कई बार ऐसा देखने में आता है कि तमाम प्रयास करने के बावजूद छात्रों को उनकी मेहनत के अनुरूप सफलता हासिल नहीं होती. तो वहीं प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे युवाओं के साथ भी इसी तरह की समस्या होती है. उनकी तैयारी में कोई कमी नहीं रहती, फिर भी सफलता उनसे दूर भागती है. ऐसी स्थिति में एक बार वास्तु के नियमों पर भी विचार कर लें. कहा जाता है कि अगर बच्चों की पढ़ाई और मेहनत के साथ-साथ वास्तु का भी सहयोग हो तो बच्चे का भाग्य जरूर बदलता है. स्टडी रूम की स्थिति से लेकर उनकी दीवारों का रंग तक आपकी पढ़ाई लिखाई को प्रभावित करता है. ऐसे में छात्रों के लिए वास्तु के नियम क्या कहते हैं यहां हम जानेंगे. हम पढ़ेंगे कि वास्तु के अनुसार स्टडी रूम में कौन-कौन सी बातों का ख्याल रखना चाहिए और अपने स्टडी रूम किन नकारात्मकता फैलाने वाली चीजों से दूर रखा जाना चाहिए.
वास्तु शास्त्र के अनुसार पढ़ाई के लिए बैठने की दिशा भी बहुत मायने रखती है. अपने स्टडी रूम में या किसी दूसरे रूम में भी जब भी पढ़ने के लिए बैठें तो आपका चेहरा पूर्व या उत्तर दिशा की ओर अभिमुख होना चाहिए. वास्तु के नियम बताते हैं कि छात्रों के लिए यह दिशा श्रेयस्कर होता है.
स्टडी रूम की दीवारों का कलर वास्तु के नियमों के अनुसार रखें. दीवारों को हल्का पीला, हल्का गुलाबी या हल्का हरा रंग से रंगा सकते हैं. विद्यार्थियों को कभी भी मांसाहार शराब धूम्रपान और अन्य किसी प्रकार का नशा नहीं करना चाहिए.
बच्चों का का स्टडी रूम घर में उत्तर, पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा में बनवाना चाहिए. इस दिशा में स्टडी रूम रहे तो सार्थक परिणाम मिलते हैं. स्टडी रूम की स्थिति वास्तु शास्त्र के अनुसार उत्तर, पूर्व या उत्तर पूर्व दिशा में होने से पढ़ाई में एकाग्रता आती है. इससे मन में पॉजिटिव विचार आते हैं. छात्र पढ़ाई के लिए सदैव प्रेरित रहता है.
वास्तु शास्त्र के अनुसार छात्रों के लिए सोने की दिशा भी निश्चित है. छात्रों को पश्चिम दिशा की ओर सिर रखकर सोना चाहिए. साथ ही पढ़ने की मेज पर उत्तर पूर्व या ईशान कोण में भगवान गणेश, सरस्वती, हनुमान जी या आप जिस किसी देवी देवता को इष्ट देव मानते हैं उनका चित्र या छोटी मूर्ति रख सकते हैं. पढ़ाई के पहले उनका ध्यान जरूर लगाएं. इससे शुभ फल मिलते हैं.
1.अकाउंट, संगीत, गायन, बैंकिंग बिजनेस मैनेजमेंट की तैयारी करने वाले छात्र उत्तर दिशा में बैठकर पढ़ें. साथ ही उनका स्टडी रूम उत्तर दिशा में होना चाहिए.
2.रिसर्च, साहित्य, इतिहास, दर्शनशास्त्र एवं अन्य विषयों की प्रिपरेशन करने वाले छात्रों को अपने पढ़ाई का कमरा पश्चिम दिशा में रखना चाहिए।
3.मेडिकल, लॉ, टेक्निकल, कंप्यूटर जैसे क्षेत्रों की पढ़ाई करने वाले छात्रों को स्टडी रूम दक्षिण दिशा में रखना चाहिए.
4.प्रशासनिक सेवा, शिक्षा, रेलवे की सर्विस की तैयारी कर रहे कैंडिडेट अपना स्टडी रूम पूर्व दिशा में रखें तो बेहतर परिणाम मिलते हैं.
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यह ध्यान रखें कि कभी भी आपका स्टडी रूम शौचालय से सटा हुआ नहीं होना चाहिए. ऐसा होने पर कभी भी सार्थक परिणाम नहीं मिलेंगे.
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स्टडी रूम में जब भी अपना बुक शेल्फ रखें तो वह रूम के अंदर पूर्व या उत्तर की दिशा में ही रखें. अन्य किसी दिशा में बुक शेल्फ रखने या किताबों की अलमारी रहने से सार्थक परिणाम नहीं मिलते हैं.
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पढ़ने वाली मेज पर ग्लोब या तांबे का पिरामिड रख सकते हैं इससे नेगेटिव एनर्जी दूर होती है और पढ़ाई में मन लगता है.
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पढ़ाई के वक्त मन को एकाग्रचित्त करने के लिए स्टडी रूम में गुलाब या चंदन की धूप बत्ती या अगरबत्ती जला सकते हैं.
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सोने वाले बिस्तर पर लेट कर या बैठकर पढ़ाई नहीं करें.
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स्टडी रूम में भोजन करने से बचना चाहिए. कभी अगर भोजन कर भी लिया तो कभी भी झूठा बर्तन नही रखना चाहिए.
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स्टडी रूम में दुर्गंध नहीं होनी चाहिए बल्कि इसे सुगंधित रखा जाना चाहिए.
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पढ़ाई करने वाली मेज को मेश नहीं बनाकर रखना चाहिए, इससे मन भटकता है.
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ब्रह्म मुहुर्त में पढ़ाई करना सबसे बेहतर होता है. देर रात तक पढ़ने से स्वास्थ्य खराब होता है.
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स्टडी रूम में हमेशा अपने पसंदीदा देव-देवता की फोटो रखें. इसके अलावा बस प्रेरक फोटो रखें.
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स्टडी रूम कभी भी दक्षिण दिशा में ना हो. वास्तु के अनुसार इस रूम को हमेशा उत्तर पूर्व दिशा में बनाना चाहिए.
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