Vastu tips: बाथरूम में डर लगने की समस्या एक आम बात है, जो कई लोगों को कभी न कभी महसूस होती है.अगर आपको बाथरूम में जाते वक्त अजीब सा डर लगता है, तो आप अकेले नहीं हैं। बहुत से लोग इस समस्या का सामना करते हैं. कई बार बाथरूम के अंधेरे या तंग जगह में घुसते ही दिल में अजीब सी घबराहट महसूस होती है. यह डर कहीं न कहीं मानसिक स्थिति से जुड़ा हो सकता है. लेकिन वास्तुशास्त्र के अनुसार इसका संबंध नकारात्मक ऊर्जा और वास्तु दोष से भी हो सकता है. इसके लिए वास्तुशास्त्र में कई उपाय बताए गए हैं, इन उपायों को अपनाने से बाथरूम में डर नहीं लगेगा और आप वहां एक सकारात्मक माहौल महसूस करेंगे. तो आइए जानते हैं बाथरूम से डर को दूर करने के कुछ सरल वास्तु उपाय.
मुख्य द्वार की सही दिशा और सजावट
वास्तु के अनुसार, मुख्य द्वार को सबसे ज्यादा महत्व दिया जाता है, क्योंकि यहीं से सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है. मुख्य द्वार को हमेशा उत्तर, उत्तर-पूर्व, या पूर्व दिशा में होना चाहिए. इन दिशाओं से आने वाली ऊर्जा घर में सकारात्मकता लाती है. मुख्य द्वार के आस-पास गंदगी या बाधाएं नहीं होनी चाहिए, जैसे कि कचरे का ढेर, टूटे-फूटे सामान या कांटेदार पौधे. इसके साथ ही, दरवाजे पर मंगल कलश या स्वस्तिक का प्रतीक लगाना शुभ माना जाता है, जो घर में सुख-समृद्धि का वास करता है.
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रसोई की दिशा और व्यवस्था
रसोई घर का अग्नि स्थान होता है, इसलिए इसकी दिशा और व्यवस्था का सीधा संबंध घर की आर्थिक स्थिति और सेहत से होता है. वास्तु के अनुसार, रसोई का स्थान दक्षिण-पूर्व दिशा में होना चाहिए, क्योंकि यह अग्नि तत्व की दिशा मानी जाती है. अगर यह दिशा संभव न हो, तो उत्तर-पश्चिम दिशा भी अनुकूल मानी जाती है. रसोई में खाना बनाते समय आपका मुख पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए, इससे सेहत अच्छी रहती है और घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है. इसके अलावा, रसोई में जूठे बर्तन देर तक न रखें, क्योंकि यह नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है.
बेडरूम की सही दिशा और सेटअप
बेडरूम वह जगह है जहा हम दिनभर की थकान को मिटाते हैं और नई ऊर्जा प्राप्त करते हैं. इसलिए यह जरूरी है कि बेडरूम वास्तु के अनुसार हो, ताकि इसमें शांति और प्रेम बना रहे. बेडरूम की सही दिशा दक्षिण-पश्चिम मानी जाती है, क्योंकि यह स्थिरता और सुरक्षा की दिशा होती है. वही सोते समय आपका सिर दक्षिण या पूर्व दिशा में होना चाहिए, जबकि उत्तर दिशा की ओर सिर रखकर सोने से बचें, क्योंकि यह सेहत और मानसिक शांति के लिए अच्छा नहीं माना जाता. साथ ही, बेडरूम में भारी फर्नीचर को दक्षिण-पश्चिम कोने में रखें और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का अधिक उपयोग न करें.
पूजा स्थल का स्थान
पूजा स्थल को वास्तुशास्त्र में विशेष स्थान दिया गया है, क्योंकि यह घर में सकारात्मक ऊर्जा का केंद्र होता है. पूजा का स्थान हमेशा उत्तर-पूर्व दिशा में होना चाहिए, जिसे ‘ईशान कोण’ कहा जाता है. इस दिशा में भगवान का वास होता है और यहां पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि का संचार होता है. पूजा स्थल को साफ-सुथरा और व्यवस्थित रखना चाहिए. कोशिश करें कि पूजा स्थल पर हल्के रंग के पर्दे या सजावट का उपयोग करें, ताकि सकारात्मकता बनी रहे. पूजा के समय मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रखें, जिससे पूजा का प्रभाव और बढ़ जाता है.
घर के अंदर पौधे और जल तत्व
वास्तु में पौधों और जल तत्वों का विशेष महत्व है, क्योंकि ये दोनों सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ावा देते हैं. घर के अंदर तुलसी का पौधा उत्तर-पूर्व दिशा में लगाना शुभ होता है, क्योंकि यह वातावरण को शुद्ध करता है और घर में सकारात्मकता लाता है. इसके अलावा, छोटे जल फव्वारे या एक्वेरियम को उत्तर दिशा में रखना अच्छा माना जाता है, क्योंकि जल का प्रवाह समृद्धि और धन का प्रतीक होता है. पौधों का चयन करते समय इस बात का ध्यान रखें कि कांटेदार पौधे या सूखे हुए पौधे घर में न रखें, क्योंकि ये नकारात्मक ऊर्जा को बढ़ावा देते हैं. घर में हरे-भरे पौधे रखने से न केवल वातावरण शुद्ध रहता है, बल्कि मन की शांति और सकारात्मकता भी बढ़ती है.