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Sheshnag Lake Tour: शेषनाग झील में होते है शेषनाग के अद्भुत दर्शन, जानें कैसे पहुंचे यहां

Sheshnag Lake Tour: शेषनाग झील देश के सबसे प्राचीन तीर्थ स्थलों में से एक है, जहां हर साल सैकड़ों भक्त आते हैं. 250 फीट गहरी इस झील की कोई तारीख उल्लेखित नहीं है, लेकिन शेषनाग कई हजार सालों से अस्तित्व में है. आज हम आपको शेषनाग झील से जुड़ी पौराणिक कथा के बारे में बताएंगे

Sheshnag Lake Tour:  अमरनाथ यात्रा के रास्ते में कई जगहें आती हैं जो धार्मिक और ऐतिहासिक दोनों ही रूप से महत्वपूर्ण हैं. रास्ते में इसी तरह से एक झील भी आती है जिसका नाम  शेषनाग झील है. इस झील को प्राचीन काल से ही पवित्र माना जाता है. यह झील (Sheshnag Lake) देश के सबसे प्राचीन तीर्थ स्थलों में से एक है, जहां हर साल सैकड़ों भक्त आते हैं. 250 फीट गहरी इस झील की कोई तारीख उल्लेखित नहीं है, लेकिन शेषनाग कई हजार सालों से अस्तित्व में है. तो चलिए आज  हम ले चलते हैं शेषनाग झील (Sheshnag Lake) की यात्रा पर. आज हम आपको शेषनाग झील (Sheshnag Lake) से जुड़ी पौराणिक कथा के बारे में बताएंगे और आप झील से जुड़े रहस्य के बारे में भी जान सकेंगे.

शेषनाग झील की पौराणिक कथा

पौराणिक कथा के अनुसार भगवान शिव देवी पार्वती को अमरकथा सुनाने के लिए अमरनाथ (Amarnath) ले जा रहे थे. वे चाहते थे कि इस कथा को कोई न सुने. क्योंकि जो इस कथा को सुनेगा वो हमेशा के लिए अमर हो जाएगा. इसलिए उन्होंने अपने अनंत सांपों -नागों को अनंतनाग में बैल नंदी को पहलगाम में और चंद्रमा को चंदनवाडी में ही छोड़ गए थे. लेकिन शेषनाग उनके साथ गया था, जिसे उन्होंने इस झील में छोड़ दिया था. ताकि कोई इस झील को पार कर आगे न जा पाए. यही वजह है कि झील का नाम शेषनाग पड़ गया.

दूसरी कथा यह है कि शेषनाग (Sheshnag Lake) ने खुद इस जगह को खोदा और यहां रहने लगे. यहां के निवासियों का तो यह भी कहना है कि शेषनाग आज भी यहां रहते हैं और आज भी इस झील को कोई पार नहीं कर सकता.
 

शेषनाग झील का रहस्य

शेषनाग झील (Sheshnag Lake) से जुड़ा एक ऐसा रहस्य है, जिससे सुनने के बाद हर कोई अचंभित हो जाता है. इस झील में घटने वाली एक घटना सदियों से हो रही है. यहां के स्थानीय लोगों में इस झील के प्रति गहरी आस्था और विश्वास है. झील के बारे में बताया जाता है कि इस झील में शेषनाग निवास करते हैं. कहा जाता है कि कभी-कभी झील के पानी में शेषनाग भी दिखाई देते हैं. इसीलिए कहा जाता है कि झील में कई नदियाँ आकर मिलती हैं और सर्दियों में यहाँ का पानी भी जम जाता है. इन सभी घटनाओं के कारण कभी-कभी शेषनाग जैसी आकृति बन जाती थी.

कैसे पहुंचें शेषनाग झील

श्रीनगर से लगभग 120 किमी और पहलगाम से 23 किमी दूर है. चंदनवाड़ी तक सड़क मार्ग से पहुंचा जा सकता है. इसके अलावा यहां केवल 7 किमी की ट्रेकिंग के माध्यम से पहुंचा जा सकता है. जो लोग ट्रेक नहीं कर सकते वे घुड़सवारी का विकल्प चुन सकते हैं.

वैज्ञानिक रूप से झील का महत्व

वैज्ञानिक रूप से यह एक उच्च ऊंचाई (oligotrophic) झील है. मतलब पानी में कम पोषक तत्व होते हैं जो बदले में ऑक्सीजन के स्तर को बढ़ाते हैं. इसलिए, पानी साफ है और अत्यधिक पोर्टेबल है. कुछ प्रजातियां जैसे ट्राउट मछलियां जिन्हें अधिक ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है, ऐसी अल्पपोषी झीलों में रहती हैं. शेषनाग झील आसपास के पहाड़ों से पिघली हुई बर्फ से पोषित होती है.आगे, पहलगाम घाटी में पानी लिडर नदी में मिल जाता है.

शेषनाग झील जाने के लिए जरूरी टिप्स

  • शेषनाग झील (Sheshnag Lake) में भोजन की अच्छी व्यवस्था है.

  • यहां बाथरूम फेसिलिटी भी है.

  • शेषनाग झील में फोटो क्लिक करने के लिए आप अपने साथ कैमरा और मोबाईल ले जा सकते हैं.

  • शेषनाग झील में जूते और चप्पल पहनकर जाना अलाउड है.

  • यहां पर सामान रखने के लिए लॉकर उपलब्ध है.

  • शेषनाग झील दो से तीन घंटे में घूम सकते हैं. बेहतर है दिन के समय झील घूमने जाएं.

  • झील में एंट्री फ्री है. यहां पर पालतू जानवर साथ ले जाना मना है .

  • अगर यात्री को स्वास्थ्य संबंधी समस्या है तो उन्हें यहां आने की अनुमति नहीं दी जाती.

यहां की पहाड़ियों पर चलना किसी जोखिम से कम नहीं है. झील से एक मील आगे वायुजन नामक स्थान है जो मूलतः ध्यान के लिए बहुत प्रसिद्ध है. यहां अक्सर साधुओं को ध्यान करते हुए देखा जाता है. झील के चारों ओर 14-15 हजार फीट ऊंची सात पहाड़ियां हैं, जो बर्फ से ढकी रहती हैं. यहां बहुत सारे ग्लेशियर हैं. यहीं से लिद्दर नदी निकलती है, जो पहलगाम की खूबसूरती में चार चांद लगा देती है.

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