Vastu Tips For Home: वस्तु अर्थात् जो है या जिसकी सत्ता है का ज्ञान कराने वाले शास्त्र को ‘वास्तु शास्त्र’ कहते हैं. इसी शास्त्र के अनुसार सभी वस्तुओं को अपनी सही स्थिति व दिशा में स्थापित करने से वास्तु संबंधी दोषों से राहत मिलती है तथा कष्टों का निवारण होता है. गृह निर्माण कराते समय खास कर इन बातों का ध्यान रखना चाहिए, जैसे गुरुत्वाकर्षण बल, विद्युत बल, पंचतत्व, चुंबकीय बल आदि. यदि गृह निर्माण के समय इन बातों का ध्यान नहीं रखा जाये, तो उस भवन में वास्तु दोष हो सकता है तथा उसका दुष्प्रभाव वहां वास करने वालों पर विशेष रूप से पड़ता है. कुछ वास्तु दोष निवारण के सरल उपाय का वर्णन किया जा रहा है.
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तनावपूर्ण संतान कष्ट
जिस घर के उत्तर-पूर्वी भाग में शौचालय होता है, वहां का निवासी हमेशा तनावग्रस्त होता है तथा अपनी संतानों द्वारा पीड़ित होता हैं. अतः अपने घर के पूजा स्थान में अष्ट धातु से निर्मित शिव भगवान की पूजा करते हुए श्रीगणेश की मूर्ति स्थापित करें. संभव हो तो अपने घर के इस भाग से शौचालय तथा सेप्टिक टैंक हटाकर उत्तर-पश्चिम भाग में बनवा लें.
संतान की उन्नति में बाधा
जिस मकान का पूर्वी भाग ज्यादा उठा हुआ है, उस मकान में वास करनेवालों की संतान ज्यादा प्रगति नहीं कर पाती. अतः मकान के पूर्वी भाग को अपेक्षाकृत नीचा रखें. यह संभव न हो तो सभी भागों को समतल जरूर रखें. कोई भी क्रिस्टल बॉल पश्चिमी खिड़की पर लगाएं. यह बॉल सूर्य की किरणों को परावर्तित करती हुई इंद्रधनुषी रंगों का सृजन करेगी. यह गृहस्वामी तथा संतान की उन्नति में भाग्य को इंद्रधनुषी रंगों के माध्यम से चमकाती है. क्रिस्टल बॉल का धार्मिक महत्व भी है.
संतान की शिक्षा तथा करियर
मकान की सीढ़ियां दक्षिण-पूर्वी भाग में होने पर उस मकान में निवास करने वाले की संतान की शिक्षा तथा करियर में समय-समय पर अनेक परेशानियां उत्पन्न होती हैं. जबकि उत्तर-पूर्व में होने पर उनकी समृद्धि प्रभावित होती है. अतः अपने मकान में सीढ़ियों का निर्माण दक्षिण-पश्चिम या दक्षिण या पश्चिम भाग में करवाएं. घर के मुख्य दरवाजे पर मधुर स्वर लहरी या घंटी रखें. मधुर स्वर लहरी, मीठी आवाज में बजनेवाली आधुनिक घंटियां घर में सकारात्मक वायु प्रवाह को उत्पादित करने के कारण शुभ शकुन के रूप में वास्तु दोष का निवारण करती हैं.
मनोरोग तथा हड्डियों से संबंधित रोग
वास्तुशास्त्र के अनुसार, मकान का उत्तर-पश्चिम भाग वायु देवता का माना गया है. इस कोण पर भारी वजन रखने पर उसमें वास करने वालों को वायुविकार, मनोरोग, हड्डियों से संबंधित, मानसिक अवसाद आदि होते हैं. अतः इस कोण में भारी वजन नहीं रखना चाहिये. इसे दक्षिण-पश्चिम भाग पर रखा जा सकता है. इस कोण को कभी खाली या खुला नहीं रखना चाहिए. जिस मकान में ये कोण खाली होता है, वहां के निवासी में हरदम क्रोध तथा तनाव होता है. काले घोड़े के नाल घर के दरवाजे पर लगाएं तथा स्फटिक के स्वास्तिक पिरामिड की स्थापना करें.
रोजी-रोजगार में बरकत
मकान के छत का ढलान (स्लोप) हमेशा उत्तर-पूर्व की ओर होना चाहिए तथा छत का तल दक्षिण-पश्चिम भाग में तथा अन्य भागों से नीचा नहीं होना चाहिए. यदि ऐसा है, तो वहां कोई न कोई समान या लकड़ी की खाली पेटियां रख कर इसे बड़ा करना चाहिए. मकान में प्रवेश करने वाली सीढ़ियां क्षतिग्रस्त नहीं होनी चाहिए, अन्यथा रोजी-रोजगार में बरकत नहीं होती है. अपने प्रवेश द्वार को साफ-सुथरा रखें. घर के पूजा स्थान पर स्फटिक के श्रीयंत्र, पांच कौड़ी, दक्षिणावर्ती शंख तथा गोमती चक्र की स्थापना करें.
पति-पत्नी में सांमजस्य
जिस घर में रसोई घर तथा शयन कक्ष की दीवारों पर प्लास्टर तथा योग्य ढंग से रंगाई नहीं है, उस मकान में रहने वाले पति-पत्नी में परस्पर सामंजस्य का अभाव होता है. अतः मकान के इन दोनों कक्षों को हमेशा संवार कर ही रखना चाहिए. बेडरूम में राधा-कृष्ण का चित्र लगाएं.
उदर विकार-पेट रोगों से परेशानी
रसोई घर यदि उत्तर-पूर्व भाग में है, तो संभव है वहां के सभी निवासियों को वायु विकार या पेट का कोई न कोई विकार होगा, अतः भवन की रसोई हमेशा दक्षिण-पूर्व में होनी चाहिए. इसी प्रकार आपके मकान का उत्तर-पश्चिमी भाग दक्षिण-पश्चिम भाग से अपेक्षाकृत ऊंचा है, तो वास करने वाले हमेशा उदर विकार, तिल्ली वात, कब्ज, आंत विकार जैसे किसी रोग से ग्रस्त होंगे. अतः अपने मकान के उत्तर-पश्चिमी भाग को सही करवा लेना चाहिए. उसी प्रकार आपके मकान का जल स्रोत यदि दक्षिण-पूर्व भाग में है, तो वहां के निवासी हमेशा आंत, अमाशय, फेफड़े तथा अनेक प्रकार के उदर रोगों से पीड़ित होते हैं. मकान के दक्षिण भाग में नलकूप या कुंआ नहीं होना चाहिए. यदि है, तो मकान के उत्तर-पूर्व में नया नलकूप बनाएं. घर के उत्तर-पूर्व की दिशा में हमेशा जल पड़ने वाला फाउंटेन (झरना) रखें.
डॉ एनके बेरा, ज्योतिषाचार्य
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