Uttarakhand Tourism: पंचबद्री (Punchbadri) भारत के उत्तराखंड राज्य में भगवान विष्णु को समर्पित पांच पवित्र हिंदू मंदिरों का एक समूह है. ये मंदिर हिमालय के गढ़वाल क्षेत्र में स्थित हैं, जो अपने आध्यात्मिक महत्व और लुभावनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध है. “पंचबद्री” शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है: “पंच,” जिसका अर्थ है पांच, और “बद्री,” भगवान विष्णु का एक नाम है. साथ में, वे इस क्षेत्र में पूजे जाने वाले देवता के पांच अलग-अलग रूपों के लिए जाने जाते हैं.
1. बद्रीनाथ (Badrinath)
बद्रीनाथ पंच बद्री मंदिरों में सबसे प्रमुख और पूजनीय है. समुद्र तल से 3,300 मीटर (10,827 फीट) की ऊंचाई पर स्थित, यह भारत के चार धाम तीर्थ स्थलों में से एक है. यह मंदिर अलकनंदा नदी के तट पर स्थित है और राजसी नर और नारायण पर्वत श्रृंखलाओं से घिरा हुआ है. हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, मंदिर की स्थापना 8वीं शताब्दी में आदि गुरुशंकराचार्य ने की थी. बद्रीनाथ के मुख्य देवता भगवान विष्णु हैं, जो बद्रीनारायण के रूप में ध्यान मुद्रा में विराजे हुए हैं. बद्रीनाथ के दर्शन करने से मन के सारे कष्ट दूर हो जाते है और भक्तों की मनोकामना भी पूरी होती है.
2. आदि बद्री (Adi Badri)
आदि बद्री उत्तराखंड में कर्णप्रयाग से लगभग 17 किलोमीटर दूर स्थित सोलह प्राचीन मंदिरों का एक समूह है. माना जाता है कि ये मंदिर गुप्त काल (4वीं से 7वीं शताब्दी ईस्वी) के हैं. आदि बद्री ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह बद्री तीर्थयात्रा की शुरुआत का प्रतीक है. मुख्य मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है, और परिसर में अन्य मंदिर विभिन्न देवताओं को समर्पित हैं. शांत वातावरण और प्राचीन वास्तुकला आदि बद्री को ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्व का स्थान बनाती है.
3. वृद्ध बद्री (Vriddha Badri)
वृद्ध बद्री, जिसे “पुराना बद्री” भी कहा जाता है, जोशीमठ से लगभग 7 किलोमीटर दूर अनिमठ गांव में स्थित है. माना जाता है कि यह मंदिर वह स्थान है जहां भगवान विष्णु ऋषि नारद के सामने एक बूढ़े व्यक्ति के रूप में प्रकट हुए थे. एस मदिर कपाट हमेशा भक्तों के लिए खुले रहते है और बद्रीनाथ की तुलना में कम भीड़ कम होती है, जिससे यह भक्तों के लिए एक शांतिपूर्ण स्थान बन जाता है. माना जाता है कि वृद्ध बद्री में भगवान विष्णु की मूर्ति ऋषि नारद द्वारा स्थापित की गई थी.
4. भविष्य बद्री (Bhavishya Badri)
भविष्य बद्री जोशीमठ से लगभग 17 किलोमीटर दूर तपोवन के पास सुभैन गांव में स्थित है. “भविष्य” शब्द का अर्थ है आने वाले कल से है, और ऐसा माना जाता है कि भविष्य में जब बद्रीनाथ दुर्गम हो जाएगा, तब यह मंदिर प्रमुखता प्राप्त करेगा. मंदिर घने जंगलों से घिरा हुआ है. यहां के देवता भगवान विष्णु हैं, जिन्हें चार भुजाओं के साथ दर्शाया गया है.
5. योगध्यान बद्री (Yogadhyan Badri)
योगध्यान बद्री, जिसे “ध्यान बद्री” के रूप में भी जाना जाता है, बद्रीनाथ से लगभग 24 किलोमीटर दूर पांडुकेश्वर में स्थित है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, महाभारत के पांडवों के पिता राजा पांडु ने यहां ध्यान किया था और मोक्ष प्राप्त किया था. मंदिर में भगवान विष्णु की ध्यान मुद्रा में मूर्ति स्थापित है और माना जाता है कि यहीं पर पांडवों का जन्म हुआ था. योगध्यान बद्री पूरे वर्ष भक्तों के लिए खुला रहता है और यह पंच बद्री तीर्थयात्रा का एक अभिन्न अंग है.
Also Read- पचमढ़ी में स्थित है ब्रिटिश औपनिवेशिक काल की विरासत क्राइस्ट चर्च
मध्यप्रदेश के मातंगेश्वर मंदिर, जहां हर साल 1 इंच बढ़ता है शिवलिंग
विश्व का सबसे प्राचीन शिव मन्दिर आज भी क्यों है अधूरा, जानें कारण
पंच बद्री मंदिर सामूहिक रूप से एक महत्वपूर्ण तीर्थयात्रा सर्किट बनाते हैं जो पूरे भारत और दुनिया भर से भक्तों को आकर्षित करता है. प्रत्येक मंदिर का अपना अनूठा इतिहास, किंवदंतियां और आध्यात्मिक महत्व है. हिमालय की गोद में बसे पंच बद्री के दर्शन करने से न केवल एक गहरा धार्मिक अनुभव मिलता है, बल्कि प्रकृति से जुड़ने और उत्तराखंड की सांस्कृतिक विरासत को जानने का भी मौका मिलता है.