Winter Solstice 2023: दिसंबर की इस तारीख को रात होगी 16 घंटे की, जानें सबसे लंबी ‘रात’ के पीछे क्या है विज्ञान
विंटर सोलिस्टिस पर सूर्य आकाश के माध्यम से सबसे छोटे रास्ते से यात्रा करता है, जिसके परिणामस्वरूप साल का यह दिन सबसे कम सूरज की रोशनी वाला होता है और इसलिए, सबसे लंबी रात होती है.
विंटर सोलिस्टिस, या दिसंबर सोलिस्टिस, वह प्वाइंट है, जहां आकाश में सूर्य का मार्ग सबसे दूर दक्षिण की ओर होता है. विज्ञान की भाषा में इसे दक्षिणायन भी कहा जाता है. इस दौरान उत्तरी ध्रुव पर रात हो जाती है जबकि दक्षिणी ध्रुव पर सूर्य चमकता रहता है.
क्या होता है विंटर सोलिस्टिस के दौरान
विंटर सोलिस्टिस पर सूर्य आकाश के माध्यम से सबसे छोटे रास्ते से यात्रा करता है, जिसके परिणामस्वरूप साल का यह दिन सबसे कम सूरज की रोशनी वाला होता है और इसलिए, सबसे लंबी रात होती है. इस दौरान रात इसमें करीब 16 घंटे की होती है जबकि दिन करीब 8 घंटे ही रहता है.
शीतकालीन संक्रांति
22 दिसंबर को शीतकालीन संक्रांति भी कहा जाता है. विज्ञान की भाषा में इसे दक्षिणायन भी कहा जाता है. रात इसमें करीब 16 घंटे की होती है जबकि दिन करीब 8 घंटे ही रहता है. इस दौरान उत्तरी ध्रुव पर रात हो जाती है जबकि दक्षिणी ध्रुव पर सूर्य चमकता रहता है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि इस वक्त पृथ्वी अपने घूर्णन के अक्ष पर लगभग 23.5 डिग्री झुकी हुई होती है.
Also Read: Year Ender 2023: भारतीय सैलानियों ने Google पर इन 5 ट्रैवल स्पॉट को किया सबसे अधिक सर्च, देखें लिस्टविंटर सोलिस्टिस एक वार्षिक घटना
शीतकालीन संक्रांति एक वार्षिक घटना है, पृथ्वी वास्तव में हर साल दो शीतकालीन संक्रांति का अनुभव करती है. एक उत्तरी गोलार्ध में और दूसरा दक्षिणी गोलार्ध में. ग्रीष्म संक्रांति (जब यह भाग सूर्य की ओर झुका होता है) 20-21 जून के आसपास होती है, जबकि शीतकालीन संक्रांति 21-22 दिसंबर के आसपास होती है.
शीतकालीन संक्रांति के पीछे का विज्ञान?
अब हम जानते हैं कि पृथ्वी सूर्य के चारों ओर घूमती है जिसके परिणामस्वरूप क्रमशः मौसम और दिन-रात में परिवर्तन होता है. हालांकि पृथ्वी की घूर्णन धुरी सीधी नहीं है बल्कि सूर्य के चारों ओर अपनी कक्षा के सापेक्ष लगभग 23.5 डिग्री के कोण पर झुकी हुई है. इस झुकाव के कारण, सूर्य के प्रकाश को पृथ्वी के अधिक वायुमंडल से गुज़रना पड़ता है, जिससे यह कमज़ोर हो जाता है और फैल जाता है.
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इससे ठंड बढ़ जाती है और हमें दिन छोटे और रातें लंबी होने का अनुभव होता है. सूर्य आकाश में नीचे दिखाई देता है, जिससे उसकी छाया लंबी हो जाती है. तो, शीतकालीन संक्रांति ऐसा है जैसे पृथ्वी सूर्य से थोड़ा दूर झुक रही है, जिसके कारण हमें वर्ष का सबसे ठंडा और सबसे अंधेरा हिस्सा मिलता है.
6 महीने के लिए बढ़ जाती है सूरज से दूरी
अब बात करते हैं उत्तरी गोलार्ध की, तो ये साल के 6 महीने सूरज की ओर झुका रहता है. इससे सूरज की अच्छी-खासी रोशनी इस पूरे दौरान आती है और इन महीनों में गर्मी रहती है. वहीं बाकी 6 महीनों में ये क्षेत्र सूरज से दूर हो जाता है, तब से ही दिन छोटे होने लगते हैं.