क्या है No-Fault Divorce, जिसमें बिना वजह बताये हो सकती है शादी खत्म, जानें
आये दिन न जाने कितने ही तलाक के मामले सामने आते रहते हैं. हर केस में आरोप-प्रत्यारोप का मामला तो होता ही है. ऐसे में अगर कुछ मामले ऐसे सुनने को मिले जिनमें कोई आरोप ही ना हो और बिना किसी वाद-विवाद के तलाक हो जाये तो ये थोड़ा अजीब जरूर लगेगा.
आये दिन न जाने कितने ही तलाक के मामले सामने आते रहते हैं. हर केस में आरोप-प्रत्यारोप का मामला तो होता ही है. ऐसे में अगर कुछ मामले ऐसे सुनने को मिले जिनमें कोई आरोप ही ना हो और बिना किसी वाद-विवाद के तलाक हो जाये तो ये थोड़ा अजीब जरूर लगेगा. आपने नो-फॉल्ट डिवोर्स के बारे में कभी सुना है. जहां ज्यादातर तलाक के मामले फॉल्ट थियोरी पर टिके हुए होते है. वहीं, अब कुछ देश में नो-फॉल्ट थियोरी को अपना रहे हैं. तो आइये समझते हैं कि क्या है नो-फॉल्ट डिवोर्स और क्या होता है इसमें.
क्या है नो-फॉल्ट तलाक थियोरी
दुनिया भर में तलाक के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. जितनी तेजी से शादी होती है उतनी ही तेजी से लोग एक-दूसरे से तलाक भी ले लेते हैं. तलाक लेने में काफी समय लग जाता है. ऐसे में कुछ देशों ने ज्यादा समय ना लगे इसके लिये नो-फॉल्ट थियोरी को अपनाया है. जिसमें पार्टनर्स एक-दूसरे की कमी को बताये बिना भी आसानी से तलाक ले सकते हैं. इसमें किसी भी पार्टनर पर कोई आरोप-प्रत्यारोप नहीं लगता है. नो-फॉल्ट तलाक’ यह सुनिश्चित करता है कि एक पति या पत्नी “प्रतिशोधात्मक रूप से” तलाक का विरोध नहीं कर सकते हैं और अपने साथी को जबरदस्ती की शादी में बंध कर नहीं सकते हैं. कुछ मामलों में, घरेलू दुर्व्यवहारकर्ता अपने पीड़ितों को और अधिक नुकसान पहुंचाने या उन्हें रिश्ते में फंसाने के लिए प्रक्रिया को चुनौती देने की अपनी क्षमता का उपयोग करता है, लेकिन ये थियोरी इस व्यवहार को ख़त्म कर देता है.
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रूस में सालों से हो रहा इस थियोरी का उपयोग
नो-फॉल्ट तलाक भले सुनने में नया लगे, लेकिन रूस में इस थियोरी का उपयोग 100 सालों से करता आ रहा है. ये बात 1917 की है, जब बोल्शेविक क्रांति में व्लादिमीर लेनिन ने देश को आधुनिक बनाने का जिम्मा लिया. इससे पहले तक रशियन ऑर्थोडॉक्स चर्च ही शादी और अलगाव से जुड़े मसले सुनता था. बोल्शेविक क्रांति के तुरंत बाद ही शादियों से धार्मिक चोला और बाध्यता हटा दी गई. शादियां पवित्र तब भी मानी जाती थीं, लेकिन किसी को उसमें बने रहने की जबर्दस्ती नहीं थी. रशियन रजिस्ट्री ऑफिस में जाकर जोड़े अलग होने के लिए अर्जी डालने लगे. तीन दिन के भीतर दूसरी पार्टी को नोटिस जाता और तुरत-फुरत फैसला भी होने लगा.
फायद है तो नुकसान भी है
ज्यादातर देशों में तलाक फॉल्ट पर आधारित होता है. लेकिन कुछ देश, जैसे यूनाइटेड किंगडम, अमेरिका के ज्यादातर राज्य, माल्टा, स्वीडन, स्पेन, मैक्सिको और चीन में नो-फॉल्ट डिवोर्स को मंजूरी मिली हुई है. हर चीज के दो पहलू होते हैं. उसी प्रकार तलाक की इस प्रक्रिया के भी दो पहलू हैं. अगर किसी चीज से फायदा हो रहा है तो उससे नुकसान होना भी संभव है. एक्सपर्ट्स की माने तो इस तरह का नियम मौकापरस्त लोगों के लिए अपने काम को अंजाम देना आसान कर देने वाला साबित हो सकता है. ऐसे में मौके का फायदा उठाने वाले पुरुषों की वजह से महिलाओं पर दोहरा बोझ बढ़ जायेगा और वो अकेली पड़ जायेंगी.
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