Vastu for Home: घर की इस दिशा में न रखें पानी और आग से जुड़ी चीजें, बर्बादी का बनता है कारण

Vastu for Home: उत्तर दिशा को देवताओं की दिशा माना जाता है. यहां पूजा स्थल बनाना शुभ होता है. अग्नि देवता दक्षिण-पूर्व दिशा में रहते हैं. यहां रसोई बनाना शुभ होता है.

By Bimla Kumari | October 15, 2024 9:42 AM

Vastu for Home: वास्तु शास्त्र में सभी चीजों को सही दिशा में रखने के महत्व को विस्तार से बताया गया है. इसे लेख में हम आपको बताएं कि घर की दक्षिण-पूर्व दिशा में कौन सी चीजें नहीं रखनी चाहिए. वास्तु शास्त्र में दिशाओं का बेहद खास महत्व है. ऐसा माना जाता है कि प्रत्येक दिशा में एक विशिष्ट प्रकार की ऊर्जा होती है जो हमारे जीवन को प्रभावित करती है.

वास्तु शास्त्र के अनुसार घर या किसी भी संरचना का निर्माण करते समय दिशाओं का विशेष ध्यान रखना चाहिए ताकि सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह सुनिश्चित हो सके और नकारात्मक ऊर्जा को दूर रखा जा सके. आपको बता दें, पूर्व दिशा को बहुत शुभ माना जाता है क्योंकि यह सूर्योदय की दिशा है. इस दिशा में पूजा कक्ष या अध्ययन कक्ष होना शुभ होता है. पश्चिम दिशा धन और समृद्धि की देवी लक्ष्मी से जुड़ी है. इस दिशा में तिजोरी या पैसे रखने का स्थान होना शुभ माना जाता है.

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उत्तर दिशा को भगवान कुबेर की दिशा मानी जाती है. इस दिशा में पानी का स्रोत होना शुभ होता है. दक्षिण दिशा को यमराज की दिशा माना जाता है. इस दिशा में पैर रखना शुभ नहीं माना जाता है. उत्तर दिशा को देवताओं की दिशा माना जाता है. यहां पूजा स्थल बनाना शुभ होता है. अग्नि देवता दक्षिण-पूर्व दिशा में रहते हैं. यहां रसोई बनाना शुभ होता है.

उत्तर-पश्चिम को पवन देवता की दिशा माना जाता है. यहां बच्चों का कमरा बनाना शुभ होता है. दक्षिण-पश्चिम को पृथ्वी देवी की दिशा माना जाता है. यहां भारी सामान रखना शुभ होता है. अब ऐसे में घर की दक्षिण-पूर्व दिशा में भूलकर भी कौन सी चीजें नहीं रखनी चाहिए.

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इस बारे में ज्योतिषाचार्य से विस्तार में जानते हैं. दक्षिण-पूर्व दिशा क्या है? दक्षिण-पूर्व दिशा वास्तु शास्त्र में एक महत्वपूर्ण दिशा है. इसे दक्षिण-पूर्व दिशा भी कहा जाता है. यह दिशा अग्नि तत्व से संबंधित है और इसमें ऊर्जा का स्तर बहुत अधिक होता है. इस दिशा को ऊर्जा का प्रमुख स्रोत माना जाता है. आमतौर पर इस दिशा में रसोई बनाई जाती है क्योंकि अग्नि तत्व रसोई से जुड़ा होता है. इस दिशा में बहुत अधिक धातु या पानी का होना शुभ नहीं माना जाता है.

शयन कक्ष दक्षिण-पूर्व दिशा में नहीं होना चाहिए

वास्तु शास्त्र के अनुसार घर के अलग-अलग कोणों का अलग महत्व होता है. दक्षिण-पूर्व दिशा में स्थित आग्नेय कोण अग्नि तत्व का प्रतिनिधित्व करता है. इस कोण में अत्यधिक ऊर्जा होती है और यह गति, ऊर्जा और उत्साह से जुड़ा होता है. आग्नेय कोण की अत्यधिक ऊर्जा शांतिपूर्ण नींद के लिए अनुकूल नहीं होती है. यह बेचैनी, अनिद्रा और तनाव का कारण बन सकती है. वास्तु के अनुसार आग्नेय कोण में शयन कक्ष होने से उच्च रक्तचाप, हृदय रोग और क्रोध जैसी स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं. इस कोण में शयन कक्ष होने से व्यक्तिगत संबंधों में तनाव और झगड़े बढ़ सकते हैं. आग्नेय कोण में शयन कक्ष होने से आर्थिक नुकसान हो सकता है. अगर आप सक्रिय और ऊर्जावान व्यक्ति हैं तो आप अपना कार्यक्षेत्र आग्नेय कोण में बना सकते हैं.

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जल से संबंधित चीजें दक्षिण-पूर्व दिशा में नहीं होनी चाहिए

जल और अग्नि दोनों ही प्रबल तत्व हैं. जब इन दोनों को एक साथ रखा जाता है तो ऊर्जा का असंतुलन होता है जिसका नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है. वास्तु के अनुसार, दक्षिण-पूर्व कोने में पानी से जुड़ी चीजें रखने से स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां हो सकती हैं. दक्षिण-पूर्व कोने में पानी से जुड़ी चीजें रखने से व्यक्ति को मानसिक परेशानियां हो सकती हैं.

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