Unsung Heroes: कौन हैं स्वामी सहजानंद सरस्वती? जिनकी गांधी जी से इस बात को लेकर हुई थी अनबन
Unsung Heroes: महान स्वतंत्रता सेनानी स्वामी सहजानंद सरस्वती (नौरंग राय) का जन्म यूपी के गाजीपुर जिले के देवा गांव में 22 फरवरी, 1889 को हुआ था. उनके पिता बेनी राय साधारण किसान थे. बचपन में ही उनके सिर से मां का साया उठ गया था. उनका पालन-पोषण चाची ने किया. पढ़ाई के दौरान ही उनका […]
Unsung Heroes: महान स्वतंत्रता सेनानी स्वामी सहजानंद सरस्वती (नौरंग राय) का जन्म यूपी के गाजीपुर जिले के देवा गांव में 22 फरवरी, 1889 को हुआ था. उनके पिता बेनी राय साधारण किसान थे. बचपन में ही उनके सिर से मां का साया उठ गया था. उनका पालन-पोषण चाची ने किया. पढ़ाई के दौरान ही उनका मन अध्यात्म में रमने लगा.
युवा मन में विद्रोह की फूटी पहली चिंगारी
मेधावी छात्र रहे नौरंग राय के युवा मन में विद्रोह की पहली चिंगारी तब फूटी, जब घरवालों ने जबरन शादी करा दी थी और साल भर के भीतर पत्नी के स्वर्गवास के बाद दोबारा शादी की जुगत में लगे थे. सहजानंद ने इस शादी से मना कर दिया और भाग कर काशी चले गये. वहां दशनाम संन्यासी से दीक्षा लेकर दंडी स्वामी बन गये, लेकिन धर्म-कर्म के पाखंड के चलते वहां भी उनका मन नहीं लगा.
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जब गांधी जी से स्वामी सहजानंद की हुई अनबन
गांधीजी के कहने पर 1920 में वह आजादी की लड़ाई में कूद पड़े. उन्होंने बिहार को अपने आंदोलन का केंद्र बनाया. कुछ समय पटना के बांकीपुर जेल और लगभग दो साल हजारीबाग केंद्रीय कारा में सश्रम कारावास की सजा झेली. बिहार में 1934 के भूकंप से तबाह किसानों को मालगुजारी में राहत दिलाने की बात को लेकर गांधी जी से उनकी अनबन हो गयी. एक झटके में ही कांग्रेस से अलग होकर उन्होंने किसानों के लिए जीने और मरने का संकल्प ले लिया.
जमींदारों के खिलाफ किसानों को किया एकजुट
हार में आजादी की लड़ाई के दौरान भ्रमण करते हुए सहजानंद ने देखा कि बड़ी संख्या में लघु-सीमांत किसान अपनी ही जाति के जमींदारों के शोषण और दोहन के शिकार हैं. उनकी स्थिति गुलामों से भी बदतर है. विद्रोही सहजानंद ने अपनी ही जाति के जमींदारों के खिलाफ लट्ठ उठा लिया और आर-पार की लड़ाई शुरू कर दी. उन्होंने देशभर में घूम घूम कर किसान सभाएं की. सहजानंद के नेतृत्व में 1936 से लेकर 1939 तक बिहार में कई लड़ाइयां किसानों ने लड़ीं. इस दौरान जमींदारों और सरकार के साथ उनकी छोटी-मोटी सैकड़ों भिड़ंत भी हुईं. इनमें बड़हिया, रेवड़ा और मझियावां के बकाश्त सत्याग्रह ऐतिहासिक हैं.
नेताजी सुभाष चंद्र बोस के ‘फॉरवर्ड ब्लॉक’ से भी जुड़े थे स्वामी जी
किसान आंदोलन में तन-मन से जुटे स्वामी सहजानंद की नेताजी सुभाषचंद्र बोस से निकटता रही. दोनों ने साथ मिल कर समझौता विरोधी कई रैलियां की. सहजानंद फॉरवर्ड ब्लॉक से भी निकट रहे. एक बार जब उनकी गिरफ्तारी हुई, तो नेताजी ने 28 अप्रैल को ऑल इंडिया स्वामी सहजानंद डे घोषित कर दिया. सीपीआइ जैसी वामपंथी पार्टियां भी स्वामी जी को वैचारिक दृष्टि से अपने करीब मानती रहीं. यह सहजानंद का प्रभामंडल ही था कि तब के समाजवादी और कांग्रेस के पुराने शीर्ष नेता एमजी रंगा, ईएमएस नंबूदरीपाद, पंडित कार्यानंद शर्मा, पंडित यमुनाकार्यी, आचार्य नरेंद्र देव, राहुल सांकृत्यायन, राम मनोहर लोहिया, जयप्रकाश नारायण, पंडित यदुनंदन शर्मा, पी सुंदरैया, भीष्म सहनी, बाबा नागार्जुन, बंकिमचंद्र मुखर्जी जैसे नामी चेहरे किसान सभा से जुड़े थे.