Devmali: भारत का सर्वश्रेष्ठ पर्यटक गांव देवमाली क्यों है इतना खास? जानें
Devmali: आपको जानकर हैरानी होगी कि यहां किसी व्यक्ति के नाम पर भी इस गांव की जमीन नहीं है. गांव की करीब साढे़ तीन हजार बीघा जमीन उनके इष्टदेव भगवान देवनारायण की है और सरकारी रिकाॅर्ड में भगवान देवनारायण के नाम ही दर्ज है.
Devmali: आज मेरे यहां अचानक त्योहार का सा माहौल बन गया है. मेरे आंगन में खासी चहल-पहल दिख रही है. राजघराने से ताल्लुक रखने वाली एक बेहद प्रभावशाली महिला भारी-भरकम लवाजमे के साथ यहां पधारी हैं. उनके आगे-पीछे पलका मारते कैमरा वालों की टीम बीच-बीच में मेरी ओर भी फोकस मारती चल रही है. मेरे बेटे-बहुएं और बच्चे फूलमालाओं व पारंपरिक लोकगीतों से उनके स्वागत एवं आवभगत के लिए पलक-पांवड़े बिछाए खड़े हैं. अचानक हुई इस चहल-पहल ने मेरे मन में भी उत्सुकता जगा दी. मेरी फोटू खींचते एक कैमरामैन से माजरा जानना चाहा तो उसने बताया कि राजस्थान के पर्यटन को दुनिया के नक्शे पर उभारने के लिए दिन-रात पसीना बहाने वाली प्रदेश की उपमुख्यमंत्री और जयपुर के पूर्व राजघराने की राजकुमारी दिया कुमारी आपके आंगन में आई हैं. यह सुनकर बरसों उपेक्षा का दर्द सह रहा मेरा सीना गर्वानुभूति से भर गया. और मैं आश्चर्यचकित होकर उन्हें देखने लगा.
उपमुख्यमंत्री दिया मेरे घर-आंगन व गलियों में बड़ी उत्सुकता से घूमने लगी. जैसे वह कुछ खोज रही हों. उनके मुंह से मैंने मारवलस, ऑसम, ग्रेट, ब्यूटीफुल जैसे शब्द पहली बार सुने. इनका अर्थ तो नहीं समझा लेकिन राजकुमारी की भाव-भंगिमा से लग रहा था जैसे वे मेरे यहां आकर बेहद खुश हैं. सदियों पहले की याद दिलाते मेरे घास-फूस, लकड़ी और कच्ची मिट्टी से बने कच्चे मकान उन्हें आठवां आश्चर्य लग रहे थे. पीली मिट्टी और गाय के गोबर से लिपी मेरे घर की दीवारों से आती महक मानो उन्हें मोहित कर रही थी. मेरी बहुओं के द्वारा मिट्टी के चूल्हों पर पकाए जा रहे साग, मक्के की रोटी और लोढ़ी-सिलवटे पर पिसी जा रही चटनी की खुश्बू ने तो उनके मुंह में लार ही ला दी. वे अपने आप का रोक नहीं पाई तथा मेरी एक बहू के पास जाकर धरती पर बैठ गई और बड़े चाव से उसके हाथों की बनी मक्के की रोटी, लहसुन की चटनी एवं छाछ का छिक कर आनंद लिया. मेरे बेटे-बहुओं व बच्चों के आपसी प्रेम और सौहार्द से भी वे अभिभूत नजर आईं. वे डूंगरी ’पहाड़ी’ पर पहुंची और हमारे आराध्य देव भगवान देवनारायण के दर्शन किए. वे उनकी भक्ति में डूब गईं. इतना ही नहीं, लौटते समय मेरे एक चैराहे पर लिखे ’आई लव देवमाली’ के पास खड़े होकर एक यादगारी फोटो भी क्लिक कराया. अब आप समझ ही गए होंगे कि मैं कौन बोल रहा हूं. जी हां, आप बिल्कुल ठीक पहचाने, मैं राजस्थान के ब्यावर में बसा भारत का सर्वश्रेष्ठ पर्यटक गांव देवमाली ही बोल रहा हूं.
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भारत का सर्वश्रेष्ठ पर्यटक गांव देवमाली
आपको बता दूं, बीते सितम्बर महीने में ही मुझे यानी देवमाली गांव को भारत का सर्वश्रेष्ठ पर्यटक गांव घोषित किया गया है. अपनी समृद्ध सांस्कृतिक, सामाजिक और धार्मिक विरासत को सहेजे रहने के कारण मेरा चयन बेस्ट ट्यूरिस्ट विलेज के रूप में किया गया है. जब से मुझे बेस्ट ट्यूरिस्ट विलेज घोषित किया गया है तब से हजारों देसी-विदेशी पर्यटक मुझे देखने आ रहे हैं. देश-प्रदेश की राजधानियों सहित कई जगह के पत्रकार भी मेरा अनूठा सौंदर्य दुनिया को दिखाने के लिए आ रहे हैं. राजस्थान की उपमुख्यमंत्री दिया कुमारी भी जब बीते 16 नवंबर को विश्व प्रसिद्ध पुष्कर मेले में आई तो वे मेरे यहां आना नहीं भूलीं. पूर्व में अजमेर जिले में रहे और वर्तमान में ब्यावर जिले के मसूदा उपखंड में स्थित देवमाली गांव यानी मेरा दौरा किया. मुझे खुशी है कि राजस्थान पर्यटन विभाग मेरा संरक्षक बन गया है. अब मेरे यहां भी पर्यटन को पंख लग जाएंगे.
संस्कृति और परंपराओं ने बनाया अनूठा
अपनी करीब दसियों सदियों पुरानी परंपराओं को मैं संजोए हुए हूं. गुर्जर बहुल करीब 350 घरों वाली मेरी बस्ती में लगभग 2000 लोग एक ही दादा की औलाद हैं. सभी एक ही गोत्र के लोग यहां निवास करते हैं. मेरी खासियत यह भी है कि यहां सभी घर कच्चे हैं. इन पर केलू (लाल टाइल) की छत डाली गई है. यहां एक भी परिवार पक्के मकान में नहीं रहता. इसका कारण मेरे वाशिंदों के पूर्वजों का भगवान देवनारायण को दिया गया वचन है. मान्यता है कि एक बार भगवान देवनारायण यहां आए तो उन्होंने कुछ दिन रहने के लिए जगह मांगी. इस पर यहां के बाशिंदों ने उन्हें कहा कि आप पक्के घर में रहिए और हम कच्चे घर में रहेंगे. लोग अपने घरों में सीमेंट-बजरी का इस्तेमाल नहीं करते. ऐसा नहीं है कि लोगों के पास पैसा नहीं है. यहां कई धनवान परिवार रहते हैं, लेकिन वे पक्के मकान नहीं बनाते. मकान भले ही कच्चे हैं लेकिन इनमें सभी सुविधाएं मौजूद हैं. इन मकानों की खास बात ये है कि ये हर मौसम के अनुकूल हैं. ये सर्दी में गर्म और गर्मी में ठंडे रहते हैं. आपके लिए हैरानी की बात हो सकती है कि यहां लोग अपने घरों में ताले भी नहीं लगाते हैं. इसके बावजूद यहां कभी चोरी नहीं हुई है. मेरे बच्चों में इतना प्रेम है कि यहां कोई अपराधिक घटना भी नहीं घटी है. काई वाद-विवाद नहीं है. उन पर भगवान देवनारायण का आशीर्वाद है. यहां पहाड़ी की चोटी पर बना भगवान देवनारायण का मंदिर भी लोगों के आकर्षण का केन्द्र बना रहता है. यह मंदिर 7 बड़ी चट्टानों को जोड़कर बनाया गया है। मेरा नाम भी भगवान देवनारायण के नाम पर देवमाली रखा गया है.
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किसी व्यक्ति के नाम पर कोई जमीन नहीं
आपको जानकर हैरानी होगी कि यहां किसी व्यक्ति के नाम पर भी इस गांव की जमीन नहीं है. गांव की करीब साढे़ तीन हजार बीघा जमीन उनके इष्टदेव भगवान देवनारायण की है और सरकारी रिकाॅर्ड में भगवान देवनारायण के नाम ही दर्ज है. लोग बड़ी मजबूती से अपनी संस्कृति और रीति – रिवाजों का पालन करते हैं और पुरानी परंपराओं से काफी जुड़े हुए हैं. इतना ही नहीं, गांव के लोगों का रहन-सहन भी काफी अनोखा है. यहां कोई भी तामसी भोजन यानि मांसाहार नहीं करता. सभी शाकाहारी हैं. साथ ही, कोई भी व्यक्ति शराब को हाथ भी नहीं लगाता. इसके अलावा, यहां खाना बनाने के लिए या जलावन के लिए मिट्टी के तेल और नीम की लकड़ियों का इस्तेमाल करना बिल्कुल मना है.
होम स्टे से मिलेगा पर्यटन को बढ़ावा
देवमाली की समृद्ध सांस्कृतिक, सामाजिक और धार्मिक विरासत पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है. गांव में आने पर पुराने जमाने जैसी फील आती है. यहां आज की भाग-दौड़ भरी जिंदगी और गलाकाट प्रतिस्पर्धा से दूर थोड़े पल दादा-नाना के जमाने के सुकून में बिताने को मिलेंगे. युवा पीढ़ी अपने अतीत से परिचित होगी. आधुनिकता की अंधी दौड़ के बजाय अपनी विरासत को देख व समझ सकेगी. यहां से पर्यावरण संरक्षण की सीख भी ली जा सकती है. देवमाली के बाशिंदों का जीवनयापन खेती-बाड़ी और पशुपालन पर निर्भर है. इक्का-दुक्का लोग ही सरकारी सेवा में हैं. ग्रामीणों की आय बढ़ाने के लिए अब पर्यटन नया जरिया बनकर उभरा है. राज्य सरकार भी होम स्टे पाॅलिसी लागू कर यहां के लोगों को अपनी आय बढ़ाने का अवसर दे रही है. इसके तहत सैलानियों को कच्चे घरों में रहने और मिट्टी के चूल्हे पर बना खाना परासने की सुविधा दी जाएगी. आजकल सैलानी इसे खूब पसंद कर रहे हैं. साथ ही, पर्यटकों की सुरक्षा के लिए सीसीटीवी कैमरे और सुरक्षा गार्ड लगाने की भी प्रक्रिया चल रही है.
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गांव में हुई बॉलीवुड की भी एंट्री
देवमाली में बॉलीवुड की भी एंट्री हो चुकी है. गांव में हाल ही में अक्षय कुमार अभिनीत फिल्म जॉली एलएलबी-3 की शूटिंग हुई है. अक्षय कुमार के साथ ही अरशद वारसी, हुमा कुरैशी गांव में शूटिंग के लिए आए थे. दक्षिण भारतीय फिल्मों की भी यहां शूटिंग हुई है.
उपमुख्यमंत्री ने दिया पर्यटकों को देवमाली आने का न्योता
देवमाली आई प्रदेश की डिप्टी सीएम दिया कुमारी ने कहा कि सदियों पुरानीे सामाजिक- सांस्कृतिक विरासत सहेजे यह गांव अनूठा है. यहां आने पर यादगार अनुभव हुआ है. उन्होंने देवमाली को विश्व के पर्यटन मानचित्र पर उभारने का संकल्प किया. उ्नहोंने ने कहा कि, राजस्थान पर्यटन विभाग इसमें कोई कसर बाकी नहीं रखेगा. पर्यटकों के आने से देवमाली की माली हालत भी सुधरेगी. उन्होंने देसी-विदेशी पर्यटकों को देवमाली गांव आने का न्योता भी दिया.
इतना ही नहीं, दिया कुमारी ने ग्रामीणों की मांग पर देवनारायण मंदिर तक जाने के लिए रोप-वे निर्माण, ब्यावर से मसूदा तक फोरलेन सड़क और गांव में मोबाइल टाॅवर लगवाने की हामी भर कर देवमाली के विकास को नई दिशा देने का प्रयास किया.
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