MP Tourism: महेश्वर में स्थित है द्वापर युग का बाणेश्वर महादेव मंदिर,सावन में उमड़ पड़ती है भक्तों की भीड़

मध्यप्रदेश की जीवनरेखा कहलाने वाली मां नर्मदा के द्वीप पर स्थित बाणेश्वर महादेव मंदिर लोक-आस्था और भक्ति का केंद्र है. सावन में यहां बड़ी संख्या भक्तों की कतार लगी रहती है..

By Pratishtha Pawar | July 7, 2024 9:02 PM

MP Tourism: मध्य प्रदेश के प्राचीन शहर महेश्वर में स्थित बाणेश्वर महादेव मंदिर(Baneshwar Mahadev Mandir), भारत की समृद्ध आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत का एक उल्लेखनीय प्रमाण है. भक्तों द्वारा अत्यधिक पूजनीय यह मंदिर हिंदू धर्म के प्रमुख देवताओं में से एक भगवान शिव को समर्पित है.

बाणेश्वर महादेव मंदिर: ऐतिहासिक महत्व

Baneshwar mahadev mandir, maheshwar (image source-social media)

बाणेश्वर महादेव मंदिर की उत्पत्ति हिंदू ब्रह्मांड विज्ञान के चार युगों में से एक द्वापर युग से हुई है, जो इसकी प्राचीन जड़ों को दर्शाता है. किंवदंतियों के अनुसार, मंदिर का निर्माण सबसे पहले पांडवों ने अपने वनवास के दौरान किया था. महाकाव्य महाभारत से यह संबंध मंदिर को प्राचीनता और दिव्य उद्देश्य की आभा प्रदान करता है. ‘बानेश्वर’ नाम का अर्थ है ‘वन के देवता’, जो मंदिर के प्राकृतिक दुनिया से जुड़ाव और इसके शाश्वत सार की ओर इशारा करता है.

देवी अहिल्याबाई होल्कर द्वारा पुनर्निर्माण

Baneshwar mahadev mandir, maheshwar (image source-social media)

मालवा साम्राज्य की रानी देवी अहिल्याबाई होल्कर को उनकी भक्ति, प्रशासनिक कौशल और हिंदू मंदिरों के जीर्णोद्धार के प्रति प्रतिबद्धता के लिए जाना जाता है. 18वीं शताब्दी में अपने शासनकाल के दौरान, उन्होंने इस पवित्र स्थल में कई मंदिरों, किलों, घाटों के साथ ही बानेश्वर महादेव मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया.  

बानेश्वर महादेव मंदिर एक वास्तुशिल्प चमत्कार है, जो मराठा वास्तुकला की उत्कृष्टता को दर्शाता है.  मंदिर का निर्माण स्थानीय रूप से प्राप्त पत्थरों से किया गया है और इसमें हिंदू पौराणिक कथाओं के दृश्यों को दर्शाती विस्तृत नक्काशी है. गर्भगृह में एक शिवलिंग है, जो भगवान शिव का प्रतीकात्मक प्रतिनिधित्व है, जिसे स्वयंभू माना जाता है.

Read Also- MP Tourism: कभी सहस्त्रबाहु तो कभी अहिल्याबाई की कर्मभूमि रहा है महेश्वर, पौराणिक कथाओ में मिलता है माहिष्मति का वर्णन

बाणेश्वर महादेव मंदिर: प्रचलित लोककथायें

बानेश्वर महादेव मंदिर किंवदंतियों और लोककथाओं से भरा हुआ है. एक प्रचलित मान्यता यह है कि पांडवों ने अपने वनवास के दौरान इसी स्थान पर भगवान शिव की पूजा की थी, ताकि उनका आशीर्वाद और शक्ति प्राप्त कर सकें.  महाभारत से यह संबंध मंदिर को ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्व प्रदान करता है.

एक और दिलचस्प किंवदंती एक स्थानीय शासक से जुड़ी है जो भगवान शिव का भक्त था. ऐसा कहा जाता है कि भगवान शिव उसके सपने में आए और उसे उस स्थान पर मंदिर बनाने का निर्देश दिया, जहां जमीन से एक दिव्य प्रकाश निकल रहा था. शासक ने प्रकाश के स्रोत की खोज करने पर प्राकृतिक रूप से निर्मित शिवलिंग पाया और इस प्रकार बाणेश्वर महादेव मंदिर की स्थापना की.

बाणेश्वर महादेव मंदिर में कई उत्सव मनाए जाते हैं, जिनमें महाशिवरात्रि और सावन का महिना सबसे प्रमुख है. इस उत्सव के दौरान, मंदिर को फूलों और रोशनी से सजाया जाता है और दूर-दूर से भक्त अपनी प्रार्थना करने और आशीर्वाद लेने के लिए आते हैं.

बाणेश्वर महादेव मंदिर:आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत

महेश्वर में बाणेश्वर महादेव मंदिर भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है.देवी अहिल्याबाई होल्कर द्वारा पुनर्निर्मित, यह मंदिर भगवान शिव के प्रति उनकी भक्ति और दूरदर्शिता का प्रमाण है. सदियों से बाणेश्वर महादेव मंदिर भक्तों और आगंतुकों को आकर्षित करता रहता है, उन्हें इतिहास, पौराणिक कथाओं और आध्यात्मिकता के समृद्ध ताने-बाने की झलक प्रदान करता है जो इस पवित्र स्थान को परिभाषित करता है. अपनी स्थापत्य भव्यता और इसके आसपास की किंवदंतियों के माध्यम से, बाणेश्वर महादेव मंदिर स्थायी आस्था और दिव्य उपस्थिति का प्रतीक बना हुआ है.

महेश्वर अपनी प्राचीन एवं सांस्कृतिक विरासत के लिए जाना जाने वाला एक समृद्ध शहर जिसके आसपास कई लोकप्रिय गंतव्य है जिसमें देवी अहिल्या बाई के द्वारा निर्मित घाट, किले, कालेश्वर, राजराजेश्वर, विठ्ठलेश्वर और अहिलेश्वर मंदिर आदि प्रसिद्ध है.

Also Read-गुप्तेश्वर महादेव मंदिर: भगवान शिव और मां पार्वती ने स्वयं की थी स्थापना

MP Tourism: अब मध्यप्रदेश की यादों को रखे सहेजकर- चंदेरीं, माहेश्वरी, बाग, जरी-जरदोजी, बटिक साड़ियों के साथ

Next Article

Exit mobile version