28.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Unsung Heroes: आंदोलन, जेल और रिहाई के बाद की 10वीं की पढ़ाई, जानिए कौन हैं जंगी लाल? झारखंड में भी हुए मशहूर

Unsung Heroes: कौन थे, जंगी लाल जिन्हों बेहद कम उम्र में ही आंदोलन में कूद पड़े, ये वो समय भी जब उन्होंने अपनी दसवीं की पढ़ाई भी पूरी नहीं की थी. आइए जानते हैं और अधिक...

Unsung Heroes: एक बार फिर हम आजादी का जश्न मनाने जा रहे हैं, क्योंकि इस साल हम 78वां स्वतंत्रता दिवस मनाने जा रहे हैं. इसी कड़ी में हम उन रियल हीरो के बारे में बात करेंगे जिन्होंने भारत को आजाद कराने में अपना सबकुछ कुर्बान करने को तैयार थे, और किए भी. आज इस लेख में भोजपुर, बिहार के जंगी लाल जी के बारे में जानेंगे उनकी पूरी कहानी. कौन थे, जंगी लाल जिन्हों बेहद कम उम्र में ही आंदोलन में कूद पड़े, ये वो समय भी जब उन्होंने अपनी दसवीं की पढ़ाई भी पूरी नहीं की थी. आइए जानते हैं और अधिक…

भोजपुर, बिहार के जंगी लाल का जन्म 1925 ई. में हुआ था. उनका जन्म भोजपुर जिले के आरा सदर प्रखंड के सलेमपुर गांव में हुआ था. उनके पिता का नाम गोपाली लाल था. उनकी प्रारंभिक शिक्षा गांव के ही उच्च प्राथमिक विद्यालय में हुई. माध्यमिक शिक्षा के लिए उनका नामांकन बलुआ-नरगदा हाई स्कूल में कराया गया.

also read: Unsung Heroes: कौन है राजकुमार शुक्ल? इनके जिद्द ने गांधी जी को किया मजबूर, फिर ऐसे बनें ‘महात्मा’

तीन साथियों के साथ हुए गिरफ्तार


भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान महात्मा गांधी के आह्वान पर वे बहुत छोटी उम्र में ही स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े. 12 सितंबर 1942 को वे अपने बहत्तर साथियों के साथ कौड़िया गांव के पास रेल की पटरियां उखाड़ रहे थे. अंग्रेजों ने रेलवे लाइन की सुरक्षा की जिम्मेदारी आसपास के ग्रामीणों को दे रखी थी. भागने के क्रम में 13 सितंबर 1942 की सुबह मसाढ़ गांव के पास उन्हें उनके दो अन्य साथियों हरिपाल दुबे और लक्ष्मण दुबे के साथ गिरफ्तार कर लिया गया. तीनों के खिलाफ आरा रेलवे थाने में मामला दर्ज कर आरा जेल भेज दिया गया. इस मामले में तीन साल की सजा सुनाए जाने पर उन्हें आरा जेल से फुलवारीशरीफ कैंप जेल भेज दिया गया. डेढ़ साल की सजा काटने के बाद 1944 में उन्हें जेल से रिहा कर दिया गया.

also read: Unsung Heroes: कौन हैं श्रीनारायण दास, जिन्होंने आजादी के लिए छोड़ी पढ़ाई और आंदोलन…

जेल से रिहा होने के बाद की पास की मैट्रिक


जेल से रिहा होने के बाद उन्होंने बलुआ-नरगदा हाई स्कूल से मैट्रिक की परीक्षा पास की. स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद उन्होंने शुरुआत में उत्पाद विभाग में सहायक अवर निरीक्षक के पद पर काम किया. 1958 के बाद वे झारखंड के तेनुघाट में रहकर कारोबार करने लगे. 9 जुलाई 1983 को झारखंड के तेनुघाट में ब्रेन हैमरेज से उनकी मौत हो गई. तेनुघाट में उनकी प्रतिमा वहां के लोगों ने स्थापित की है. उस स्थान को स्वतंत्रता सेनानी जंगी लाल चौक के नाम से जाना जाता है.

Trending Video

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें