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रेयर सर्जरी: दो शिशुओं का हुआ लिवर ट्रांसप्लांट

बच्चों में लिवर ट्रांसप्लांट की रेयर सर्जरी करने में डॉक्टरों को कामयाबी मिली है. एक बच्चा आठ महीने का और दूसरा 21 महीने का. फोर्टिस अस्पताल के लिवर ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ अजिताभ श्रीवास्तव ने बताया कि 6 महीने के अजारिया के जांच में पता चला कि उसे जन्म से बाइलियरी एट्रिशिया विद सिस्टिक मैल्फोर्मेशन ऑफ […]

बच्चों में लिवर ट्रांसप्लांट की रेयर सर्जरी करने में डॉक्टरों को कामयाबी मिली है. एक बच्चा आठ महीने का और दूसरा 21 महीने का. फोर्टिस अस्पताल के लिवर ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ अजिताभ श्रीवास्तव ने बताया कि 6 महीने के अजारिया के जांच में पता चला कि उसे जन्म से बाइलियरी एट्रिशिया विद सिस्टिक मैल्फोर्मेशन ऑफ बाइलियरी ट्रैक्ट की बीमारी थी. इसमें लिवर का बाइल डक्ट सही तरीके से विकसित नहीं होता, जिससे लिवर से बाइल बाहर नहीं आ पाता.

इससे लिवर का ब्लड सप्लाइ खासतौर पर पोर्टल वेन (नस) ब्लॉक हो जाता है व 75 प्रतिशत ब्लड की सप्लाइ होती है, जो बच्चे में नहीं हो पा रही थी. उसका वजन छह किलो था, लेकिन इसमें 2 किलो वजन लिवर का हो गया था. 8 घंटे की सर्जरी में डॉक्टर ने बच्चे के पिता से 25 प्रतिशत लिवर लेकर ट्रांसप्लांट किया. अब बच्चा नॉर्मल है और जिंदगी आराम से जी सकता है. दूसरी सर्जरी इराक के 21 माह के बख्तियार की हुई.

डॉ श्रीवास्तव के मुताबिक वह बाइलियरी एट्रेशिया से पीड़ित था, लेकिन पिता का ब्लड ग्रुप मैच नहीं हो रहा था. तब एबीओ इनकंपैटिबल ट्रांसप्लांट किया गया. इस प्रक्रिया में बॉडी नये अंग को रिजेक्ट न कर दे, इसलिए सर्जरी से पहले इंटेंसिव प्रोसिजर के जरिये एंटीबॉडीज निकाली, गयी फिर सर्जरी कर बच्चे की जान बचा ली गयी. छोटे बच्चों में लिवर ट्रांसप्लांट की सफलता बहुत अच्छी है. 50% केसेज में बच्चों में लिवर खराब होने की वजह बाइलियरी एट्रेशिया है.

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