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Sawan 2024: रहस्यमय है बिहार का मां मुंडेश्वरी धाम, अद्भुत है शिवलिंग का चमत्कार

Sawan 2024: बिहार के रहस्यमय मंदिरों में से एक है मां मुंडेश्वरी धाम. यहां सावन के दौरान रहस्यमय पंचमुखी शिवलिंग के दर्शन करने भक्तों की विशेष भीड़ उमड़ती है. तो चलिए आज आपको बताते हैं क्या है मां मुंडेश्वरी धाम का रहस्य और चमत्कार.

Sawan 2024: बिहार में कई ऐसे प्राचीन मंदिर और धाम हैं, जो काफी रहस्यमय और चमत्कारिक हैं. इन मंदिरों में पूरे साल भक्तों का आना-जाना लगा रहता है. इन प्राचीन मंदिरों का आध्यात्मिक महत्व इन्हें श्रद्धालुओं के बीच लोकप्रिय बनाता है. सावन देवाधिदेव महादेव को समर्पित पवित्र महीना है. यही कारण है इस पावन महीने में श्रद्धालु भोलेनाथ का जलाभिषेक कर विशेष आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. बिहार के इन्हीं प्राचीन मंदिरों में से एक है मां मुंडेश्वरी धाम, जहां मंदिर प्रांगण में एक अद्भुत शिवलिंग भी मौजूद है. अगर आप भी रहस्यमय और चमत्कारिक मंदिरों को एक्सप्लोर करने में रुचि रखते हैं तो जरुर विजिट करें मां मुंडेश्वरी धाम.

Panchmukhi Shivling &Amp; Maa Mundeshwari
Panchmukhi shivling & maa mundeshwari

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Bihar Tourism: अद्भुत है यहां का रंग बदलने वाला शिवलिंग

बिहार के कैमूर जिले में स्थित है एक रहस्यमय मंदिर, जो मां मुंडेश्वरी और भगवान शिव का पवित्र धाम है. इस मंदिर में सावन और नवरात्रि के दौरान भक्तों की भीड़ उमड़ती है. बड़ी संख्या में श्रद्धालु माता के दर्शन-पूजन और शिवलिंग पर जलार्पण करने मां मुंडेश्वरी धाम पहुंचते हैं. इस मंदिर में स्थापित पंचमुखी शिवलिंग काफी रहस्यमय है.

मां मुंडेश्वरी धाम के मंदिर प्रांगण में स्थित प्राचीन पंचमुखी शिवलिंग काफी रहस्यमय है. यह शिवलिंग दिन के तीन पहर अपना रंग बदलता है. इस मंदिर के गर्भगृह में स्थापित शिवलिंग की भव्यता अनोखी है. यह प्राचीन शिवलिंग सुबह, दोपहर और शाम के समय अलग-अलग रंगों का दिखाई पड़ता है, जिसके पीछे का रहस्य आज तक कोई नहीं समझ पाया है.

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Bihar Tourism: इस मंदिर में बिना रक्त बहाए होती है बली

बिहार का प्राचीन मां मुंडेश्वरी धाम मंदिर कई रहस्यों से भरा हुआ है. यहां स्थापित शिवलिंग से लेकर मंदिर में होने वाली बली तक रहस्यमय है. यह प्राचीन मंदिर लगभग 600 फीट ऊंचे पंवरा पहाड़ी पर स्थित है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, माता ने इसी पहाड़ पर चंड और मुंड नाम के राक्षसों का वध किया था. यही कारण है इस प्रसिद्ध मंदिर का नाम मां मुंडेश्वरी धाम पड़ा. इस मंदिर में मौजूद शिलालेख इस बात का प्रमाण हैं कि मंदिर में स्थापित मूर्तियां उत्तर गुप्त काल की हैं. इस मंदिर में स्थापित माता की प्राचीन और भव्य मूर्ति लोगों के बीच आकर्षण का मुख्य केंद्र है.

मां मुंडेश्वरी धाम को लेकर मान्यता है कि इस मंदिर में मांगी गई मनोकामना जरुर पूरी होती है. कहा जाता है मनोकामना पूरी होने के बाद भक्त इस मंदिर में आकर बकरे की बलि देते हैं. लेकिन यह बली अन्य मंदिरों की बली से अलग होती है, जिसमें पशु का एक भी कतरा खून नहीं बहता है. मां मुंडेश्वरी धाम में पूजा होने के बाद बकरे को माता की मूर्ति के सामने लाया जाता है. इसके बाद पुजारी बकरे को माता के चरणों में स्पर्श कराकर मंत्रों का उच्चारण करते हैं. बकरे को माता के चरण के समक्ष रख, उस पर पूजा किए हुए चावल छिड़के जाते हैं. इससे बकरा अचेत हो जाता है. कुछ देर तक बकरे के अचेत रहने के बाद पुजारी फिर से मंत्रोच्चारण कर, माता के चरणों में अर्पित फूल बकरे पर फेंकते हैं. इससे बकरा जाग उठता है. इस तरह बिना एक बूंद खून गिरे बली की प्रक्रिया पूरी होती है. मां मुंडेश्वरी धाम बिहार के प्राचीन और प्रसिद्ध आध्यात्मिक-धार्मिक केंद्रों में से एक है.

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