MP Tourism: कभी सहस्त्रबाहु तो कभी अहिल्याबाई की कर्मभूमि रहा है महेश्वर, पौराणिक कथाओ में मिलता है माहिष्मति का वर्णन

मध्यप्रदेश के खरगोन जिले में नर्मदा के तट पर स्थित महेश्वर अपने सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दोनों कारणों से महत्वपूर्ण है,महेश्वर शहर में कई आकर्षण हैं जो इसे इतिहास प्रेमियों और आध्यात्मिक साधकों को अपनी ओर खींच लाते है

By Pratishtha Pawar | July 3, 2024 9:29 PM

MP Tourism:मध्य प्रदेश में नर्मदा नदी के शांत तट पर बसा महेश्वर किला इस क्षेत्र के समृद्ध इतिहास और संस्कृति का एक कालातीत प्रमाण है. अपनी अनूठी वास्तुकला और ऐतिहासिक किस्सों  के साथ यह राजसी किला भारत की सबसे सम्मानित महिला शासकों में से एक रानी अहिल्याबाई होल्कर के जीवन और विरासत की एक अनूठी झलक पेश करता है.

खरगोन जिले में नर्मदा नदी के तट पर बसा माहेश्वर एक सुंदर शहर है जो इंदौर से 90 किलोमीटर दूर स्थित है. रामायण काल में महेश्वर को माहिष्मतिके नाम से जाना जाता था.पौराणिक कथाओ के अनुसार यह नगर हैहयवंशी राजा सहस्त्र-अर्जुन (सहस्त्रबाहु) की राजधानी थी, जिसने रावण को हराया था.

Ahilya devi maheshwar fort,madhya pradesh (image source-social media)

महेश्वर कालांतर में होल्कर साम्राज्य की राजधानी रहा है. देवी होल्कर के शासनकाल के समय बनाया गया यहां के घाट बेहद ही सुंदर है जिनका प्रतिबिंब मध्यप्रदेश की जीवनरेखा कहलाने वाली नदी मां नर्मदा में साफ नजर आता है. यहां पर अत्यंत कलात्मक मंदिर भी स्थित है. आज हम जानेंगे देवी अहिल्याबाई होल्कर के किले से जुड़ी कुछ प्रमुख बातें-

पौराणिक महत्व

Ahilya devi maheshwar fort,madhya pradesh (image source-social media)

महेश्वर में सहस्रबाहु और रावण की पौराणिक कथा का वर्णन है जिसमे सहस्रबाहु, जिन्हें भगवान दत्तात्रेय द्वारा आशीर्वाद के रूप में हजार भुजाओं वाले राजा होने का गौरव प्राप्त था और शक्तिशाली राक्षस राजा रावण के बीच भयंकर मुठभेड़ की कहानी मिलती है. नर्मदा नदी के किनारे रावण का ध्यान तब भंग हुआ जब सहस्रबाहु ने नदी का प्रवाह रोक दिया, जिससे दोनों के बीच जोरदार संघर्ष हुआ और सहस्रबाहु की दिव्य शक्ति ने रावण को परास्त कर दिया. यह कहानी जो महेश्वर के ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्व को समृद्ध बनाती है.

होल्कर साम्राज्य की विरासत

18वीं शताब्दी में मालवा साम्राज्य की रानी देवी अहिल्याबाई होल्कर को उनकी प्रशासनिक कुशलता, वास्तुकला संरक्षण और अपने लोगों के प्रति गहरी भक्ति के लिए जाना जाता है. अपने पति की दुखद मृत्यु के बाद सत्ता में आने पर उन्होंने महेश्वर को एक जीवंत सांस्कृतिक और आध्यात्मिक केंद्र के रूप में बदल दिया. उनके शासनकाल में कई बुनियाद इमारतों का निर्माण कार्य कराया गया, जिनमें मंदिरों, सड़कों और कुओं का निर्माण शामिल है, जिनमें से कई आज भी उनकी दूरदर्शिता और नेतृत्व के प्रमाण के रूप में मौजूद हैं.

महेश्वर किला

Ahilya devi maheshwar fort,madhya pradesh (image source-social media)

महेश्वर किला, जिसे अहिल्या किला भी कहा जाता है, रानी अहिल्याबाई के निवास और प्रशासनिक मुख्यालय के रूप में कार्य करता था. किले की भव्य दीवारें, सुंदर बरामदें  और जटिल नक्काशीदार विशाल द्वार मराठा वास्तुकला की भव्यता को दर्शाते हैं. जब आप इसके गलियारों से गुज़रते हैं, तो आप अतीत की गूंज सुन सकते हैं, जहां रानी अहिल्याबाई ने एक बार दरबार लगाया था और ऐसे निर्णय लिए थे, जिन्होंने उनके राज्य की नियति को आकार दिया था.

किले के अंदरूनी हिस्से में होलकर राजवंश की कलाकृतियों को प्रदर्शित करने वाला एक संग्रहालय भी स्थित  है, जिसमें शाही वस्त्र, हथियार और पांडुलिपियां  शामिल हैं. मुख्य आकर्षणों में से एक यहां का अहिल्येश्वर शिवालय है, जो भगवान शिव को समर्पित एक सुंदर मंदिर है, जिसे रानी ने स्वयं बनवाया था. किला नर्मदा नदी के आश्चर्यजनक दृश्य भी प्रस्तुत करता है, खासकर सूर्योदय और सूर्यास्त के दौरान.

महेश्वर है तमिल और बॉलीवुड कलाकारों की फेवरेट जगह

महेश्वर अपनी सांस्कृतिक ऐतिहासिक गौरव के साथ अपनी सुंदरता से न केवल दुनिया भर के यात्रियों को बल्कि कलाकारों को भी अपनी ओर खीच लाता है. इस स्थान पर कई तमिल और बॉलीवुड मूवी की शूटिंग हो चुकी है जिनमें दबंग-3पैडमैन, बाजीराव मस्तानी, सुटेबल बाय, ‘मणिकर्णिका- द क्वीन ऑफ झांसी’, यमला पगला दीवाना, तेवर, नीरजा भनोट, पैडमैन, जीनियस, गौतमीपुत्र शतकर्णी और कलंक शामिल है.

आस-पास के आकर्षण

महेश्वर शहर में कई आकर्षण हैं जो इसे इतिहास प्रेमियों और आध्यात्मिक साधकों के लिए एक आदर्श स्थान  बनाते हैं. महेश्वर घाट के पास कालेश्वर, राजराजेश्वर, विठ्ठलेश्वर और अहिलेश्वर मंदिर, अन्य लोकप्रिय स्थल हैं जो शहर की आध्यात्मिक और प्राकृतिक सुंदरता को प्रदर्शित करते हैं.

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