Sawan 2024: सावन का पावन महीना चल रहा है. भगवान शिव को प्रिय श्रावण मास में भक्त भोलेनाथ पर जल चढ़ाने शिवालयों में पहुंच रहे हैं. भगवान शिव को समर्पित इस पवित्र महीने में झारखंड के टूटी झरना में मौजूद प्राचीन शिव मंदिर में भक्तों की भीड़ उमड़ती है. सावन में महादेव की पूजा करने से श्रद्धालुओं को बाबा का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है. इस दौरान भक्त कांवड़ यात्रा निकालते हैं. पूरे देश के कोने-कोने से भक्त भगवान के दर्शन-पूजन करने प्रसिद्ध शिव मंदिरों तक पहुंचते हैं. भोलेनाथ के इन्हीं प्राचीन मंदिरों में से एक है टूटी झरना का शिव मंदिर. अगर आप भी झारखंड के प्राचीन शिवालयों के दर्शन करने आ रहे हैं तो जरूर आएं टूटी झरना.
पूरे साल होता है बाबा का जलाभिषेक
झारखंड के रामगढ़ जिले में स्थित है प्राचीन शिव मंदिर. इसे स्थानीय लोग टूटी झरना शिव मंदिर के नाम से भी जानते हैं. वैसे तो सालों भर टूटी झरना मंदिर में भक्तों का आना-जाना लगा रहता है. लेकिन सावन और महाशिवरात्रि के दौरान इस मंदिर का महत्व बढ़ जाता है. टूटी झरना मंदिर झारखंड के प्रमुख धार्मिक केंद्रों में से एक है. इस मंदिर का इतिहास काफी रहस्यमय है, जो यहां आने वाले लोगों को आकर्षित करता है. इस मंदिर में सालों भर जल की अविरल धारा शिवलिंग का जलाभिषेक करती है.
रामगढ़ में बसे टूटी झरना शिव मंदिर के चारों ओर फैली हरियाली, इसे पर्यटन स्थल के रूप में भी उभारते हैं. इस अद्भुत मंदिर में सालों भर पूरे 24 घंटे शिवलिंग के ऊपर एक जलधारा से बाबा का जलाभिषेक होते रहता है. लोगों का मानना है पूरे साल स्वयं मां गंगा टूटी झरना मंदिर में बाबा का जलाभिषेक करती है. मंदिर के समीप मौजूद दो हैंडपंप भी काफी रहस्यमय हैं. यहां बिना हैंडपंप चलाएं अपने आप पानी गिरता रहता है, जो लोगों को रोमांचित करता है. सावन माह में दूर-दूर से लोग टूटी झरना में स्थापित भगवान शिव के अद्भुत रूप के दर्शन करने आते हैं. मान्यता है यहां आने वाले भक्तों को भोलेनाथ मानसिक शांति और सभी दुखों से लड़ने की शक्ति देते हैं. यह मंदिर हिंदू धर्म के लोगों के आस्था का केंद्र है.
खुदाई के दौरान मिला था मंदिर
टूटी झरना मंदिर के इतिहास को अंग्रेजों के काल से जोड़ा जाता है. कहा जाता है जब साल 1925 में अंग्रेज रामगढ़ जिले में रेलवे लाइन बिछाने का काम कर रहे थे, तब खुदाई के दौरान टूटी झरना मंदिर जमीन के अंदर से निकला. इस मंदिर में भगवान भोलेनाथ का एक शिवलिंग मौजूद था जिस पर एक जलधारा से पानी गिर रहा था. इस चमत्कारिक और अद्भुत मंदिर में मौजूद जल स्रोत का अब तक पता नहीं चल पाया है. इस मंदिर में बाबा पर जलार्पण करने वाले भक्तों की सभी मुराद पूरी हो जाती है.
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