14.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Vishwakarma Puja 2023: कौन हैं भगवान विश्वकर्मा ? क्यों उन्हें दुनिया का पहला इंजीनियर कहा जाता है, जानें यहां

भारत विभिन्न त्योहारों की भूमि है, जिन्हें पूरे देश में अत्यंत उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है. ये त्यौहार भारतीयों के जीवन में विशेष स्थान रखते हैं. हिंदू वास्तुकला के देवता - भगवान विश्वकर्मा को सम्मान देने के लिए हर साल विश्वकर्मा पूजा या विश्वकर्मा जयंती मनाई जाती है.

भारत विभिन्न त्योहारों की भूमि है, जिन्हें पूरे देश में अत्यंत उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है. ये त्यौहार भारतीयों के जीवन में विशेष स्थान रखते हैं. हिंदू वास्तुकला के देवता – भगवान विश्वकर्मा को सम्मान देने के लिए हर साल विश्वकर्मा पूजा या विश्वकर्मा जयंती मनाई जाती है. दिलचस्प बात यह है कि यह त्योहार आमतौर पर घरों में नहीं मनाया जाता है, बल्कि कार्यस्थलों, व्यावसायिक स्थानों, कारखानों, मिलों और कार्यालयों में पूजा की जाती है.

कौन हैं भगवान विश्वकर्मा

धार्मिक शास्त्र के अनुसार नारायण ने सर्वप्रथम ब्रह्माजी और फिर विश्वकर्मा जी की रचना की. ब्रह्माजी के निर्देश पर ही विश्वकर्मा जी ने पुष्पक विमान, इंद्रपुरी, त्रेता में लंका, द्वापर में द्वारिका एवं हस्तिनापुर, कलयुग में जगन्नाथ पुरी का निर्माण किया. इसके साथ ही प्राचीन शास्त्रों में वास्तु शास्त्र का ज्ञान, यंत्र निर्माण विद्या, विमान विद्या आदि के बारे में भगवान विश्कर्मा ने ही जानकारी प्रदान की है.

Also Read: Ganesh Chaturthi 2023 के दिन भारत के इन मंदिरों के करें दर्शन, हर मनोकामना पूरी होगी

भगवान विश्वकर्मा को बिस्वकर्मा के नाम से भी जाना जाता है

भारत के कई हिस्सों में भगवान विश्वकर्मा को बिस्वकर्मा के नाम से भी जाना जाता है. उनकी जयंती उत्तर प्रदेश, बिहार, असम, त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और कर्नाटक में व्यापक रूप से मनाई जाती है. इस साल यह त्योहार 17 सितंबर, 2023 को मनाया जाएगा, जो बंगाली महीने भाद्र का आखिरी दिन भी है, जिसे कन्या संक्रांति के नाम से भी जाना जाता है. ऋग्वेद के अनुसार, उन्हें यांत्रिकी और वास्तुकला विज्ञान के ज्ञान के साथ दुनिया के वास्तुकार के रूप में जाना जाता है.

क्या है पौराणिक कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान विश्वकर्मा ने पवित्र शहर द्वारका का निर्माण किया था, जहां भगवान कृष्ण ने शासन किया था, और पांडवों की माया सभा का भी निर्माण किया था. देवता को देवताओं के लिए कई शानदार हथियारों के निर्माता के रूप में भी जाना जाता है, जिनमें भगवान शिव का त्रिशूल, इंद्र का वज्र और विष्णु का सुदर्शन चक्र शामिल हैं. इस दिन लोग न सिर्फ इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और औजारों की पूजा करते हैं बल्कि उनका इस्तेमाल करने से भी परहेज करते हैं. वे पूजा के दौरान मूर्ति को अक्षत, फूल, हल्दी, पान, मिठाई, लौंग, फल, धूप, दीप और रक्षासूत्र चढ़ाते हैं. पूजा संपन्न होने के बाद प्रसाद वितरित किया जाता है.

Also Read: Vishwakarma Puja 2023: विश्वकर्मा पूजा कब है, नोट कर लें सही डेट, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और इस दिन का महत्व

विश्वकर्मा पूजा 2023: इतिहास

भगवान विश्वकर्मा को अक्सर भगवान ब्रह्मा के पुत्र के रूप में जाना जाता है, लेकिन कुछ ग्रंथों में उन्हें भगवान शिव का अवतार कहा जाता है. ब्राह्मण और निरुक्त में उन्हें भुवन का पुत्र भी कहा गया है. के अनुसार महाभारत और हरिवंश, वे वसु प्रभास और योग-सिद्ध के पुत्र हैं. पुराणों के अनुसार वे वास्तु के पुत्र हैं. हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान विश्वकर्ण को तीन बेटियों का आशीर्वाद प्राप्त है, जिनके नाम बरहिष्मती, समजना और चित्रांगदा हैं. कुछ ग्रंथों में भगवान विश्वकर्मा को ग्रिताची का पति बताया गया है.

Also Read: Ganesh Chaturthi Decoration: बप्पा के स्वागत के लिए ऐसे करें घर की सजावट, देखते रह जाएंगे लोग

विश्वकर्मा पूजा महत्व

‘विश्वं कृत्यस्नं वयापारो वा यस्य सः’ अर्थात् जिसकी सम्यक सृष्टि व्यापार है, वहीं विश्वकर्मा है. प्राचीन काल से ब्रम्हा-विष्णु और महेश के साथ विश्कर्मा की पूजा-आराधना का प्रावधान हमारे ऋषियों-मुनियों ने किया हैं. भगवान विश्वकर्मा को प्राचीन काल का सबसे पहला इंजीनियर माना जाता है. इस दिन औद्योगिक क्षेत्र से जुड़े उपकर, औजार, की पूजा करने से कार्य में कुशलता आती है. शिल्पकला का विकास होता है. कहा जाता है कि देव शिल्पी विश्वकर्मा संसार के सबसे पहले इंजीनियर हैं, जो साधन और संसाधन के लिए जाने जाते हैं.

लोग विश्वकर्मा पूजा कैसे मनाते हैं?

पूजा में बैठने से पहले लोग स्नान करते हैं और मन ही मन भगवान विष्णु को याद करते हैं. वे एक मंच पर भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति या चित्र रखते हैं. परंपरा के तहत दाहिने हाथ में फूल लिया जाता है. इसके बाद, अक्षत लिया जाता है और मंत्र पढ़े जाते हैं. कमरे में चारों ओर अक्षत छिड़कें और फूल को जल में छोड़ दें. इसके बाद, उनके दाहिने हाथ पर एक रक्षा सूत्र या पवित्र धागा बांधें और भगवान विश्वकर्मा को याद करें. पूजा के बाद मशीन पर जल, फूल और मिठाई चढ़ाएं. पूजा संपन्न करने के लिए यज्ञ करें.

Also Read: Ganesh Chaturthi Modak: इस गणेश चतुर्थी घर पर बनाएं ये 5 तरह के मोदक, इनमें से एक है बप्पा को बहुत प्रिय

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें