किसी भी चुनाव की वोटिंग के दौरान बाएं हाथ की तर्जनी उंगली में अक्सर आपने स्याही के निशान लगाए जाते हैं, ये बात हम सब जानते हैं, साथ ही ये भी जानके हैं कि ये निशान क्यों लगाए… लेकिन बाएं हाथ के दूसरी उंगली यानी तर्जनी उंगली में ही क्यों लगाई जाती ये शायद ही किसी को मालूम होगा, तो आज हम इस बारे में जानेंगे कि आखिर ऐसा करने के पीछे क्या वजह है…
जानकारी के मुताबिक मैसूर के राजा ने चुनाव के दौरान फर्जी मतदान रोकने में कारगर औजार के रुप में प्रयुक्त हाथ की उंगली के नाखून पर स्याही लगाई जाने वाली स्याही सबसे पहले मैसूर के महाराजा द्वारा वर्ष 1937 में स्थापित मैसूर लैक एंड पेंट्स लिमिटेड कंपनी ने बनायी थी. वर्ष 1947 में देश की आजादी के बाद मैसूर लैक एंड पेंट्स लिमिटेड सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी बन गई. अब इस कंपनी को मैसूर पेंट्स एंड वार्निश लिमिटेड के नाम से लोग जानते है. कर्नाटक सरकार की यह कंपनी अब भी देश में होने वाले प्रत्येक चुनाव के लिए स्याही बनाती है और इसका निर्यात भी करती है.
इस कंपनी का चयन वर्ष 1962 में पहली बार देश के तीसरे आम चुनाव में किया गया था. इस स्याही को बनाने की निर्माण प्रक्रिया गोपनीय रखी जाती है और इसे नेशनल फिजिकल लेबोरेटरी आफ इंडिया के रासायनिक फार्मूले का इस्तेमाल करके तैयार बनाया जाता है.
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वोटिंग के दौरान बांए हाथ की उंगली में इसलिए स्याही के निशान नहीं लगाए जाते क्योंकि दाहिने हाथ से खाना खाने के दौरान उसमें मौजूद कैमिकल स्वास्थ को नुकसान पहुंचा सकता है. इसलिए हमेशा बाएं हाथ की उंगली में निशान लगाए जाते हैं. वहीं ये भी माना जाता है कि जिनकी तर्जनी उंगली नहीं है उन्हें तर्जनी के बगल वाली उंगली में निशान लागाय जाता है, जबकि बांया हाथ नहीं होने पर दाहिए हाथ में और दोनों हाथ नहीं होने पर पैर की उंगलियों में निशान लगाए जाते हैं.
बताएं आपको कि एक बोतल में 10 एमएल स्याही होती है और हर एक बोतल की कीमत 127 रुपये के लगभग है. एक लीटर की कीमत 12 हजार 700 रुपये के करीब, वहीं एमएल (ml) के हिसाब से देखा जाए तो 1ml 12 रुपये 70 पैसे इसकी कीमत होगी.