MP Tourism:कंदारिया महादेव मंदिर है खजूराहों का सबसे प्रसिद्ध शैव मंदिर
मध्यप्रदेश के खजूराहों के मंदिर अपनी मध्ययुगीन भारत की शिल्पकला और वस्तुकलां के सर्वोत्कृष्ट नमूने है जिसके कारण 1986 में खजूराहों के मंदिरों को विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया गया है.
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MP Tourism :मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित खजुराहो (Khajuraho) में कंदारिया महादेव मंदिर(Kandariya Mahadeva Temple), प्राचीन भारतीय मंदिर वास्तुकला की भव्यता और जटिलता का एक विशाल प्रमाण है. 1025 और 1050 ई. के बीच निर्मित, भगवान शिव को समर्पित यह मंदिर भारत में मंदिर निर्माण के स्वर्णिम युग को दर्शाता है. 1986 से यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल (UNESCO World Heritage Site)के रूप में मान्यता प्राप्त, यह मंदिर अपनी वास्तुकला की चमक और ऐतिहासिक महत्व के कारण दुनिया भर से पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है.
चंदेल राजा विद्याधर ने कराया था निर्माण
खजूराहों का सबसे प्रसिद्ध मंदिर कंदारिया महादेव मंदिर है. इस विशाल मंदिर का निर्माण महान चंदेल राजा विद्याधर ने महमूद गजनवी पर अपनी विजय के उपलक्ष्य में किया था.स्थानीय पौराणिक कथाओं के अनुसार, कंदारिया महादेव मंदिर सहित खजुराहो के मंदिरों का निर्माण चंद्र देव के पुत्र द्वारा किया गया माना जाता है. एक युवती की नदी में स्नान करने की सुंदरता से मंत्रमुग्ध होकर, वह इन आश्चर्यजनक मंदिरों को बनाने के लिए प्रेरित हुआ.
कंदारिया महादेव मंदिर: 6500 वर्ग फीट में फैला हुआ है 116 फीट ऊंचा शिव मंदिर
कंदरिया महादेव मंदिर खजुराहो के मंदिरों में से एक विशालकाय मंदिर है, जो जमीन से 117 फीट ऊपर है और 6,500 वर्ग फीट के क्षेत्र में फैला हुआ है. “आधिष्ठान” नामक एक ऊंचे मंच पर स्थित है. मंदिर का प्रवेश द्वार कन्दरा यानि गुफा के मुख के समान प्रतीत होता है अतः इसे कन्दरिया महादेव मंदिर कहा जाता है.
मंदिर विभिन्न मूर्तियों से सुसज्जित है जिनमें कुछ मूर्तिया संगीतज्ञ, नृत्यांगनाओं, अप्सरा और कुछ कामुख मूर्तिया शामिल है. इस मंदिर को अंदर की तरफ 226 आकृतियों और बाहर की तरफ 646 आकृतियों से खूबसूरती से एक ही पत्थरों पर उकेरा गया है.
मंदिर की संरचना सीधे पहाड़ी की तरह बनी है, जो सुमेरु पर्वत (कैलाश पर्वत) को दर्शाती है, मंदिर के अंदर, परस्पर जुड़े हुए कक्षों का एक क्रम सामने आता है. यह मंदिर 5 भागों वाली वास्तुकलां शैली में डिजाइन किया गया है जिसमें मुखमंडप, अर्धमंडप, महामंडप, अंतरालिका, गर्भगृह शामिल है, इन सभी मंडपों के अपने-अपने शृंग है जो गर्भगृह की तरफ बढ़ते हुए मुख्य शिखर पर आकार समाप्त होते है.
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कंदारिया महादेव मंदिर:गर्भगृह में स्थित है संगमरमर से निर्मित शिवलिंग
मंदिर के गर्भगृह में एक दिव्य संगमरमर का शिवलिंग है. गर्भगृह के ऊपर, मुख्य मीनार और शिखर भव्य रूप से उभरे हुए हैं, जो भगवान शिव के पौराणिक निवास, कैलाश पर्वत का प्रतीक हैं.बाहरी संरचना, कैलाश पर्वत जैसी दिखने वाली एक विशाल चबूतरे पर बनी है, जो 84 छोटे शिखरों से घिरी हुई है.
मंदिर निर्माण में बलुआ पत्थर का उपयोग किया है, आश्चर्य की बात तो यह है कि इन पत्थरों को आपस में जोड़ने के लिए किसी प्रकार का चुना अथवा गारा का प्रयोग नई किया है.विशाल मेगालिथ का उपयोग करके निर्मित, जिनमें से कुछ का वजन लगभग 20 टन है, मंदिर प्राचीन इंजीनियरिंग और कलात्मक कौशल का एक चमत्कार है.
भारत के खजुराहो में कंदरिया महादेव मंदिर केवल एक स्मारक नहीं है, बल्कि प्राचीन भारत की कलात्मक और आध्यात्मिक खोज का एक जीवंत अवतार है. इसकी शानदार वास्तुकला, जटिल मूर्तियां और आध्यात्मिक महत्व दुनिया भर के आगंतुकों को आकर्षित करते रहते हैं. इसके आकर्षक इतिहास में उतरना और इसकी कलात्मक भव्यता पर अचंभित होना एक समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को दर्शाता है जो समय की कसौटी पर खरी उतरी है.
आगंतुकों के लिए ,उनके लिए यह मंदिर सूर्योदय से सूर्यास्त तक खुला रहता है. फरवरी में की गई यात्रा सुखद मौसम और खजुराहो नृत्य महोत्सव का अनुभव करने का अवसर प्रदान करती है, जो फरवरी के अंतिम सप्ताह से मार्च तक प्रतिवर्ष मनाया जाता है. साथ ही सावन में यहां शिव भक्तों का आना जाना लगा रहता है.
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