रजनी अरोड़ा
तुमने ट्रेन में जरूर सफर किया होगा और ट्रेन को खेतों, पहाड़ों के बीच से या नदी के ऊपर से गुजरते हुए जरूर देखा होगा, लेकिन कभी सोचा है कि जब यही ट्रेन नदी के अंदर से गुजरे, तो तुम्हें किसी एक्वेरियम में होने का अहसास होगा. अगर तुम ऐसी ही किसी ट्रेन का सफर करना चाहते हो, तो जल्द ही अपने देश में यह सफर तय कर पाओगे.
बताएं आपको कि कोलकाता मेट्रो प्राधिकरण द्वारा देश की पहली अंडरवाटर मेट्रो ट्रेन का ट्रायल हुआ, जो कोलकाता और हावड़ा के बीच हुगली नदी के नीचे बने सुरंग व स्टेशन से होकर गुजरी. यह भारत के अंडरवाटर ट्रेन इंजीनियरिंग की बड़ी कामयाबी है.
इस तरह भारत उन देशों की सूची में शाामिल हो गया, जहां मेट्रो ट्रेन पानी के नीचे चलती है. कोलकाता से हावड़ा जाने के लिए फिलहाल वहां सड़क, ट्रेन मार्ग, पानी में चलने वाले स्टीमर और बोट भी मिल जाते हैं, लेकिन भविष्य में लोग यह दूरी अंडरवॉटर मेट्रो से भी तय कर सकेंगे.
तुम्हें शायद मालूम हो कि हमारे देश में सबसे पहले मेट्रो ट्रेन वर्ष 1984 में कोलकाता में ही शुरू हुई थी और अब पहली अंडरवाटर मेट्रो भी शुरू होने जा रही है. इस सर्विस के शुरू होने पर हावड़ा सबसे गहरा अंडरवाटर मेट्रो स्टेशन भी बन जायेगा. यहां अंडरवाटर मेट्रो स्टेशन जमीन से 33 मीटर नीचे बना है.
कोलकाता से हावड़ा अंडरवाटर मेट्रो स्टेशन का पूरा मार्ग 16.5 किमी का है, जिसमें से 10.8 किमी का हिस्सा अंडरग्राउंड है. वहीं करीब 5.8 किमी एलिवेटिड है. हुगली नदी के नीचे जाने के लिए 520 मीटर की अंडरग्राउंड मेट्रो सुरंग है, जो हुगली नदी के नीचे अंडरवाटर सुरंगों से जुड़ती है. नदी के नीचे मेट्रो के लिए 2 सुरंगें बनायी गयी हैं, जो इस्ट-वेस्ट मेट्रो का प्रमुख आकर्षण है. यह अंडरवाटर सुरंग करीब 4.8 किमी लंबी है.
फिलहाल तो अंडरवाटर मेट्रो का ट्रायल किया गया है, जिसे आम जनता के लिए इस वर्ष के आखिर तक शुरू कर दिया जायेगा. इस मेट्रो के जरिये हावड़ा से सियालदह का सफर 40 मिनट में पूरा किया जा सकेगा, जिसमें अभी सड़क मार्ग से जाने में डेढ़ घंटा लगता है.
असल में भारत की पहली अंडरवाटर मेट्रो ट्रेन को यूरो स्टार की तर्ज पर डिजाइन किया गया है, जो लंदन-पेरिस को अंडरवाटर रेलवे से जोड़ती है. नदी के नीचे सुरंग बनाना चुनौतीपूर्ण कार्य है. इसे बनाने का काम 2017 में शुरू किया गया था. इस अंडरवाटर सुरंगों को बनाने में पानी की लीकेज को रोकना और सुरंगों में पटरियां बनाने का काम काफी मुश्किल था. इसके लिए अत्याधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया गया है.
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सुरंग के अंदर मेट्रो 80 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ेगी.
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सुरंगों को कम-से-कम 120 वर्षों तक इस्तेमाल में लाया जा सकता है.
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दुनिया की सबसे लंबी और गहरी ट्रेन टनल जापान की सिकोन टनल है. समुद्र के नीचे यह टनल 23.3 किमी लंबी और 140 मीटर गहरी है.
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चीन भी पानी के अंदर बुलेट ट्रेन दौड़ाने का काम 2025 तक पूरा कर लेगा. यह ट्रेन शंघाई से जोशांग तक की होगी.