जब यार ने उठा कर ज़ुल्फ़ों के बाल बाँधे
तब मैं ने अपने दिल में लाखों ख़याल बाँधे
Neehar Sachdeva: मोहम्मद रफ़ी सौदा ने जब यह लाइन लिखी होगी तो जरूर किसी की खूबसूरती पर फिदा हुए होंगे. किसी महिला के लिए उसके बाल खूबसूरती में केवल इजाफा नहीं करते बल्कि उसके आत्मविश्वास में भी नई जान फूंकते हैं. अगर किसी की शादी हो तो सर के नैचुरल ताज पर तो लोग अतिरिक्त ध्यान रखते हैं. अधिकतर दुल्हनें अपनी शादी से पहले अपने लुक, मेकअप और हेयरस्टाइल को लेकर चिंतित रहती हैं. लेकिन एक दुल्हन ने समाज की इस परंपरा से पूरी तरह अलग रुख अख्तियार कर लिया. अपनी शक्ल-सूरत के लिए ज्यादा सोचने की बजाय, उसने अपनी जिंदगी के सबसे बड़े दिन पर पूरे आत्मविश्वास के साथ अपने गंजेपन को स्वीकार किया.
डिजिटल क्रिएटर निहार सचदेवा ने भारतीय समाज में इस तरह की नई मिसाल पेश की है. उन्हें एलोपेसिया एरीटा नाम की बीमारी है, जसकी वजह से बाल झड़ते हैं. नीहार ने एलोपेसिया के कारण कम उम्र में ही अपने बाल खो दिए थे. सालों तक सामाजिक दबाव के कारण उन्होंने विग पहनी. हालाँकि बाद में उन्होंने अपनी प्राकृतिक सुंदरता को अपनाने का फैसला किया और अपना सिर पूरी तरह से मुंडवा लिया.
बालों को अक्सर सुंदरता का प्रतीक माना जाता है, खासकर महिलाओं के लिए. समाज कभी-कभी बिना बालों वालों को जज करता है, अक्सर उन्हें गंजा या टकला कहकर मजाक भी उड़ाया जाता है. अगर लड़की हो तो और भी मुश्किल हो जाती है. ऐसे सवाल पूछे जाते हैं कि “गंजी लड़की से कौन शादी करेगा?” लेकिन निहार के पास इसका एकदम सही जवाब था- उनका आसमान से भी ऊंचा आत्मविश्वास.
अपनी शादी के दिन उन्होंने इससे भी आगे बढ़कर अपने सिर को विग से ढकने की बजाय इसे गर्व से दिखाया. इतना ही नहीं निहार ने अपनी शादी में उन लोगों को भी इनवाइट किया, जो कभी उनके गंजेपन का मज़ाक उड़ाते थे. ऐसा करके निहार ने यह साबित होता है कि सुंदरता आत्मविश्वास का ही दूसरा नाम है. सुंदर केवल दिखना नहीं है बल्कि अंदर से आत्मविश्वास से लबरेज भी होना जरूरी है.
जब निहार अपने शानदार लाल दुल्हन के जोड़े में गलियारे से नीचे उतरीं, तो यह एक यादगार पल था. विग के बजाय, निहार ने अपने गंजे सिर को मांग टीका से सजाया, जो एक बोल्ड स्टेटमेंट था. उनके दूल्हे अरुण वी गणपति ने उन्हें आश्चर्य से देखा और राहत भरी सांस ली. जो लोग कभी उनकी सुंदरता पर संदेह करते थे, वे भी निहार को देखकर अवाक रह गए. थाईलैंड में हुए इस भव्य समारोह में पहले तो अरुण ने वरमाला गले में डालने से मजाक में मना किया, लेकिन फिर अपने पार्टनर के आगे सिर झुकाकर स्वीकार कर लिया.
यह निहार का पहली बार नहीं था जब उन्होंने अपने गंजेपन को गर्व के साथ प्रस्तुत किया. इससे पूर्व, वह ‘द बाल्ड ब्राउन ब्राइड’ नामक मुहिम में हिस्सा ले चुकी थीं, जिसका उद्देश्य महिलाओं को उनकी प्राकृतिक सुंदरता को स्वीकार करने के लिए प्रेरित करना था. उस अवसर पर, उन्होंने स्वर्णिम ज़री से सजे एक लाल लहंगे में खुद को सजाया था और अपने निडर, गंजे स्वरूप के साथ आत्मविश्वास से चमक उठी थीं. शादी के दिन विग त्यागकर निहार ने न केवल सौंदर्य की रूढ़िवादी परिभाषाओं को चुनौती दी, बल्कि अपनी असामान्य पहचान को गले लगाकर असंख्य लोगों को स्वयं के प्रति सच्चा होने की प्रेरणा भी दी। यह कदम उनकी निडरता और स्वीकार्यता का प्रतीक बन गया.
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