बेहतर हाइजीन से दूर रहेगा एबीयू इन्फेक्शन

आमतौर पर पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को कई तरह की शारीरिक समस्याओं को झेलना पड़ता है. कई बीमारियां तो बिना किसी लक्षण के शरीर को अपना घर बना लेती हैं और धीरे-धीरे यह बीमारी शरीर के दूसरे अंगों को भी प्रभावित करने लगती हैं. महिलाओं को होनेवाला यूरिनरी इन्फेक्शन भी शामिल है, जो एसिम्प्टोमैटिक बैक्टीरियूरिया […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 20, 2017 1:05 PM

आमतौर पर पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को कई तरह की शारीरिक समस्याओं को झेलना पड़ता है. कई बीमारियां तो बिना किसी लक्षण के शरीर को अपना घर बना लेती हैं और धीरे-धीरे यह बीमारी शरीर के दूसरे अंगों को भी प्रभावित करने लगती हैं. महिलाओं को होनेवाला यूरिनरी इन्फेक्शन भी शामिल है, जो एसिम्प्टोमैटिक बैक्टीरियूरिया (एबीयू) नामक बैक्टीरिया से होता है.

अध्ययनों से साबित हो चुका है कि एक स्वस्थ व्यक्ति में एसिम्प्टोमैटिक बैक्टीरियूरिया बैक्टीरिया जहां 100 सीएफयू प्रति एमएल पाया जाता है. वहीं, संक्रमित महिला के यूरिन में इसका अनुपात एक लाख से भी अधिक हो जाता है. ये बैक्टीरिया अंदर-ही-अंदर पीड़िता के शरीर में यूरिनरी इन्फेक्शन फैलाते रहते हैं, लेकिन बाहरी तौर पर कोई लक्षण नहीं होने के कारण इसका पता शुरुआत में नहीं लग पाता है. यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन(यूटीआइ) से पीड़ित महिलाओं को यूरिन के समय जलन और खुजली होना, दर्द होना, यूरिन से बदबू आना या रंग में बदलाव, पेट या कमर दर्द होना जैसे लक्षण सामने आते हैं, लेकिन एबीयू में ऐसा कुछ नहीं होता. इन्फेक्शन का पता तभी चलता है, जब किसी बीमारी के इलाज के लिए यूरिन कल्चर का टेस्ट कराया जाये.

क्यों होता है एबीयू इन्फेक्शन : महिलाओं में पुरुषों के मुकाबले एबीयू यूरिनरी इन्फेक्शन अधिक होता है. इसका मूल कारण मूत्र मार्ग (यूरेथरा) का काफी छोटा होना और ब्लैडर तक जानेवाली यूरेटर नली का योनी (वजाइना) के ज्यादा करीब होना है. संभोग के दौरान अगर इस तरह का कोई इन्फेक्शन पुरुष को होता है, तो महिला भी इससे प्रभावित हो सकती है. गर्भावस्था में हार्मोन्स में हुए बदलाव के कारण यूरिन में एसिड या शर्करा की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे यह इन्फेक्शन बढ़ जाता है. दो से ज्यादा बच्चे होने पर महिलाओं का यूट्रस और यूरिनरी ब्लैडर अपनी जगह से थोड़ा नीचे आ जाता है. इससे उनमें एबीयू यूरिनरी इन्फेक्शन होने का खतरा बढ़ जाता है. इसके अलावा जो महिलाएं कम पानी पीती हैं (रोजाना 8-10 गिलास से कम) उन्हें भी एबीयू यूरिनरी इन्फेक्शन हो सकता है, क्योंकि शरीर के टाॅक्सिन पदार्थों को बाहर करने में पानी अहम भूमिका निभाता है. जिन महिलाओं को टीबी, यूरिनरी ब्लैडर का कार्सिनोमा कैंसर, डायबिटीज, किडनी में पथरी जैसी बीमारियां हों, उन्हें भी एबीयू इन्फेक्शन होने की संभावना बढ़ जाती है.

मेनोपाॅज के समय भी महिलाएं इस इन्फेक्शन की चपेट में आती हैं. इस अवस्था में उनके अंडाशय में अंडे बनना बंद हो जाते हैं, जिससे पीरियड्स आना बंद हो जाते हैं. एस्ट्रोजन हार्मोन्स की कमी होने से हमारी इम्यूनिटी भी प्रभावित होती है. इससेे वजाइनल डिस्चार्ज में भी कमी आ जाती है, यूरेथरा सिकुड़ जाता है और यूरेटर नली में सूखने लगती है, जिससे एसिम्प्टोमैटिक बैक्टीरियूरिया से होनेवाला इन्फेक्शन की संभावना बढ़ जाती है.

क्या है खतरा : समय पर इलाज न होने से इन्फेक्शन गर्भवती महिला और उसके बच्चे के लिए खतरनाक हो सकता है. इससे प्री-मेच्योर बेबी हो सकता है. कई बार यूट्रस की थैली फूट जाती है, जिससे बच्चे को सुरक्षित रखने और विकास में सहायक एम्यूनोटिक फ्ल्यूड बाहर आ सकता है और गर्भपात भी हो सकता है. ध्यान न दिये जाने पर यह इन्फेक्शन ब्लैडर से यूरेटर नली और किडनी को नुकसान पहुंचा सकता है. किडनी में स्टोन की शिकायत होने पर यूरिन उल्टा फ्लो करने लगता है. जिससे यूरिन किडनी में जाकर जमने लगता है और गांठ या अल्सर का रूप ले लेता है. इन्फेक्शन बढ़ने पर किडनी डैमेज हो सकता है.

बातचीत : रजनी अरोड़ा

डॉ सोनिया कटारिया

स्त्री रोग विशेषज्ञ, कस्तूरबा हॉस्पिटल, नयी दिल्ली

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