Mizoram: मिजोरम की राजधानी आइजोल से चंफाई की दूरी लगभग 204 किलोमीटर है. इस मनोरम स्थान को एक ओर प्रकृति ने अपने दोनों हाथों से सजाया है, तो दूसरी ओर फलों (अन्नानास, अंगूर, मेडीटेरियन संतरे, केले, हटकोडा, पपीता), फूलों (एंथुरियम, बर्ड ऑफ पैराडाइज, ऑर्किड, क्रायसेंथमम, गुलाब आदि) की खेती होने के कारण स्थानीय लोगों ने उसकी खूबसूरती को और भी बढ़ा दिया है.
मिजोरम का फ्रूट बाउल चंफाई
इस स्थान को ‘मिजोरम का फ्रूट बाउल’ भी कहा जाता है. समुद्र तल से 1678 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस स्थान से म्यांमार की पहाड़ी श्रृंखलाओं को देखना एक अपूर्व अनुभव का एहसास कराता है. यहां आने वाले लोग जोटे गांव अवश्य जाते हैं, क्योंकि यहां पर छह मुरा पुक (मुरा गुफाएं) हैं. यहां प्राचीन अवशेष और प्राचीन स्मारक भी देखने को मिलते हैं, जो मिजोरम के समृद्ध इतिहास के गवाह हैं. पर्यटक यहां के स्थानीय खाने का लुत्फ भी अवश्य उठाते हैं.
मिजोरम का सबसे ऊंचा झरना
चंफाई जिले के बगल में स्थित सेरछिप या सर्चिप का एक हिस्सा भी म्यांमार को छूता है. राज्य का सबसे ऊंचा झरना यहीं है. मत और तुइकम नदियों के मध्य में स्थित इस स्थान में लुप्त हो रहे आदिवासी प्रजातियों तथा उपप्रजातियों की पारंपरिक जीवनशैली के विषय में देखने और जानने को बहुत कुछ है. सेरछिप के तंजोल नामक जगह में मिजो हैंडलूम उद्योग हैं, जहां से पारंपरिक सामानों की खरीदारी की जा सकती है. मिजोरम का सबसे ऊंचा और दिलकश नजारे वाला सुंदर वनतांग जलप्रपात जिले से पांच किमी दूर थेनजोल में लाऊ नदी पर स्थित है. यहां पर पानी 229 मीटर की ऊंचाई से गिरता हुआ बहुत ही अपूर्व दिखाई पड़ता है.
लुंगलेई यानी पत्थरों का पुल
राज्य के दक्षिणी भाग में स्थित मिजोरम का दूसरा बड़ा शहर लुंगलेई है, जो अपनी प्राकृतिक खूबसूरती से आपका मन मोह लेगी. यहां आप ट्रैकिंग और बर्ड वॉचिंग जैसी एक्टिविटी कर सकते हैं. बहुत से पर्यटक अपने टेंट के साथ यहां कैंप भी करते हैं. यहां स्थित थोरंगतलंग वन्यजीव अभयारण्य कई जंगली जानवरों का बसेरा है. यहां आप कुछ दुर्लभ पक्षी प्रजातियों को भी देख सकते हैं. इस स्थान पर देश-विदेश से पर्यटक आते रहते हैं, क्योकि यहां पर्यटकों के लिए कई पिकनिक स्पॉट हैं तथा एडवेंचर ट्रैक का आयोजन होते रहता है. इस शहर के महत्व को समझने के लिए लुंगलेई ब्रिज की यात्रा जरूर करनी चाहिए, क्योंकि लुंगलेई का शाब्दिक अर्थ होता है ‘पत्थर का पुल’. यहां पहुंचने के लिए सड़क मार्ग के अलावा आइजॉल से हेलीकॉप्टर से भी आ सकते हैं.
लांग्तालाई भी खूबसूरत स्थल
लांग्तालाई पश्चिम में बांग्लादेश, दक्षिण में म्यांमार और पूर्व में सहिसहिया जिला की सीमा से लगा हुआ, मिजोरम का एक खूबसूरत पर्यटन स्थल है. इसके बारे में शायद ही लोग जानते हैं. छुट्टियों में जिन पर्यटकों को भीड़-भाड़ और कोलाहल से दूर रहना पसंद है. उनके लिए लांग्तालाई का घना और शांत जंगल एक आदर्श स्थान हो सकता है. लेंगपुई पीक, लोहावाका वन्यजीव अभयारण्य, सिनेमोन वन्यजीव अभयारण्य आदि यहां के चुनिंदा व सबसे खास पर्यटन स्थल हैं.
मिजोरम का सबसे ऊंचा शिखर
आइजोल से लगभग 225 किलोमीटर दूर फांगपुई राष्ट्रीय उद्यान, मिजोरम के फांगपुई नीले पर्वत में स्थित एक उद्यान है. फांगपुइ मिजोरम का सबसे ऊंचा शिखर है, जो सइहा जिले में है. यहां तक पहुंचने का रास्ता एडवेंचर से भरा है और यह ऑर्किड फूलों तथा रोडो डेड्रॉन (कांटेदार पौधों) की सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है. कहा जाता है कि यहां की पवित्र नीली पहाड़ियों पर देवताओं का घर है. इस कारण लंबे-लंबे वृक्षों और रंग-बिरंगे फूलों से सजी नीली पहाड़ियां हर सुबह लोगों के लिए एक नया नजारा पेश करती है. ट्रैकर्स के लिए फांगपुई पहाड़ी सबसे लोकप्रिय स्थानों में से एक है.
डंपा रिजर्व बड़ा वन्य अभयारण्य
बांग्लादेश की सीमा से सटे और आइजोल से 127 किलोमीटर दूर डंपा टाइगर रिजर्व इस राज्य का सबसे बड़ा वन्य जीवन अभयारण्य है. यहां टाइगर्स के अलावा जंगली हाथियों, बियर्स, स्लॉथ बियर्स, हिमालयन ब्लैक बियर्स, विभिन्न किस्म के हॉर्नबिल, पाइथन, किंग कोबरा, विभिन्न किस्म के दुर्लभ बंदर और पक्षियों की दुर्लभ प्रजातियों को देखने का मौका मिलता है.
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