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सिर्फ Nag Panchmi के दिन होता है यहां भगवान का दर्शन, ऐसे कर सकते हैं Nagchandreshwar Temple के दर्शन

Nagchandreshwar Temple, Nag Panchmi 2023: नागचंद्रेश्वर मंदिर उज्जैन में विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर की तीसरी मंजिल पर स्थित है. यह मंदिर लगभग 11वीं शताब्दी में बना है. यह मंदिर पूरे साल में सिर्फ 24 घंटे यानी एक दिन के लिए ही खुलता है. आइए जानते हैं इसके पीछे की क्या वजह है.

By Shaurya Punj | July 18, 2023 6:40 AM

Nagchandreshwar Temple, Nag Panchmi  2023: अगर आप घूमने का शौक रखते हैं तो उज्जैन स्थित नागचंद्रेश्वर का,जो की उज्जैन के प्रसिद्ध महाकाल मंदिर की तीसरी मंजिल पर स्थित है.  यह मंदिर साल में सिर्फ एक दिन नागपंचमी (श्रावण शुक्ल पंचमी) पर ही दर्शनों के लिए खोला जाता है. ऐसी मान्यता है कि  नागराज तक्षक स्वयं मंदिर में रहते हैं. यह मंदिर पूरे साल में सिर्फ 24 घंटे यानी एक दिन के लिए ही खुलता है. आइए जानते हैं इसके पीछे की क्या वजह है.

जानें नागचंद्रेश्वर मंदिर  का इतिहास

नागचंद्रेश्वर मंदिर उज्जैन में विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर की तीसरी मंजिल पर स्थित है. यह मंदिर लगभग 11वीं शताब्दी में बना है और इसे परमार राजा भोज ने बनवाया था. इसके बाद इस मंदिर का जीर्णोद्धार 1732 में महाराज राणोजी सिंधिया ने किया था. यह मंदिर भगवान नागदेवता को समर्पित है (नाग भगवान) और भगवान शिव. यह मंदिर इस अर्थ में अद्वितीय है कि “यह केवल श्रावण शुक्ल पक्ष पंचमी” (श्रावण माह के शुक्ल पक्ष का पांचवा दिन) को खुला रहता है. यह प्रसिद्ध नागपंचमी का दिन है.

मंदिर में शिव और देवी पार्वती को शेषनाग या अनंत शेष पर बैठाया जा सकता है. माना जाता है कि यह मूर्ति 7वीं शताब्दी में नेपाल से यहां लाई गई थी. यह शिव और देवी पार्वती की अत्यंत दुर्लभ मूर्ति है. हर साल नागपंचमी के दिन रात 12 बजे कलेक्टर और महानिर्वाणी अखाड़े के महंत प्रकाशपुरी द्वारा पूजा-अर्चना के बाद आधी रात को मंदिर के द्वार आम श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाते हैं. इस दिन लगभग 2 लाख श्रद्धालु नागचंद्रेश्वर शिव के दर्शन के लिए महाकालेश्वर मंदिर पहुंचते हैं.

यहां शिव को नागों या सांपों पर अधिकार रखने वाले व्यक्ति के रूप में महत्व दिया गया है. वह वह भी हैं जिन्होंने चंद्र – चंद्र देवता को शरण दी थी. मंदिर का पुराणों में विशद वर्णन किया गया है. महाकाल मंदिर की पहली दो मंजिलों में शिव के महाकालेश्वर और ओंकारेश्वर रूप हैं. यदि मान्यताओं पर विश्वास किया जाए, तो नागचंद्रेश्वर मंदिर में श्रद्धा करने के बाद व्यक्ति किसी भी प्रकार के सर्पदोष से छुटकारा पा सकता है.

ऐसे कर सकते हैं  भगवान नागचंद्रेश्वर के दर्शन

नागपंचमी पर वर्ष में एक बार होने वाले भगवान नागचंद्रेश्वर के दर्शन के लिए प्रत्येक वर्ष रात 12 बजे मंदिर के पट खुल जाते हैं जो अगले 24 घंटों के लिए खुले रहते हैं. नागपंचमी की रात 12 बजे मंदिर में फिर आरती होती है और मंदिर के पट पुनः बंद कर दिए जाते हैं.
भगवान् नागचंद्रेश्वर जी के इस मंदिर की पूजा-पाठ और तमाम व्यवस्था आदि महानिर्वाणी अखाड़े के संन्यासियों द्वारा की जाती है.

नागपंचमी पर्व पर बाबा महाकाल और भगवान नागचंद्रेश्वर के दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं के लिए अलग-अलग प्रवेश की व्यवस्था की जाती हैं. इनकी कतारें भी अलग ही होती हैं. आम दर्शनार्थियों के लिए रात के 12 बजे मंदिर के पट खोले जाते हैं, लेकिन दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ शाम से ही लाइन में लग जाती है और अपनी बारी की प्रतीक्षा करती है.

पूरी दुनिया में इसलिए विख्यात है ये मंदिर

पूरी दुनिया में यह एकमात्र ऐसा मंदिर है, जिसमें विष्णु भगवान की जगह भगवान भोलेनाथ सर्प शय्या पर विराजमान हैं. मंदिर में स्थापित प्राचीन मूर्ति में शिवजी, गणेशजी और मां पार्वती के साथ दशमुखी सर्प शय्या पर विराजित हैं. शिवशंभु के गले और भुजाओं में भुजंग लिपटे हुए हैं.

आइए जानें नाग देवता के किन मंदिरों में आप दर्शन के लिए जा सकते हैं

  • नागचंद्रेश्वर मंदिर, उज्जैन नागचंद्रेश्वर मंदिर उज्जैन में महाकालेश्वर मंदिर के तीसरे भाग में है. …

  • वासुकि नाग मंदिर, प्रयागराज …

  • तक्षकेश्वर नाथ, प्रयागराज …

  • मन्नारशाला नाग मंदिर, केरल …

  • कर्कोटक नाग मंदिर, भीमताल …

  • नागपुर इंदौर का नाग मंदिर

उज्जैन में लोकप्रिय पर्यटक आकर्षण

लोकप्रिय पर्यटक आकर्षण हैं भर्तृहरि गुफाएं, महाकालेश्वर मंदिर, गोमती कुंड, पीर मत्स्येंद्रनाथ, सांदीपनि आश्रम, पाताल भैरव मंदिर, कालीदेह महल, राम जनार्दन मंदिर, चौबीस खंबा मंदिर, गोपाल मंदिर, काल भैरव मंदिर, बड़े गणेशजी का मंदिर, नवग्रह मंदिर (त्रिवेणी) ), राम मंदिर, राम मंदिर घाट, चिंतामन गणेश मंदिर, हरसिद्धि मंदिर, विक्रम कीर्ति मंदिर, सिद्धवट, अंकपता, विक्रांत भैरव तीर्थ, गोनिकोप्पल, नगरकोट की रानी, गढ़कालिका मंदिर, भैरोगढ़, मंगलनाथ मंदिर, देवास, जंतर मंतर इत्यादि.

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