अप्रैल फूल तो खूब सुना, अब अप्रैल फिश को भी जान लीजिए, बड़ा लंबा रहा है इसका इतिहास
साल 1686 में, अंग्रेजी पुरातत्वविद जॉन ऑब्रे ने पहली बार 1 अप्रैल को मनाए जाने वाले "फूल्स होली डे" का उल्लेख किया था. संभवतः सबसे पहला अप्रैल फूल विज्ञापन एक अप्रैल 1698 को ब्रिटेन में प्रकाशित हुआ था.
आज सुबह ब्रेकफास्ट टेलीविजन शो नए उत्पादों, सेवाओं या खोजों के बारे में संगठनों और ब्रांड की ओर से अस्पष्ट, हालांकि थोड़ी विश्वसनीय घोषणाएं पेश करेंगे. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म भी इसी तरह के दावों से भरे होंगे. फिर परंपरागत रूप से, दोपहर के समय, ये संगठन कथित नए उत्पाद, सेवा या खोज की व्याख्या करते हुए “सफाई देते हैं” कि यह केवल ‘‘साधारण अप्रैल फूल मजाक’’ था. शायद आपको बर्गर किंग का “चॉकलेट व्हॉपर”, मैकडॉनल्ड्स “स्वीट ‘एन सॉर संडे” या ओपोर्टो के प्रसिद्ध बॉन्डी बर्गर से संबंधित परिणाम याद हों. 2022 में, सबवे का अप्रैल फूल “सबडॉग” भी एक वास्तविकता बन गया, जब मूर्ख बनाने के लिए की गई शरारत ने वास्तविक मांग को भड़का दिया. तो ‘अप्रैल फूल’ अंधानुकरण को ब्रांड क्यों पसंद करते हैं?
एक लंबा इतिहास
हालांकि ‘अप्रैल फूल’ दिवस की उत्पत्ति एक रहस्य बनी हुई है, फिर भी कुछ सिद्धांत हैं. कुछ लोगों का मानना है कि ‘अप्रैल फूल्स डे’ की शुरुआत संभवतः एक ऐसे उत्सव के रूप में प्राचीन रोमन काल में हुई जो यूरोप में सर्दियों के अंत और वसंत के आगमन की खुशी देता है. यह ठीक रोमन उत्सव हिलारिया के समान है जो मार्च के अंत में मनाया जाता है जिसमें मौज-मस्ती तथा उल्लास का माहौल रहता है एवं लोग अपना भेष भी बदलते हैं. वहीं, एक वैकल्पिक सिद्धांत यह बताता है कि ‘अप्रैल फूल’ दिवस की शुरुआत 16वीं शताब्दी में फ्रांस में उस समय हुई थी जब ग्रेगोरियन कैलेंडर की शुरुआत से पूर्व, नए साल की शुरुआत एक अप्रैल से होती थी। फ़्रांस में, “पॉइसन डी’एविल” (“अप्रैल फिश” – अप्रैल फूल्स डे पर मूर्ख बनाए गए व्यक्ति का नाम) का पहला संदर्भ 1508 में एलॉय डी’अमेरवल की कविता में दिखाई दिया.
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अप्रैल फूल विज्ञापन एक अप्रैल 1698 को ब्रिटेन में प्रकाशित
साल 1686 में, अंग्रेजी पुरातत्वविद जॉन ऑब्रे ने पहली बार 1 अप्रैल को मनाए जाने वाले “फूल्स होली डे” का उल्लेख किया था. संभवतः सबसे पहला अप्रैल फूल विज्ञापन एक अप्रैल 1698 को ब्रिटेन में प्रकाशित हुआ था, जिसमें भोले-भाले लोगों को “शेरों की धुलाई देखने” के लिए ‘टॉवर ऑफ़ लंदन’ में अपने किसी दोस्त को लाने के लिए आमंत्रित किया गया था। संगठनों ने वास्तव में 1950 के दशक से इस दिन का लाभ उठाना शुरू किया. वर्ष 1955 में, ‘पॉपुलर इलेक्ट्रॉनिक्स’ नामक पत्रिका ने “कॉन्ट्रा-पोलर एनर्जी” के बारे में एक लेख प्रकाशित किया था. फर्जी लेख में दावा किया गया कि सरकार ने द्वितीय विश्वयुद्ध के गुप्त इलेक्ट्रॉनिक्स विकास पर प्रतिबंध हटा दिया था। इससे पत्रिका अंततः नए “नकारात्मक ऊर्जा” नवाचार पर रिपोर्ट बनाने लगी जिनमें विद्युत उपकरणों का उनके सामान्य रूप से विपरीत प्रभाव उत्पन्न करना दर्शाया जाता. उदाहरण के लिए, टेबल लैंप जो “प्रकाश” के बजाय “अंधेरा” उत्पन्न करता है, या एक ‘इलेक्ट्रिक हॉटप्लेट’ जो पानी को उबालने के बजाय इसे जमा देती है.
एक अप्रैल के दिन लोगों को मूर्ख बनाना एक प्रथा सरीखा
इस तरह एक अप्रैल के दिन लोगों को मूर्ख बनाना एक प्रथा सरीखा बन गया और पूरी दुनिया में संगठन तथा ब्रांड इसका लाभ उठाने लगे. ब्रांड संगठनों के लिए हास्य क्यों महत्वपूर्ण हो गया हास्य, चुटकुले और मज़ाक संगठनों या ब्रांड के बजाय मनुष्यों से अधिक जुड़े हुए हैं. हम सभी के परिवार में कोई न कोई ऐसा सदस्य या दोस्त होता है जिसे हम बहुत मज़ाकिया या थोड़ा मसखरा मानते हैं. व्यक्ति आम तौर पर ऐसे साथी की चाहत रखते हैं जिसे “हास्य की अच्छी समझ” हो. हास्य कला कार्यस्थलों पर सहकर्मियों के बीच संबंधों का निर्माण कर सकती है। संगठन और ब्रांड इन्हीं परिणामों को प्राप्त करना चाहते हैं.
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