठान, प्रार्थना और प्रसिद्ध गंगा आरती के लिए विश्वप्रसिद्ध हैं.
  • हाल ही में, काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के विकास के साथ मंदिर में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन हुआ. इस परियोजना ने मंदिर की पहुंच और सुविधाओं को बढ़ाया है, जिससे भक्तों को एक सहज अनुभव मिलता है.
  • वाराणसी, जिसे अक्सर “City of Lights” कहा जाता है, दुनिया भर से विद्वानों, संतों और साधकों को आकर्षित करता है.
  • कबीर का जन्म भी काशी में हुआ था. अस्सी घाट पर गोस्वामी तुलसीदास जैसे भक्त कवि ने अपनी कालजयी रचना रामचरितमानस की रचना की.

काशी विश्वनाथ मंदिर- समय और आरती

Kashi vishwanath temple, varanasi, uttar pradesh (image source- social media)

काशी विश्वनाथ मंदिर सुबह जल्दी खुलता है और देर शाम तक खुला रहता है. दैनिक अनुष्ठान और आरती

विश्वनाथ मंदिर की आरतियां विशेष आकर्षण का केंद्र होती है. लोक मान्यताओं के अनुसार सप्तऋषि आरती जो कि संध्या काल में होती है इस आरती में स्वयं सप्त ऋषि हर शाम शामिल होते है.

आरती समय
मंगला आरती3:00 AM – 4:00 AM
भोग आरती11:15 AM – 12:20 PM
सप्त ऋषि आरती7:00 PM – 8:15 PM
श्रृंगार आरती9:00 PM – 10:15 PM
शयन आरती10:30 PM – 11:00 PM
काशी विश्वनाथ मंदिर आरती सारणी

प्रत्येक आरती  का अपना अनूठा आकर्षण और महत्व होता है, जो बड़ी संख्या में भक्तों को आकर्षित करता है जो दिव्य अनुष्ठानों को देखने और उनमें भाग लेने के लिए आते हैं. आरती व दर्शन से संबंधित जानकारी के लिए आप काशी विश्वनाथ की ऑफिसियल वेबसित www.shrikashivishwanath.org को विजिट कर सकते है.

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कैसे पहुंचें

वाराणसी हवाई, रेल और सड़क मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है, जिससे तीर्थयात्रियों और पर्यटकों के लिए यहां  आना आसान है. वाराणसी का निकटतम हवाई अड्डा लाल बहादुर शास्त्री अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है, जो मंदिर से लगभग 26 किमी दूर स्थित है. नियमित उड़ानें वाराणसी को दिल्ली, मुंबई और कोलकाता जैसे प्रमुख शहरों से जोड़ती हैं.

वाराणसी जंक्शन (BSB) और मंडुआडीह रेलवे स्टेशन (MUV) प्राथमिक रेलवे स्टेशन हैं, जहां देश भर से ट्रेनें आती हैं. वाराणसी राष्ट्रीय राजमार्गों और राज्य सड़कों के नेटवर्क से जुड़ा हुआ है. इलाहाबाद, लखनऊ और पटना जैसे आस-पास के शहरों से नियमित बसें और टैक्सियां उपलब्ध हैं.

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