World Milk Day 2022: विश्व दूध दिवस आज, जानें इसे मनाने का क्या है कारण और इस साल की थीम
World Milk Day 2022: जून को विश्व दुग्ध दिवस यानी वर्ल्ड मिल्क डे मनाया जा रहा है. विश्व दुग्ध दिवस की शुरुआत साल 2001 में इस दिन को मनाने की शुरुआत हुई थी. इसकी शुरुआत संयुक्त राष्ट्र के विभाग खाद्य और कृषि संगठन द्वारा की गई थी.
World Milk Day 2021: दुनिया भर में 1 जून को विश्व दुग्ध दिवस यानी वर्ल्ड मिल्क डे (World Milk Day) मनाया जाता है. स्वास्थ्य (Health) के लिए दूध कितना महत्व रखता है और ये हमारी डाइट का कितना जरूरी हिस्सा है. इस बात को समझाने और दूध को डाइट में शामिल करने के लिए जागरुक करने के उद्देश्य से इस दिन को मनाया जाता है.
विश्व दुग्ध दिवस की शुरुआत साल 2001 में इस दिन को मनाने की शुरुआत हुई थी. इसकी शुरुआत संयुक्त राष्ट्र के विभाग खाद्य और कृषि संगठन द्वारा की गई थी.
पिछले साल विश्व दुग्ध दिवस में 72 देशों ने भाग लिया था. इन देशों में लगभग 586 प्रोग्राम्स का आयोजन किया गया था. आपको बता दें कि भारत में 1 जून के विश्व दुग्ध दिवस व 26 नवंबर के राष्ट्रीय दुग्ध दिवस मनाया जाता है. क्योंकि इसी दिन साल 1921 में श्वेत क्रांति के जनक व भारत में दुग्ध उत्पादन के जनक कहे जाने वाले वर्गीज कुरियन का जन्म हुआ था.
ये 8 प्रकार के दूध होते हैं विशेष
सामान्यत: दूध मधुर, चिकना, ओज एवं रस आदि धातुओं को बढ़ाने वाला, वात पित्त कम करने वाला, वीर्य को बढ़ाने वाला, कफकारक, भारी और शीतल होता है. आयुर्वेद के आचार्यों ने मुख्य रूप से 8 प्रकार के दूध का उल्लेख किया है. इसमें गाय, भैंस, बकरी, ऊंटनी, घोड़ी, हथिनी, गधी और स्त्री के दुग्ध पर विशेष वर्णन मिलता है. इन आठों में से स्त्री यानी मां का दूध सर्वोत्तम बताया गया है. इसके बाद गाय और बकरी के दूध को अधिक फायदेमंद बताया है.
विश्व दुग्ध दिवस 2022 थीम
एफएओ की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, का विचार विश्व दुग्ध दिवस दुनिया में दूध और डेयरी क्षेत्र के योगदान का जश्न मनाना है. बयान में कहा गया है, “दूध और डेयरी उत्पादों के लाभों को दुनिया भर में सक्रिय रूप से बढ़ावा दिया गया है, जिसमें डेयरी एक अरब लोगों की आजीविका का समर्थन करता है.”
2022 में, विश्व दुग्ध दिवस का विषय जलवायु परिवर्तन संकट पर ध्यान आकर्षित करना और कैसे डेयरी क्षेत्र ग्रह पर इसके प्रभाव को कम कर सकता है. इसका उद्देश्य अगले 30 वर्षों में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करके और डेयरी क्षेत्र को टिकाऊ बनाने के लिए अपशिष्ट प्रबंधन में सुधार करके ‘डेयरी नेट जीरो’ हासिल करना है.