Wright Brothers Day 2022: आज से 119 साल पहले 17 दिसंबर 1903 के दिन राइट बंधुओं ऑरविल और विलबर ने उत्तरी कैरोलिना में राइट फ्लायर नामक विमान से सफल उड़ान भरी थी. विमान 120 फीट की ऊंचाई पर 12 सेकेंड तक उड़ा. इस उड़ान ने उनकी वर्षों की मेहनत को वसूल कर दिखाया था. इसके बाद ही आसमान में विमानों का उड़ना संभव हो पाया था. राइट ब्रदर्स का पूरा नाम ऑरविल राइट और विल्बर राइट था. इन्होंने ही दुनिया को विमानन युग आने की राह दिखाई थी.
दिसंबर 1903 की उस बेहद ठंडी सुबह अमेरिका के राइट बंधुओं ने तय किया कि वे नॉथ कैरोलिना के किल डेविल हिल्स में बारी-बारी से विमान उड़ाएंगे. दोनों भाई- विलबर और ऑरविल राइट सालों से इसकी तैयारी में जुटे थे. आसपास के लोगों और यहां तक कि घरवाले के मजाक उड़ाने के बाद भी वे तैयारियां करते रहे. आखिरकार 17 दिसंबर को विमान उड़ाया गया. ये शुरुआत थी. दोनों भाइयों की इसी जिद ने पूरी दुनिया को हवाई जहाज का तोहफा दिया.
विलबर और ऑरविल तब क्रमशः 11 और 7 साल के थे, जब उनके पिता बच्चों के लिए उड़ने वाला खिलौना लेकर घर आए. कागज, रबर की रिंग्स और बांस से बना ये खिलौना भाइयों को इतना पसंद आया कि वे खुद भी उसकी सवारी करने की सोचने लगे. तभी से दोनों स्कूल से बचे वक्त में लुक-छिपकर हवाई जहाज बनाने की कोशिश करने लगे.
ओहयो की एक साइकिल दुकान में पीछे की ओर बैठकर दोनों भाई विमान के पुर्जे बनाने की कोशिश किया करते. एक के बाद एक कई मॉडल्स बनाए गए लेकिन कोई भी कामयाब नहीं रहा. उसी दौरान यूरोप और अमेरिका में भी कई सारे समूह हवाई जहाज बनाने की कोशिश कर रहे थे, हालांकि धरती के गुरुत्वाकर्षण के कारण हर मॉडल फेल हो रहा था.
बार-बार नाकामयाबी मिलने के दौरान विलबर ने अपने एक इंजीनियर दोस्त ऑक्टेव केन्यूट को पत्र लिखा, जिसमें वे कहते हैं- कुछ सालों से मुझे ऐसा लग रहा है कि इंसान भी उड़ सकते हैं. मेरी ये बीमारी हर दिन के साथ बढ़ती जा रही है और मुझे लगता है कि जल्द ही ये मेरी जिंदगी नहीं लेकिन मेरे सारे पैसे ले लेगी. इसके बाद ऑक्टेव से उन्हें मदद भी मिली.
सालों बाद पतंगनुमा एक चीज में 25 हॉर्सपावर का इंजन लगाकर उन्होंने एक मॉडल बनाया जो उड़ता था. इसी के आधार पर प्रयोग को आगे बढ़ाया गया और आखिरकार उन्हें कामयाबी मिली.
हवाई जहाज में एक ही व्यक्ति के बैठने की क्षमता थी. पहली उड़ान छोटे भाई ऑरविल ने भरी. ये उड़ान महज 12 सेकंड चली और जहाज की धरती से ऊंचाई थी 120 फीट. तीन और बार ये क्रम दोहराया गया. आखिरकार उसी ठंडी शाम को बड़े भाई ने चौथी उड़ान भरी. तब विमान की धरती से 852 फीट ऊपर था और वो एक मिनट तक हवा में रहा. इसी दिन दोनों भाई दुनिया के पहले विमान चालक बन गए.
यूएम आर्मी ने दोनों भाइयों की इस तकनीक में काफी संभावना देखी. उन्होंने भाइयों से संपर्क किया और उनसे करार किया. साल 1908 में ये करार किया गया जिसके तहत दोनों भाई आर्मी के लिए ये डिजाइन बनाने में जुट गए. आखिरकार 1909 में पहला मिलिट्री फ्लायर सामने आया. उससे बाद से वायुयान बनाने में ढेर सारे बदलाव होते रहे लेकिन मूल सिद्धांत वही रहा जो दशकों पहले दो भाइयों का था.