Urinary Tract Infection: गर्मी के मौसम में यूटीआइ के खतरे से बचें, पब्लिक टॉयलेट यूज करते समय रहें सतर्क
आमतौर पर गर्मियों में कुछ लोगों को यूरिनरी ट्रेक्ट इन्फेक्शन (यूटीआइ) की समस्या ज्यादा होती है. दरअसल, गर्मी में बढ़ता तापमान व पसीना जीवाणुओं के लिए माहौल अनुकूल बना देता है. खासकर, डिहाइड्रेशन शरीर के पीएच को असंतुलित करके यूटीआइ का कारण बनता है.
Urinary Tract Infection: यूरिनरी ट्रेक्ट इन्फेक्शन महिलाओं में होने वाली एक सामान्य समस्या है. गर्मियों के मौसम में यह समस्या जल्दी-जल्दी होती है, क्योंकि इस समय ज्यादातर महिलाएं उतना तरल आहार नहीं लेतीं, जितनी की शरीर को जरूरत होती है. यह प्रॉब्लम प्राइवेट पार्ट की ठीक से सफाई न रखने से भी होती है. इसके अलावा ऑफिस हो या चाहे घर, अगर एक ही टॉयलेट का इस्तेमाल एक साथ बहुत सारे लोग करते हैं, तो इसकी ठीक से सफाई न करने से भी यूटीआइ होने खतरा बना रहता है. सिर्फ शादीशुदा या अधिक उम्र की महिलाएं ही नहीं, बल्कि कम उम्र की लड़कियों व लड़कों को भी इस परेशानी का सामना करना पड़ सकता है.
लोअर व अपर दो तरह के होते हैं यूटीआइ
इनमें सबसे कॉमन है यूरिनरी कॉर्ड में होने वाला यूरिनरी ट्रेक्ट इन्फेक्शन. यह एक बैक्टीरियल या फंगल इन्फेक्शन है, जो यूरिनरी फंक्शन संबंधी अंगों में होता है- यूरिन बनाने वाली किडनी, उससे जुड़ी यूरेटर ट्यूब, यूरिन इकट्ठा रखने वाले यूरिनरी ब्लैडर, यूरिन बाहर निकालने वाले यूरेथरा यूरिनरी ट्रैक्ट. शुरुआती स्टेज पर यह ज्यादा खतरनाक नहीं होती, लेकिन समय रहते ध्यान न दिया जाये तो यह बीमारी काफी नुकसानदायक हो सकती है.
- लोअर ट्रैक्ट इन्फेक्शन
यूटीआइ मूलतः स्टूल में मौजूद इ-कोलाइ बैक्टीरिया के कारण होता है, जो एनस की दीवार और उसके आसपास मौजूद रहते हैं. साफ-सफाई का ध्यान न रखने व अन्य कई कारणों से ये बैक्टीरिया यूरेथरा के रास्ते यूरिनरी ट्रैक्ट तक पहुंच जाते हैं. वहां तेजी से मल्टीप्लाइ होकर ब्लैडर को संक्रमित कर देते हैं. पीड़ित व्यक्ति को यूरिन संबंधी शुरुआती समस्याएं होने लगती है. - अपर ट्रैक्ट इन्फेक्शन
ध्यान न देने और समुचित उपचार न करने पर यूरेटर ट्यूब के माध्यम से यह इन्फेक्शन ऊपर किडनी तक फैल जाते हैं, जिससे मरीज को तेज बुखार, दर्द जैसी समस्याएं होने लगती हैं. कई बार ये किडनी डैमेज भी कर सकते हैं.
पुरुषों में होता है यह खतरनाक
पुरुषों में यूटीआइ ज्यादा खतरनाक होता है, क्योंकि यूरेथरा में पहुंचे बैक्टीरिया पुरुषों की यूरेथरा ट्यूब में जाने की बजाय प्रोस्टेट ग्लैंड में चला जाता है. इससे उन्हें कॉम्प्लीकेटिड यूटीआइ होता है. उनका उपचार लंबे समय तक चलता है. अगर बैक्टीरिया पूरी तरह खत्म नहीं हो पाता, तो बार-बार यूटीआइ होने जैसी समस्याएं होती हैं.
इन गलतियों के कारण होता यूटीआइ
- पानी कम पीने से डिहाइड्रेशन होना और ब्लैडर में इन्फेक्शन होना. पानी कम पीने से यूरिन गाढ़ा हो जाता है और यूरिन में टॉक्सिन ज्यादा हो जाते हैं, जिससे यूरिन मे जलन होनी शुरू हो जाती है.
- पब्लिक वेस्टर्न स्टाइल टॉयलेट का अधिक उपयोग करना या फिर पब्लिक टॉयलेट से इन्फेक्शन के डर से बहुत देर तक यूरिन रोके रहना. इससे बहुत देर तक बैक्टीरिया यूरिनरी ट्रैक्ट की दीवार से चिपक जाते हैं और धीरे-धीरे मल्टीप्लाइ होकर इन्फेक्शन फैलाते हैं.
- पर्सनल हाइजीन की कमी खासकर प्राइवेट पार्ट्स की साफ-सफाई का ध्यान न रखना. महिलाओं का पीरियड्स के दिनों में हाइजीन का ध्यान न रखना व पसीना ज्यादा आना.
- बहुत टाइट और सिंथेटिक कपड़े पहनना. खासकर कॉटन अंडरगार्मेंट न पहनने से पसीने की वजह से प्राइवेट पार्ट्स में फंगल इन्फेक्शन होना.
- धूप में एक्सपोजर ज्यादा होना. हीट बढ़ने से बैक्टीरियल इन्फेक्शन होना कोल्ड ड्रिंक और चाय-कॉफी का सेवन अधिक करना, जिससे डिहाइड्रेशन बढ़ना, इम्युनिटी कमजोर होना.
- यूरीन जाने के बाद प्राइवेट पार्ट की सफाई न करना, एक ही पैड का लंबे समय तक इस्तेमाल आदि.
इन लक्षणों से यूटीआइ को पहचानें
बार-बार टॉयलेट जाना, यूरीन में जलन, दर्द व बदबू आना, वजाइना के आसपास खुजली होना, यूरीन के रंग में बदलाव जैसे- ज्यादा पीलापन, स्टूल पास करते समय दर्द होना, कभी-कभार स्टूल से ब्लड आना, पेट के निचले हिस्से में दर्द, ठंड लगना और तेज बुखार, पीठ में तेज दर्द होना, थकान व चक्कर आना और उल्टियां आना.
यूटीआइ से बचाव के लिए क्या करें
1. भरपूर मात्रा में तरल आहार लें : पानी, नीबू पानी, नारियल पानी पीएं. इससे पेशाब ज्यादा आयेगा और बैक्टीरिया शरीर से बाहर निकल जायेंगे. सामान्य स्थिति में यूरिन का रंग हल्का पीला होना चाहिए. अगर यह ज्यादा गहरा हो तो यह समझ जाना चाहिए कि शरीर डिहाइड्रेट हो रहा है. यानी ज्यादा पानी पीएं.
2. ज्यादा देर तक पेशाब रोकें नहीं : इससे यूरिन ब्लैडर में बैक्टीरियल इन्फेक्शन होने की संभावना बढ़ जाती है. यथासंभव रेगुलर यूरिन करके ब्लैडर को खाली करते रहना चाहिए.
3. प्राइवेट पार्ट्स की हाइजीन का ध्यान : एल्कलाइन साबुन की जगह वजाइना को बाहर से पानी से अच्छी तरह धोएं. बहुत रगड़ कर साफ न करें, हमेशा ड्राइ रखें. नहाने या पेशाब करने के बाद टिशू पेपर या मुलायम तौलिये से वजाइना एरिया को आगे से पीछे की दिशा में पोछें, जहां तक संभव हो वजाइना सूखने के बाद ही अंडरगार्मेंट पहनें, विशेषकर रात को सोते समय अंडरगार्मेंट न पहनें. अंडरगार्मेंट हमेशा कॉटन के, ढीले और पूरी तरह सूखे हुए पहनें. पसीने में गीले होने पर बदल लें.
4. साफ टॉयलेट का ही इस्तेमाल करें : घर के टॉयलेट को साफ रखें और पब्लिक टॉयलेट का कम-से-कम इस्तेमाल करें. कोशिश करें कि बाहर इंडियन स्टाइल टॉयलेट सीट का इस्तेमाल करें. वेस्टर्न स्टाइल इस्तेमाल करने से पहले टॉयलेट कवर या टॉयलेट सीट सेनेटाइजर स्प्रे से जरूर साफ करें.
5. हेल्दी डायट लेना जरूरी : नियमित रूप से विटामिन-सी रिच आहार का सेवन करें. विटामिन-सी अपकी यूरिन की एसिडिटी को मेंटेन करता है, जिससे बैक्टीरिया मल्टीप्लाइ न हो सके. दही, केला,लस्सी जैसे प्रोबायोटिक्स जरूर लें. नारियल पानी, बेल का शर्बत, खरबूजा, तरबूज का सेवन ज्यादा से ज्यादा करें. चाय-कॉफी, डार्क चॉकलेट, चॉकलेट आइसक्रीम, चॉकलेट ड्रिंक्स जैसे कैफीनयुक्त पदार्थ से परहेज करें. इसके अलावा मिर्च-मसालेदार भोजन का सेवन अवायड करें.
क्या है यूटीआइ का उपचार
यूरिन रूटीन और यूरिन कल्चर एंड सेंसिटिविटी टेस्ट से यह पता चलता है कि इन्फेक्शन किस ऑर्गेनिज्म से है. इसके आधार पर मरीज को 5-14 दिन के लिए एंटीबायोटिक का कोर्स करना पड़ता है. आमतौर पर यूटीआइ कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है, एंटीबायोटिक दवाओं से इन्हें आसानी से ठीक किया जा सकता है. फिर भी जरूरी है कि विशेषज्ञ की सलाह पर ही सही और इलाज पूरा करवाएं.
(दिल्ली के यूरोलॉजिस्ट डॉ शफीक अहमद से बातचीत पर आधारित)
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