Vaishakh Amavasya 2023: वैशाख अमावस्या कब? जानें इस दिन का महत्व, करें ये उपाय, मिलेगी ग्रह दोष से मुक्ति
Vaishakh Amavasya 2023: वैशाख अमावस्या वैशाख के हिंदू महीने में आने वाली अमावस्या का दिन है जो आमतौर पर अप्रैल या मई में होती है. यह दिन हिंदू धर्म और वैदिक ज्योतिष में बहुत महत्व रखता है, क्योंकि यह वैशाख के नए चंद्र महीने की शुरुआत का प्रतीक है.
Vaishakh Amavasya 2023: वैशाख अमावस्या वैशाख के हिंदू महीने में आने वाली अमावस्या का दिन है जो आमतौर पर अप्रैल या मई में होती है. यह दिन हिंदू धर्म और वैदिक ज्योतिष में बहुत महत्व रखता है, क्योंकि यह वैशाख के नए चंद्र महीने की शुरुआत का प्रतीक है. वैशाख अमावस्या के दौरान, कुछ अनुष्ठानों को करने से व्यक्ति को आध्यात्मिक और भौतिक लाभ मिलता है. साथ बी पितरों को खुश करने और उनका आशीर्वाद लेने के लिए पूजा करने लिए शुभ दिन माना गया है. जानिए वैशाख अमावस्या 2023 कब है, इसका महत्व?
Vaishakh Amavasya: कुछ अनुष्ठआन करने से ग्रहों के बुरे प्रभाव दूर होते हैं
वैदिक ज्योतिष में वैशाख अमावस्या का व्यक्ति की कुंडली पर गहरा प्रभाव होता है. साथ ही, इस दिन कुछ अनुष्ठानों को करने से ग्रहों के बुरे प्रभावों को दूर करने और किसी के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने में मदद मिल सकती है. अंत में, वैशाख अमावस्या वैदिक ज्योतिष और हिंदू धर्म में एक आवश्यक दिन है. इसके अलावा इस दिन कुछ अनुष्ठान करने से व्यक्ति को आध्यात्मिक और भौतिक लाभ प्राप्त होते हैं.
साल का पहला सूर्य ग्रहण
वैशाख अमावस्या (Vaishakh Amavasya 2023) के दिन साल का पहला सूर्य ग्रहण (Surya Grahan 2023) लग रहा है. यानी 20 अप्रैल को वैसा समस्या है, और 20 अप्रैल को ही सुबह 7:00 बजकर 4 मिनट पर साल का पहला सूर्य ग्रहण लग रहा है. और दोपहर 12:00 बजकर 29 मिनट पर सूर्य ग्रहण समाप्त हो जाएगा. बता दें साल का यह पहला सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा. इसलिए इसका सूतक भी मान्य नहीं होगा.
Vaishakh Amavasya 2023: तिथि और शुभ मुहूर्त
इस साल वैशाख अमावस्या 20 अप्रैल को है. अमावस्या तिथि 19 अप्रैल 2023 को सुबह 11:25 बजे शुरू होगी और तिथि 20 अप्रैल 2023 को सुबह 09:41 बजे समाप्त होगी.
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Vaishakh Amavasya 2023: वैशाख अमावस्या का महत्व
वैशाख अमावस्या एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है जो वैशाख महीने (अप्रैल-मई) की अमावस्या के दिन पड़ता है. यह हिंदू पौराणिक कथाओं में बहुत महत्व रखता है और भारत के विभिन्न हिस्सों में लोग इसे विभिन्न रीति-रिवाजों और परंपराओं के साथ मनाते हैं.
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भगवान विष्णु की पूजा
इस दिन भक्त बड़ी श्रद्धा से भगवान विष्णु की पूजा करते हैं. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और पापों का नाश होता है.
नए साल की शुरुआत
वैशाख अमावस्या भारत के कुछ हिस्सों में, विशेष रूप से उत्तर भारत में हिंदू नव वर्ष की शुरुआत का प्रतीक है. यह नई शुरुआत का समय है और लोग अपने घरों की सफाई, नए कपड़े और बर्तन खरीदने और प्रार्थना करने के द्वारा जश्न मनाते हैं.
पवित्र नदियों में स्नान
वैशाख अमावस्या पर गंगा, यमुना और गोदावरी जैसी पवित्र नदियों में स्नान करना शुभ माना जाता है. यह अनुष्ठान पापों का नाश करता है और सौभाग्य और समृद्धि लाता है.
पितृ पक्ष
शाख अमावस्या भी पितृ पक्ष के अंत का प्रतीक है, 15 दिनों की अवधि जब हिंदू अपने पूर्वजों को विभिन्न अनुष्ठान करके और उन्हें भोजन और पानी चढ़ाकर श्रद्धांजलि देते हैं.
पेड़ लगाना
वैशाख अमावस्या के दौरान पेड़ और पौधे लगाना एक लोकप्रिय परंपरा है. इस दिन वृक्षारोपण करना सौभाग्य ला सकता है और मोक्ष प्राप्त करने में मदद कर सकता है.
वैशाख अमावस्या व्रत और पूजा विधि
प्रत्येक अमावस्या को व्यक्ति को अपने पितरों की मुक्ति के लिए व्रत करना चाहिए. वैशाख अमावस्या की पूजा विधि इस प्रकार है:
● सुबह किसी पवित्र नदी, सरोवर या तालाब में स्नान करें. सूर्य देव को अर्घ दें और बहते जल में तिल प्रवाहित करें.
● व्रत करें, अपने पितरों को तर्पण करें और गरीबों को वस्तुएं दान करें, ताकि आपके पूर्वजों को शांति और मुक्ति प्राप्त हो सके.
● चूंकि इस दिन शनि जयंती भी मनाई जाती है, इसलिए भगवान को तिल, तेल और फूल चढ़ाकर शनिदेव की पूजा करें.
● इस दिन पीपल के पेड़ पर सुबह जल चढ़ाएं और शाम को दीपक जलाएं.
● अपने मन की इच्छा के अनुसार किसी जरूरतमंद या ब्राह्मण को अनाज और वस्त्र खिलाएं और दान करें.
Story of Vaishakh Amavasya: वैशाख अमावस्या की कथा
धार्मिक शास्त्रों में वैशाख अमावस्या से जुड़ी एक कथा मिलती है. इसके अनुसार प्राचीन काल में धर्मवर्ण नाम का एक ब्राह्मण था. वह बहुत ही धार्मिक व्यक्ति थे और साधु-संतों का बहुत सम्मान करते थे. एक बार उन्होंने एक संत से सुना कि कलियुग में भगवान विष्णु के नाम का जाप करने से अधिक पवित्र और कुछ भी नहीं है. उन्होंने इस ज्ञान को आत्मसात किया, सांसारिक जीवन त्याग दिया और सन्यास ले लिया और यात्रा करने लगे. एक दिन भ्रमण करते हुए वे पितृ लोक पहुंचे. वहां धर्मवर्ण के पूर्वज बहुत कष्ट में थे. उन्होंने उससे कहा, हमारी यह दशा तुम्हारे त्याग (संन्यास) के कारण हुई है. अब हमें पिंडदान करने वाला कोई नहीं है, लेकिन अगर आप वापस जाकर अपना पारिवारिक जीवन शुरू करें, और संतान पैदा करें, तो हमें राहत मिल सकती है. साथ ही वैशाख अमावस्या के दिन विधि-विधान से हमारा पिंडदान करें. धर्मवर्ण ने उन्हें वचन दिया कि वह उनकी मनोकामना अवश्य पूर्ण करेगा. इसलिए, उन्होंने एक बार फिर सांसारिक जीवन को अपना लिया. वैशाख अमावस्या के दिन, उन्होंने पिंडदान के लिए सभी अनुष्ठान किए और इस तरह अपने पूर्वजों को मुक्त किया.