Makar Sankranti 2023: मकर संक्रांति पर क्यों उड़ाए जाते हैं पतंग, जानें कहां से शुरू हुई ये परंपरा

Makar Sankranti 2023: हिंदू पंचांग के अनुसार मकर संक्रांति का पर्व पौष मास का अंतिम पर्व होता है. इस त्योहार के बाद सर्दी कम होने लगती है. यानी बसंत ऋतु की शुरुआत होती है. मकर संक्रांति का पर्व इस साल 15 जनवरी को मनाया जाएगा है.

By Bimla Kumari | January 15, 2023 8:43 AM

Makar Sankranti 2023: हिंदू पंचांग के अनुसार मकर संक्रांति का पर्व पौष मास का अंतिम पर्व होता है. इस त्योहार के बाद सर्दी कम होने लगती है. यानी बसंत ऋतु की शुरुआत होती है. मकर संक्रांति का पर्व इस साल 15 जनवरी को मनाया जाएगा है. इस दिन सूर्य धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करेगा. इसके मकर राशि में गोचर का कारण मकर संक्रांति कहा जाता है.

पतंग उड़ाने की परंपरा

मकर संक्रांति के दिन पतंग उड़ाने की परंपरा है. लोग छतों और मैदानों पर रंग-बिरंगी पतंगें उड़ाते नजर आते हैं. पतंग उड़ाने की मान्यता का संबंध मकर संक्रांति से है. इसके पीछे अच्छी सेहत का राज छिपा माना जाता है. दरअसल, मानक संक्रांति पर सूर्य से प्राप्त होने वाली धूप स्वास्थ्य लाभ देता है. वैज्ञानिक दृष्टि से इस दिन सूर्य की किरणें शरीर के लिए अमृत के समान होती हैं, जो विभिन्न रोगों को दूर करने में सहायक होती हैं.

औषधि के रूप में कार्य करता है

सर्दी के मौसम में खांसी, जुकाम और संक्रामक रोग हो जाते हैं. ऐसे में मकर संक्रांति के दिन सूर्य अस्त होता है. सूर्य के अस्त होने के कारण किरणें शरीर के लिए औषधि का काम करती हैं. इसी वजह से मकर संक्रांति के दिन पतंग उड़ाने से शरीर सूर्य की किरणों के संपर्क में रहता है.

भगवान राम ने उड़ाई थी पतंग

मान्यताओं के अनुसार, त्रेतायुग में मकर संक्रांति के दिन भगवान राम ने अपने भाइयों और हनुमान के साथ पतंग उड़ाई थी. तभी से मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने की परंपरा शुरू हुई है. इस दिन स्नान, पूजा और दान का बहुत महत्व होता है. ज्योतिष के अनुसार इस बार मकर संक्रांति की शुरुआत रूहानी नक्षत्र में हो रही है. यह नक्षत्र काफी शुभ माना जाता है. साथ ही ब्रह्म योग और आनंदादि योग बन रहे हैं, जो फलदायी माने गए हैं.

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