World Press Freedom Day 2023: विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस आज, जानें वर्तमान संदर्भ में क्या है प्रेस की आजादी

World Press Freedom Day 2023: 3 मई 1787 को संयुक्त राज्य अमेरिका के संविधान में पहली बार संशोधन कर प्रेस की स्वतंत्रता को शामिल किया गया.संयुक्त राष्ट्र की महासाभा ने 3 मई 1993 को विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस का ऐलान किया. तब से ही दुनियाभर में 3 मई को विश्व प्रेस की स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है.

By Shaurya Punj | May 3, 2023 1:40 PM

प्रियरंजन

World Press Freedom Day 2023: प्रेस को लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के रूप में जाना जाता है . उल्लेखनीय है कि लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करने, मानवाधिकारों की सुरक्षा करने तथा भ्रष्टाचारों को उजागर करने में वर्तमान में प्रेस की महत्वपूर्ण भूमिका है. इसी कारण प्रेस को लोकतंत्र का सबसे महत्वपूर्ण पहिया माना जाता है . लेकिन इसके साथ प्रेस की आजादी काफी महत्वपूर्ण तत्व है. हम प्रेस की आजादी के बिना लोकतंत्र का अस्तित्व की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं.

3 मई 1993 को हुआ था विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस का ऐलान

सर्वप्रथम प्रेस की स्वतंत्रता को संयुक्त राज्य अमेरिका के संविधान में शामिल किया गया. विदित हो कि 3 मई 1787 को संयुक्त राज्य अमेरिका के संविधान में पहली बार संशोधन कर प्रेस की स्वतंत्रता को शामिल किया गया.संयुक्त राष्ट्र की महासाभा ने 3 मई 1993 को विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस का ऐलान किया. तब से ही दुनियाभर में 3 मई को विश्व प्रेस की स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है. इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य है प्रेस की आजादी के महत्व को बताना .

रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स में भारत 150वें स्थान पर

भारत में प्रेस की स्वतंत्रता को संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के सन्दर्भ में अभिलिखित किया गया है. विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक 2021′ की सूची में भारत 142वें स्थान पर था. 3 मई, 2022 को विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस (WPFD) के अवसर पर ‘रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स’ (RSF) के 20वाँ संस्करण सूचकांक में 180 देशों में भारत 150वें स्थान पर रहा .

साहित्यिक एवं सांस्कृतिक अभिरुचि जगाने में रहा योगदान

वर्तमान संदर्भ में देखा जाय तो यह ज्ञात होता है कि प्रेस की आजादी के प्रतिमान बदल गए हैं . बालकृष्ण भट्ट, महावीर प्रसाद द्विवेदी,गणेश शंकर विद्यार्थी,धर्मवीर भारती एवं महात्मा गांधी जैसे महान सम्पादकों की श्रृंखला नहीं है जिसका प्रमुख एक कारण प्रेस का व्यवसायिकरण होना है. हालाकि इसके बावजूद भी वर्तमान समय में प्रेस भारतीय राजनीति, समाज, आर्थिक और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के विकास में महत्त्वपूर्ण एवं प्रभावशाली भूमिका का निर्वहन कर रहा है. इसका प्रभाव प्रत्येक क्षेत्र में देखा जा सकता है. सूचना, मनोरंजन, शिक्षा, खेलकूद, सिनेमा, रंगमंच, अंतर्राष्ट्रीय घटनाओं, सरकारी नीतियों, प्रादेशिक क्षेत्रीय और स्थानीय घटनाओं की जानकारी देने का माध्यम बना हुआ है. यहां तक की साहित्यिक एवं सांस्कृतिक अभिरुचि जगाने में भी योगदान दे रहा है.सामाजिक सुधार कार्यक्रमों को प्रोत्साहित किया है . समाज के समक्ष आधुनिक वैज्ञानिक और दार्शनिक उपलब्धियों को रखकर यह नई चेतना और विश्वबंधुत्व की भावना जागृत कर रही है. यह सरकार पर नियंत्रण रखने का एक प्रभावशाली अस्त्र भी है.

प्रेस के समक्ष चुनौतियां हमेशा से रही

लेकिन वर्तमान में इसके समझ कई चुनौतियां भी मौजूद हैं . एक ओर डिजिटल क्रांति के तकनीकों ने मीडिया के क्षेत्र को पूरी तरह बदलकर रख दिया है तो दूसरी तरफ विज्ञापन के प्रभाव से यह क्षेत्र अछूता नहीं रह गया है. गरीब जनता तक कैमरा जितनी पहुंचनी चाहिए उतनी नहीं पहुंच रही है. जबकि हम जानते हैं कि प्रेस का काम केवल सूचना देना ही नहीं है बल्कि समाज के सबसे निचले पैदान पर खड़े व्यक्ति की जिंदगी के विभिन्न आयाम की जानकारी लेना तथा समाज को शिक्षित करना भी है. हालांकि प्रेस के समक्ष चुनौतियां हमेशा से रही हैं और हर चुनौती का सामना करते हुए ही वर्तमान स्वरूप तक पहुंचा है. लेकिन अभी भी प्रेस को उचित स्थान पर प्रतिस्थापित एवं प्रतिष्ठित करने तथा इसके लिए ठोस कदम उठाने हेतु मीडिया समूह तथा संपादक वर्ग को पुनः चिंतन करने की आवश्यकता है.

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