भारत संस्कृति, परंपराओं, जाति और पंथ में विविधता वाला देश है. आदिवासी आबादी के अधिकारों को बढ़ावा देने और उनकी रक्षा करने और दुनिया को रहने के लिए एक बेहतर जगह बनाने में उनके योगदान और उपलब्धियों को स्वीकार करने के लिए हर साल 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस के रूप में मनाया जाता है. इसे वर्ल्ड ट्राइबल डे के रूप में भी जाना जाता है, यह दुनिया भर में आदिवासी समुदाय के बुनियादी अधिकारों की रक्षा के लिए प्रयास करने का एक आदर्श अवसर है.
आदिवासी आबादी के बारे में जागरूकता बढ़ाना उद्देश्य
इस विशेष दिन का उद्देश्य दुनिया भर में आदिवासी आबादी के बारे में जागरूकता बढ़ाना और उनके अधिकारों की रक्षा करना है. विश्व के आदिवासी लोगों का अंतर्राष्ट्रीय दिवस पहली बार दिसंबर 1994 में संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) द्वारा घोषित किया गया था. 1982 में ये मानव अधिकारों के संवर्धन और संरक्षण पर उप-आयोग के स्वदेशी आबादी पर संयुक्त राष्ट्र कार्य समूह की पहली बैठक का दिन था. यह दिन बहुत महत्व रखता है क्योंकि यह पर्यावरण संरक्षण जैसे विश्व मुद्दों में सुधार के लिए आदिवासी लोगों की उपलब्धियों और योगदान को मान्यता देता है. यूनेस्को के आंकड़ों के अनुसार, आदिवासी लोग दुनिया के सभी क्षेत्रों में रहते हैं और वैश्विक भूमि क्षेत्र के लगभग 22% हिस्से पर कब्जा करते हैं. दुनिया भर में कम से कम 370-500 मिलियन आदिवासी लोग 7,000 भाषाओं और 5,000 विभिन्न संस्कृतियों के साथ, दुनिया की सांस्कृतिक विविधता के अधिक महत्वपूर्ण हिस्से का प्रतिनिधित्व करते हैं.
विश्व आदिवासी दिवस का इतिहास
दिसंबर 1992 में, UNGA ने 1993 को विश्व के स्वदेशी लोगों का अंतर्राष्ट्रीय वर्ष बनाने का संकल्प अपनाया. 23 दिसंबर 1994 को, UNGA ने अपने प्रस्ताव 49/214 में निर्णय लिया कि विश्व के आदिवासी लोगों का अंतर्राष्ट्रीय दशक के दौरान हर साल 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस मनाया जाएगा. यह तारीख 1982 में मानव अधिकारों के संवर्धन और संरक्षण पर उप-आयोग के स्वदेशी आबादी पर संयुक्त राष्ट्र कार्य समूह की पहली बैठक के दिन को चिह्नित करती है. ऐतिहासिक रिकॉर्ड के अनुसार, यह बताया गया कि 2016 में, लगभग 2,680 ट्राइबल भाषाएं खतरे में थीं और विलुप्त होने की कगार पर थीं. इसलिए, संयुक्त राष्ट्र ने इन भाषाओं के बारे में लोगों को समझाने और जागरूकता फैलाने के लिए 2019 को आदिवासी भाषाओं का अंतर्राष्ट्रीय वर्ष नामित किया है.
ज्ञान का जश्न मनाने का एक अवसर
विश्व के आदिवासी लोगों के अंतर्राष्ट्रीय दिवस पर, दुनिया भर के लोगों को इन लोगों के अधिकारों की सुरक्षा और संवर्धन पर संयुक्त राष्ट्र के संदेश को फैलाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है. हर साल 9 अगस्त को मनाया जाने वाला विश्व के आदिवासी लोगों का अंतर्राष्ट्रीय दिवस इन समुदायों और उनके ज्ञान का जश्न मनाने का एक अवसर है. इस दिन लोगों को ट्राइबल लोगों और उनकी भाषाओं के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. दुनिया के मूल निवासियों के अधिकारों का उल्लंघन एक लगातार समस्या बन गई है, इसलिए, यह दिन लोगों के लिए उनके मुद्दों को समझने का एक अवसर है.
क्या है इस साल का थीम
यह दिन आदिवासी लोगों को वैश्विक मंच पर अपने दृष्टिकोण और चिंताओं को साझा करने का अवसर प्रदान करता है. इसका उद्देश्य सरकारों, गैर-सरकारी संगठनों और आम जनता के बीच आदिवासी मुद्दों की बेहतर समझ को बढ़ावा देना भी है. पिछले कुछ वर्षों में, आदिवासी अधिकारों और कल्याण के विशिष्ट पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करने के लिए विभिन्न विषयों को चुना गया है. संयुक्त राष्ट ने विश्व आदिवासी दिवस 2023 के थीम को आदिवासी युवाओं पर फोकस किया है. यूएन द्वारा दिये गये एक अपडेट के अनुसार, इस साल के विश्व आदिवासी दिवस का थीम है – आत्मनिर्णय के लिए परिवर्तन के प्रेरक के रूप में आदिवासी युवा. आज के आदिवासी युवा अपने आत्मनिर्णय के अधिकार का प्रयोग सक्रिय तौर पर कर रहे हैं. आदिवासी संस्कृति और पारंपरिक देशज ज्ञान से आज के आदिवासी युवा सराबोर हैं और पारंपरिक विरासत के वाहक बने हैं. हम जानते हैं कि हमारा भविष्य आज लिए गए निर्णयों पर निर्भर करता है. ऐसे में आदिवसी युवाओं द्वारा जो कार्य आज किए जा रहे हैं, वे मानवता के सामने मौजूद कुछ सबसे गंभीर समस्याओं से उबरने में सबसे असरदार प्रेरक के तौर पर काम कर रहे हैं.
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