World Meditation Day 2022: आज विश्व भर में विश्व मेडिटेशन डे मनाया जा रहा है. इसे हर साल 20 मई को मनाया जाता है. ध्यान न केवल अच्छे मानसिक स्वास्थ्य की सुविधा देता है बल्कि शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी महत्वपूर्ण है. ध्यान अभ्यास तनाव के स्तर को कम करने के लिए जाना जाता है. यह व्यक्तियों में फोकस को बढ़ाता है.
मेडिटेशन की दिलचस्प बात यह है कि हर मेडिटेशन सेशन दूसरे से अलग होता है. जबकि प्रक्रिया वही रहती है, व्यक्ति और उनकी मानसिकता के आधार पर भावना बदलती रहती है. प्रत्येक गहरी सांस के साथ, इसके बाद आने वाली भावना समय-समय पर बदलती रहती है. श्री श्री परमहंस योगानन्द ने कहा था “अपनी स्वप्न जनित मर्त्य चेतना को भूल जाओ, जागो और जानो की आप और इश्वर एक हैं.” आइए जानें श्री श्री परमहंस योगानन्द के अनुसार जीवन में ध्यान की क्या अहमियत है.
ध्यान वह विज्ञान है जो आत्मा को अनंत आत्मा या परमात्मा से पुनः एकाकार करता है. गहराई से नित्य ध्यान का अभ्यास करने से आप अपनी आत्मा को जागृत कर सकते हैं — अपने अस्तित्व के केंद्र में दिव्य चेतना के शाश्वत आनंद का अनुभव. अपनी आत्मा के असीमित कोष को खोलने की समय-सिद्ध विधि है योग एवं ध्यान. यह विचार करने की अस्पष्ट मानसिक प्रक्रिया या दार्शनिक विवेचना नहीं है.
यह सीधी विधि है जीवन के भटकाव और वैचारिक उथल-पुथल को शांत कर अपने असली स्वरूप का उदघाटन करने की — उस स्वरूप का जो अद्भुत और दिव्य है. ध्यान के अनुशासन द्वारा हम अपने अंतर्जगत में ध्यान एकाग्र करना सीखते हैं जहां हमें अपने अंदर के उस धाम का अनुभव होता है जहां अचल शांति एवं आनंद का निवास है.
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ध्यान के बहुत से लाभ हैं. नित्य प्रति अभ्यास के द्वारा शरीर, मन तथा अंतःकरण में सूक्ष्म बदलाव आने लगते हैं. कुछ लाभ तुरंत ही दिखाई देने लगते हैं; लेकिन कुछ समय के साथ धीरे-धीरे आते हैं जिन्हें स्पष्ट दिखाई देने में समय लगता है.
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ध्यान का सबसे प्रथम लाभ है आंतरिक शांति, साथ ही बेहतर समझ, स्पष्ट सोच और अंतःकरण से मार्गदर्शन प्राप्त होना.
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जीवन के दिन प्रतिदिन के क्रियाकलापों को करने में ध्यान से निष्पक्षता एवं अंतर्बोध प्राप्त होता है. इससे साधक की एकाग्रता व क्षमता बढ़ती है और काम के प्रति रुझान में सुधार होता है.
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संबंधों व पारिवारिक जीवन में अधिक सूझबूझ, समन्वय एवं सुख झलकने लगता है. दूसरों के साथ आदान-प्रदान की भावना उत्पन्न होती है और निष्काम प्रेम भाव जागृत हो जाता है.
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शरीर में प्राण ऊर्जा का संतुलन बेहतर होने लगता है जिससे तनाव दूर होता है और स्वास्थ्य तथा उल्लास बढ़ते हैं.
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सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि ध्यान साधक की चेतना को परमात्मा की चेतना से एकाकार करता है जिससे जीवन के उतार-चढ़ाव के बीच साधक के अंत:करण में स्थाई आंतरिक प्रसन्नता बनी रहती है.