World Rabies Day 2022: आज के दिन यानी 28 सितंबर ‘विश्व रेबीज दिवस’ मनाया जाता है. रेबीज वायरस है जो कुत्तों के काटने से होता है सही समय पर उपचार नहीं मिलने से कई सारे साइड इफेक्ट्स सामने आते हैं. इसलिए कुत्तों के काटने पर जल्द से जल्द डॉक्टर से इलाज कराने की जरूरत होती है.
डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, भारत में हर साल तकरीबन 20,000 रेबीज से मौतें होती हैं. रेबीज ने पिछले पांच वर्षों में भारत में COVID-19 से ज्यादा लोगों की जान ली है. एक विशेष दिन पर, वैश्विक रेबीज समुदाय दूसरों के बीच इस संक्रामक बीमारी को सूचित करने और उससे निपटने में मदद करता है.
इस साल 16वां विश्व रेबीज डे मनाया जाएगा. रेबीज डे को हर साल नई थीम के साथ सेलिब्रेट किया जाता है और इस साल की थीम ‘रेबीज: वन हेल्थ, जीरो डेथ्स’ है. ये थीम मनुष्यों और जानवरों के बीच के संबंध को हाइलाइट करेगी.
विश्व रेबीज दिवस पहली बार 28 सितंबर, 2007 को मनाया गया था. विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ सेंटर फोर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन, अमेरिका और एलायंस फोर रेबीज कंट्रोल के बीच साझेदारी में कार्यक्रम का आयोजन किया गया. अंतरराष्ट्रीय अभियान की शुरुआत दुनिया में रेबीज के प्रतिकूल प्रभावों से पीड़ित होने के बाद की गई.
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बुखार आना, सिरदर्द.
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मुंह में अत्यधिक लार बनना.
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व्यावहारिक ज्ञान शून्य होना, मानसिक विक्षिप्तता.
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हिंसक गतिविधियां.
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अति उत्तेजक स्वभाव.
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अजीब तरह की आवाजें निकालना.
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हाइड्रोफोबिया (पानी से डर लगना).
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अपने में खोए रहना.
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शरीर में झनझनाहट होना.
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अंगों में शिथिलता आना.
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पैरालाइज हो जाना.
जानवर के काटने पर बिना समय गवाए तत्काल उस जगह को साबुन या किसी एंटीसेप्टिक लोशन से अच्छी तरह साफ कर लेना चाहिये. इसके बाद नजदीकि चिकित्यक से संपर्क करें. बिना देर किए 48 घंटे के अंदर रेबीज की वैक्सीन जरूर लगवाएं.
रेबीज का संक्रमण कई दिनों या सालों बाद लक्षण उभर सकता है. माना जाता है कि अगर गर्दन या सर के आस पर जानवर काट लेता है तो उसका संक्रमण जल्दी से फैलता है. रेबीज के प्रारंभिक लक्षणों में आमतौर पीड़ित व्यक्ति को उस जगह पर झुनझुनी होती है, जिस जगह जानवर ने उसे काटा है. इसके अलावा बुखार, भूख न लगना और सिरदर्द जैसी शिकायत भी शुरू हो जाती है. इसलिए अगर किसी व्यक्ति को जानवर ने काटा है, तो उसे जल्द से जल्द चिकित्सक से मिलना चाहिए और एंटीरेबीज टीके लगवाने चाहिए.