वास्तु शास्त्र के अनुसार काम नहीं किए जाएं तो नकारात्मक एनर्जी आपके बनते हुए काम को बिगाड़ सकती है. जीवन में दो ही तरह की एनर्जी होती है. एक सकारात्मक एनर्जी और दूसरी नकारात्मक एनर्जी. वास्तु शास्त्र यह बताता है या आप किस तरह के उपाय करके अपने जीवन में सकारात्मक एनर्जी को ला सकते हैं. जिससे आपका काम बने और कभी कोई अनिष्ट न हो. यहां हम कुछ ऐसे ही वास्तु के नियमों का उल्लेख करेंगे जो आपके लिए फायदेमंद साबित होंगे. मैं जीवन में अपनाकर जीवन को खुशहाल बना सकते हैं.
घर में बंद घड़ियां कभी ना रखें. बंद घड़ियां दुर्भाग्य का परिचायक होती हैं. यह नेगेटिव एनर्जी फैलती हैं. और इनका घर में रखा जाना किसी भी स्थिति में अच्छा नहीं माना जाता. घर में एक से ज्यादा घड़ियां हों तो यह प्रयास रखें कोई बंद ना रहे. अन्यथा यह खुशहाल जीवन में अवरोध का काम करेंगी. यदि घर में बंद घड़ी कबाड़ में भी फेंकी हुई हो तो उसे तत्काल निकल बाहर करें.
घर में बैठने के नियम भी निश्चित हैं. घर में कई दीवारें खाली होती हैं, जिन पर कोई पेंटिंग या कोई वॉलपेपर नहीं होता इस तरह की स्थिति में खाली दीवार की ओर बैठना दुर्भाग्य लाता है. कभी भी खाली दीवार की ओर मुंह करके न बैठें. इससे जीवन में एकाकीपन आता है. व्यक्ति गुस्सैल प्रवृत्ति का होने लगता है. और उसे तनाव घेरे रहता है. इसलिए यह हमेशा प्रयास करें कि खाली दीवार की ओर मुंह करके ना बैठें. कार्यालय में भी आपकी कुर्सी के सामने खाली दीवार हो तो दिशा बदल दें.
घर के दरवाजे के सामने न सोएं. साथ ही अपना सिर दरवाजे की तरफ रखकर भी न सोएं. दरवाजे के सामने सोना या उसकी तरफ सिर रखकर सोना जीवन में संकट लाता है. यह बेहद अनिष्टकारी माना जाता है. अगर आपका भी बेड दरवाजे के सामने लगा हो तो इसे तत्काल बदल दें. वास्तु शास्त्र की दृष्टि से यह सही नहीं है. ऐसा करने के बाद आपको अपने जीवन में सार्थक परिणाम मिलने शुरू हो जाएंगे.
घर के मध्य भाग को ब्रह्म स्थान माना जाता है. इस स्थान में कभी भी कोई वजनी वस्तु नहीं रखनी चाहिए. इसका परिणाम नकारात्मक होता है. बनते हुए काम बिगड़ जाते हैं. और घर में धन संचय भी नहीं हो पाता. ब्रह्मस्थान को खाली रखा जाता है. यहां कोई अशुद्ध वस्तु भी न रखें. घर के मध्य भाग में शौचालय कभी नहीं बनवाना चाहिए.
घर के दक्षिण-पूर्व दिशा में किसी तरह का भारी निर्माण नहीं कराना चाहिए. साथ ही इधर किसी अशुद्ध वस्तु को भी नहीं रखा जाना चाहिए. यथासंभव दक्षिण पूर्व दिशा को खाली रखें या वहां आंगन या बालकनी का निर्माण कराएं. ऐसा न होने पर घर के लोगों को स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है. इसलिए इस दिशा को यथासंभव खाली ही रखें और वहां लॉन या आंगन बनवा सकते हैं.
वास्तुशास्त्र के अनुसार घर में मंदिर की दिशा ईशान कोण अर्थात उत्तर-पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए. घर में इस दिशा में बनाया गया मंदिर या पूजा घर सबसे शुभ माना गया है. इसके ठीक विपरीत यदि आपके घर में मंदिर दक्षिण या पश्चिम दिशा की ओर है तो यह वास्तु के नियमों के अनुसार अशुभ है. इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश बाधित हो जाता है.
घर में कबाड़ इकट्ठा न होने दें. टूटी-फूटी या बेकार की वस्तुओं को कबाड़ी वाले को बेच दें. इन्हें घर में इकट्ठा करके रखना दुर्भाग्य लाता है. साथ ही घर को सुव्यवस्थित करके ही रखना चाहिए. ऐसा न होने से पॉजिटिव एनर्जी घर के अंदर प्रवेश नहीं करती.
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बेडरूम में कहीं भी आईना नहीं रखें. खास तौर पर बेड के सामने तो आईना कतई नहीं होना चाहिए. वास्तु के नियम बताते हैं कि बेडरूम में आईना रखने पर यह नेगेटिव एनर्जी लाते हैं जो खुशहाली के लिए अच्छा नहीं होता. घर के अन्य कमरों में आईना रखने के नियम निर्धारित हैं. पर बेडरूम में आईना रखना वर्ज्य है. बेडरूम में आईना रखने पर शादीशुदा जीवन खुशहाल नहीं गुजरता.
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घर के मुख्य दरवाजे या प्रवेश द्वार के सामने आईना नहीं लगाएं. कई बार यह देखा जाता है कि लोग मकान बनवाते समय ही दीवार में मेन गेट के सामने आईना फिक्स करवा देते हैं. ऐसा करना कतई उचित नहीं होता. आपके आवागमन वाले स्थान पर आईना नहीं होना चाहिए.आप जिस आईने का प्रयोग कर रही हों वह सही आकार-प्रकार का नहीं हो तो घर में नेगेटिविटी भी पैदा कर सकता है. खासतौर पर यह ख्याल रखें कि आईना का जो प्रयोग कर रही हैं उसका किनारा नुकीला और शार्प ना हो. इसकी वजह से नेगेटिविटी के चांसेस ज्यादा होते हैं.