Union Budget 2022: भारतीय इतिहास में पेश हुए हैं इतने तरह के बजट, जानिए इस बार का बजट क्यों है खास ?

Union Budget 2022: आज (एक फरवरी, 2022) वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण केंद्रीय बजट पेश करेंगी. आइए भारत के उन बजटों के बारे में जिन्हें किसी खास वजह से अलग विशेष नाम दिया गया.

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 1, 2022 10:31 AM
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Union Budget 2022: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज (एक फरवरी, 2022) केंद्रीय बजट पेश करेंगी. यह वित्त वर्ष 2022-23 का बजट प्रस्ताव होगा, जिसे वह नई दिल्ली स्थित संसद भवन में सुबह 11 बजे प्रस्तुत करेंगी. केंद्रीय बजट भारतीय वित्त मंत्री द्वारा पेपर लेस रूप में प्रस्तुत किया जाएगा और इस वर्ष बजट तैयार करने की अगुवाई में पारंपरिक ‘हलवा समारोह’ नहीं मनाया गया.

केंद्रीय मंत्री सीतारमण 2022-2023 का बजट पेश करने के लिए तैयार हैं, आइए भारत के उन बजटों के बारे में जिन्हें किसी खास वजह से अलग विशेष नाम दिया गया.

वन्स-इन-ए-सेंचुरी बजट (Once-in-a-Century Budget)

निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी, 2021 को पेश किया जिसे उन्होंने ‘once-in-a-century budget’ कहा था, क्योंकि यह बुनियादी ढांचे और स्वास्थ्य सेवा में निवेश के माध्यम से एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए निर्भर था.

रोलबैक बजट (Rollback Budget)

2002-2003 का बजट एनडीए सरकार के शासनकाल के दौरान यशवंत सिन्हा द्वारा प्रस्तुत किया गया था. अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के बजट को रोलबैक बजट के रूप में जाना जाता है. यशवंत सिन्हा के 2002-03 के बजट को लोकप्रिय रूप से रोलबैक बजट के रूप में याद किया जाता है क्योंकि इसमें कई प्रस्तावों को वापस ले लिया गया था.

मिलेनियम बजट (Millennium Budget)

मिलेनियम बजट 2000 में यशवंत सिन्हा द्वारा प्रस्तुत किया गया था. सिन्हा के मिलेनियम बजट ने भारत के सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) उद्योग के विकास के लिए रोड मैप प्रस्तुत किया. मिलेनियम बजट ने सॉफ्टवेयर निर्यातकों पर प्रोत्साहन की प्रथा को बंद कर दिया. 2000 के बजट ने कंप्यूटर और कंप्यूटर एक्सेसरीज जैसे 21 वस्तुओं पर सीमा शुल्क कम कर दिया.

काला बजट (Black Budget)

इंदिरा गांधी सरकार के तहत यशवंतराव बी चव्हाण द्वारा पेश 1973-74 के बजट को काला बजट कहा गया क्योंकि उस वर्ष के दौरान राजकोषीय घाटा 550 करोड़ रुपये था. उस समय राष्ट्र बड़े वित्तीय संकट से गुजर रहा था.

कैरोट और स्टिक बजट (Carrot & Stick Budget)

28 फरवरी, 1986 को कांग्रेस सरकार के लिए वीपी सिंह द्वारा पेश किया गया केंद्रीय बजट, भारत में इसे लाइसेंस राज को खत्म करने की दिशा में पहला कदम कहा जाता, और बजट ने कर के व्यापक प्रभाव को कम करने के लिए MODVAT (संशोधित मूल्य वर्धित कर) क्रेडिट पेश किया. बजट ने तस्करों, कालाबाजारियों और कर चोरों के खिलाफ एक गहन अभियान भी शुरू किया.

लैंडमार्क बजट (Landmark Budget)

मनमोहन सिंह के 1991 के बजट, पीवी नरसिम्हा राव सरकार के कारण, लाइसेंस राज समाप्त हो गया और आर्थिक उदारीकरण का युग शुरू हुआ. इसे ‘एपोकल बजट’ के रूप में जाना जाता है, जो ऐसे समय में आया जब भारत आर्थिक पतन के कगार पर था. बजट में सीमा शुल्क 220 प्रतिशत से घटाकर 150 प्रतिशत किया गया और निर्यात को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाए गए.

ड्रीम बजट (Dream Budget)

ड्रीम बजट (Dream Budget): पी चिदंबरम ने 1997-98 के बजट में संग्रह बढ़ाने के लिए कर दरों को कम करने के लिए लाफर कर्व सिद्धांत का इस्तेमाल किया. उन्होंने व्यक्तियों के लिए अधिकतम सीमांत आयकर दर 40 प्रतिशत से घटाकर 30 प्रतिशत और घरेलू कंपनियों के लिए 35 प्रतिशत कर दी, इसके अलावा काले धन की वसूली के लिए आय योजना के स्वैच्छिक प्रकटीकरण सहित कई प्रमुख कर सुधारों को शुरू किया. ‘ड्रीम बजट’ के रूप में संदर्भित, इसने सीमा शुल्क को घटाकर 40 प्रतिशत कर दिया और उत्पाद शुल्क संरचना को सरल बना दिया.

कितने देर का होगा बजट भाषण?

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अपने लंबे बजट भाषण के लिए भी जानी जाती हैं. साल 2019 में उन्होंने 2 घंटे 15 मिनट का सबसे लंबा भाषण दिया. इसके बाद, साल 2020 में उन्होंने 2 घंटे 42 मिनट का भाषण देकर भी रिकॉर्ड बनाया था. माना जा रहा है कि शाटद इस बार भी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का बजट भाषण काफी देर तक चलने वाला है.

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