महिलाओं को कार्यस्थल पर मिल रहे हैं पुरुषों के समान अवसर
वर्कफोर्स में महिलाओं की भागीदारी बढ़ रही है. इसके साथ ही महिलाओं को प्रोफेशनल करियर के लिए मिलने वाले अवसरों के संबंध में किये गये एक सर्वे के अनुसार 80 प्रतिशत पेशेवर महिलाएं मानतीं हैं कि उनको भी पुरषों के समरल ही करियर में आगे बढ़ने के अवसर मिल रहे हैं.
अक्सर चर्चा होती है कि महिलाओं को करियर में पुरुषों के समान अवसर नहीं मिल रहे है. लेकिन एक हालिया सर्वेक्षण ने इस बात को खरिज करते हुए बताया कि प्रोफेशनल कार्यों में जुड़ी 80 प्रतिशत महिलाएं खुद मानतीं है कि उन्हें पुरुषों के समान अवसर मिले हैं. आइए, जानते हैं इस सर्वेक्षण से जुड़ी अन्य जानकारी.
वर्कफोर्स में बढ़ रही महिलाओं की भागीदारी
वर्कफोर्स में महिलाओं की भागीदारी बढ़ रही है. इसके साथ ही महिलाओं को प्रोफेशनल करियर के लिए मिलने वाले अवसरों के संबंध में किये गये एक सर्वे के अनुसार 80 प्रतिशत पेशेवर महिलाएं मानतीं हैं कि उनको भी पुरषों के समरल ही करियर में आगे बढ़ने के अवसर मिल रहे हैं. नौकरी और पेशेवर नेटवर्किंग मंच ‘अपना डॉट सीओ’ ने अपनी एक सर्वेक्षण रिपोर्ट में इसकी जानकारी दी है. रिपोर्ट में कहा गया है कि यह धारणा में एक महत्वपूर्ण बदलाव दिखाता है. महिलाएं अब मानती हैं कि उनके पास भी करियर में पुरुषों के समान अवसर हैं. यह रिपोर्ट जुलाई में किये गये विभिन्न उद्योगों में कार्यरत 10,000 से अधिक महिलाओं के ऑनलाइन सर्वेक्षण पर आधारित है.
75% महिलाएं कार्यस्थल पर अपनी चिंताओं को एचआर या वरिष्ठों से साझा करने में नहीं हिचकिचाती
65% महिलाओं ने वर्तमान कार्यस्थल में लैंगिक वेतन समानता देखी है.
80% महिलाओं ने माना कि सामाजिक अपेक्षाएं करियर संबंधी निर्णयों और आकांक्षाओं को अधिक प्रभावित करती हैं.
60% महिलाओं ने प्रोफेशनल करियर के दौरान भेदभाव का सामना करना पड़ा है.
63% महिलाओं के पास मेंटरशिप के अवसर थे
56% महिलाओं को मेंटरशिप का लाभ उठाने में मुश्किलों का सामना करना पड़ा
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महिलाएं आगे बढ़ सकें और समान स्तर पर योगदान कर सकें
‘अपना.सीओ’ के संस्थापक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) निर्मित पारिख ने कहा, ये निष्कर्ष कार्यस्थलों के भीतर महिला-पुरुष समानता और समावेशन को बढ़ावा देने के लिए हमारे समर्पण की पुष्टि करते हैं. जैसा कि हम इस स्पष्ट सामुदायिक समर्थन को देखते हैं, यह एक ऐसा वातावरण बनाने की हमारी प्रतिबद्धता को मजबूत करता है, जहां महिलाएं आगे बढ़ सकें और समान स्तर पर योगदान कर सकें.
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वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की ताजा रिपोर्ट में दिखा जेंडर गैप में सुधार
वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की रिपोर्ट 2023 में लैंगिक समानता के मामले में भारत की रैंकिंग में मामूली सुधार देखने को मिला है. हालांकि, इसके बावजूद भारत अब भी दुनियाभर के देशों से काफी पीछे है. दुनियाभर के 146 देशों में भारत की रैंकिंग 127 है. पिछले साल के मुकाबले भारत की रैंकिंग में इस बार आठ अंकों का सुधार हुआ है. वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की 2022 की रिपोर्ट में कुल 146 देशों में भारत की रैंकिंग 135 थी. ताजा रिपोर्ट में बताया गया है कि पिछले साल के मुकाबले इस साल भारत की रैंकिंग में 1.4 प्रतिशत अंकों का सुधार हुआ है. हालांकि आर्थिक भागीदारी के मामले में काफी कम रफ्तार दिख रही है, इसमें भारत सिर्फ 36.7 प्रतिशत तक पहुंच पाया है. लैंगिक समानता के मामले में नेपाल, भूटान, चीन, श्रीलंका और बांग्लादेश की रैंकिंग भारत से काफी बेहतर है. इस इंडेक्स में बांग्लादेश को 59वीं, चीन को 107वीं, नेपाल को 116वीं, भूटान को 103 और श्रीलंका को 115वीं रैंक मिली है. वहीं पाकिस्तान को 142वीं रैंक पर रखा गया है. दुनियाभर के देशों में सबसे बेहतर प्रदर्शन आइसलैंड का रहा है, जिसने लगातार 14वें साल में 90 प्रतिशत से ज्यादा लिंग अंतर को कम किया है.
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