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Chhattisgarh Tourism: इस मंदिर में सावन के पहले सोमवार को होगा पदयात्रा का आयोजन

Chhattisgarh Tourism: छत्तीसगढ़ के मशहूर भोरमदेव मंदिर में सावन के पहले सोमवार को पदयात्रा का आयोजन किया जाता है. भक्त बूढ़ा महादेव मंदिर से भोरमदेव मंदिर तक पैदल आते हैं. तो चलिए आपको बताते हैं भोरमदेव मंदिर क्यों खास है.

Chhattisgarh Tourism: छत्तीसगढ़ राज्य अपने प्राचीन मंदिरों, अनोखी इमारतों और खूबसूरत प्रकृति के लिए मशहूर पर्यटन स्थल है. यहां मौजूद प्राचीन मंदिरों में से एक है भगवान शिव को समर्पित भोरमदेव मंदिर. 11वीं सदी में बने इस ऐतिहासिक मंदिर को नागवंशी राजा गोपालदेव ने बनाया था. भगवान शिव के इस प्रसिद्ध मंदिर में सावन के दौरान रौनक बढ़ जाती है. भोरमदेव, भगवान शिव का ही एक नाम है, जिस कारण इस मंदिर का नाम भोरमदेव मंदिर पड़ा. इस मंदिर के लिए हिंदू धर्म के लोगों में असीम श्रद्धा और आस्था है.

Sawan 2024: छत्तीसगढ़ का खजुराहो नाम से मशहूर है यह मंदिर

छत्तीसगढ़ के कबीरधाम जिले में मौजूद नागर वास्तुकला में बना भोरमदेव मंदिर अपने अद्भुत और अनोखे स्थापत्य कला के कारण छत्तीसगढ़ का खजुराहो नाम से मशहूर है. चारों ओर से मैकल पर्वत समूह से घिरा भोरमदेव मंदिर अपनी बनावट के कारण कोर्णाक और खजुराहो मंदिर के समान खूबसूरत है. हर वर्ष सावन के पावन महीने में एक हजार साल पुराने इस मंदिर में भक्तों की भीड़ उमड़ती है. इस मंदिर में महाशिवरात्रि और सावन के दौरान विशेष आयोजन किए जाते हैं.

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Sawan 2024: यहां सावन में होता है खास आयोजन

सावन के महीने में भगवान शिव की पूजा करने से विशेष फल प्राप्त होता है. इस कारण श्रावण मास में सभी शिवालयों में भक्तों की भीड़ देखी जा सकती है. इस दौरान छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध भोरमदेव मंदिर में भी भक्तों का तांता लगा रहता है. सावन के सोमवार के दिन भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है. भोरमदेव मंदिर का पूरा प्रांगण बम भोले के जयकारों से गूंज उठता है. हिंदू धर्म में मान्यता है कि सावन माह में भगवान शिव की पूजा अर्चना करने से मनचाहा फल मिलता है. सावन में सोमवार का विशेष महत्व होता है, इस कारण इस दिन मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ देखते बनती है. कहा जाता है जो भक्त जितना कष्ट उठाकर बाबा के दर्शन करता है, उसकी मुराद उतनी ही जल्दी पूरी होती है. इस कारण हर बार की तरह इस साल भी भोरमदेव मंदिर में सावन के पहले सोमवार को पदयात्रा का आयोजन किया गया है. यह पद यात्रा बूढ़ा महादेव मंदिर से भोरमदेव मंदिर तक होगी. इस दौरान श्रद्धालु नंगे पांव चलकर 18 किमी तक पद यात्रा करेंगे. भोरमदेव मंदिर हिंदुओं के आस्था का केंद्र है.

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