शिक्षा का उपयोग कर अपने निजी जीवन में स्वास्थ्य और खुशी को बढ़ाने में सहायक हो स्त्री
स्त्री परिवार की धुरी है जिसके चारों तरफ परिवार का ताना बाना चलता है. अगर वह प्रसन्नचित्त होती है तो परिवार के अन्य सदस्य भी उसकी प्रसन्नता उसके द्वारा किए गए कार्यो के प्रभाव से ही महसूस कर लेते हैं
स्त्री परिवार की धुरी है जिसके चारों तरफ परिवार का ताना बाना चलता है. अगर वह प्रसन्नचित्त होती है तो परिवार के अन्य सदस्य भी उसकी प्रसन्नता उसके द्वारा किए गए कार्यो के प्रभाव से ही महसूस कर लेते हैं. स्त्री परिवार का स्तम्भ होती है अगर वह मजबूत होती है तो सभी को उससे मजबूत रहने की प्रेरणा मिलती है और सभी कठिन परिस्थितियों में उसकी तरह ही दृढ़ इच्छा शक्ति का परिचय देती है. स्त्री मां के रूप में अपनी सन्तान के लिए आदर्श स्थापित करती है जिससे कि सन्तान को अपने भविष्य में अपना मार्ग प्रशस्त करने की प्रेरणा मिलती है. स्त्री पत्नी के रूप में पति की सहयोगी बनती है.
स्त्री सास के रूप में बहू का मार्ग दर्शन करती है. स्त्री बहू के रूप में परिवार की परम्पराओं को आगे बढ़ाने में अग्रणी भूमिका निभाती है. स्त्री बेटी के रूप घर में प्रेम का संचार करती है,परिवार के सदस्यों को प्रेम देकर बदले में प्यार लेती है।स्त्री दोस्त के रूप में अनूठेपन का उदाहरण समाज को देती है.
कार्य स्थल में महिलाएं छोटे से छोटे पद से लेकर बड़े से बड़े पद पर आसीन है. महिलाओं की भागीदारी सर्वत्र है. परन्तु महिला सशक्तीकरण के तमाम प्रयासों के बावजूद देश की कुल श्रमशक्ति के में औरतों की भागीदारी कम हो रही है. महिलाओं की भागीदारी देश की अर्थ व्यवस्था में कम होने का एक बड़ा कारण यह भी है कि उच्च शिक्षा प्राप्त महिलाओं को शादी के बाद घर बैठ जाना पड़ता है इससे बहुत बड़े स्तर पर टैलेंट की बर्बादी होती है. अपने सन्तान की परवरिश और स्वयं के करियर के बीच में पिस जाती है. जिसका परिणाम यह होता है कि उसके ऊपर दोहरी जिम्मेदारी आ जाती है. परन्तु इसका भी पालन वह बड़े ही दृढ़संकल्प के साथ करती है. और विजयी होकर समाज के लिए उदाहरण स्वरूप हो जाती है.
स्त्री दिवस मनाने की सार्थकता तभी है जब स्त्री अपनी पहचान बनाने में पूर्णतः सफल हो जाती है. चाहे यह पहचान उसके कार्यस्थल में हो या एक माँ, पत्नी, बहू या बेटी के रूप में हो. और अगर स्त्री शिक्षित हो तो वह इसे और बेहतर कर सकती है उन लोगों के वनिसपत जो किसी कारण से शिक्षा से वंचित रह गए हों. इसलिए आज हमारे समाज में बालिकाओं की शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जो उन्हें धनोपार्जन में तो सहायता करे ही साथ ही साथ वह शिक्षा का उपयोग अपने निजी जीवन में स्वास्थ्य और खुशी को बढ़ाने में सहायक हो.
आत्मसंतुष्टि ही खुशी का एकमात्र साधन है जो हमें रोगों से दूर रखने में भी मदद करता है. तनाव को दूर रखने में भी मदद करता है. स्त्री की शिक्षा ही परिवार में सर्वोपरि माएने रखती है. क्योंकि वही घर की अन्नपूर्णा भी होती है और किसे किस प्रकार का भोजन देना है वह अपने शिक्षा के माध्यम से तय करती है. स्त्री की शिक्षा पूरे परिवार के स्वास्थ्य में योगदान देती है. स्त्री शक्ति का रूप इसलिए है क्योंकि आज की शिक्षित स्त्री में वह ताकत है जो स्वस्थ समाज का निर्माण कर सकती है.
डॉक्टर किरन राय
कंसल्टेंट होम्योपैथ
एक्स लेक्चरर SHMC Jamshedpur
वर्तमान प्रैक्टिस स्थल:एस बी कॉम्प्लेक्स
नियर चिन्मया विद्या लय टेलको