संपन्न परिवार में नाजो से पली पूजा माता-पिता की इकलौती पुत्री थी. माता-पिता ने उच्च शिक्षा के साथ अच्छे संस्कार भी दिये, ताकि ब्याह पश्चात् नये परिवेश में तारतम्य बिठाने में उसे कठिनाई न हो. आधुनिक परिवेश में पली-बढ़ी पूजा पर माता-पिता ने कभी अनावश्य बंदिशें नहीं थोपीं. पूजा का विवाह संयुक्त परिवार में हुआ, ससुराल में सास-ससुर के अलावा दो छोटी ननदें भी थीं. सौभाग्य से पति शिक्षित, मॉडर्न जमाने के थे, किंतु सास-ससुर चुस्त रूढ़िवादी. उनके अनुसार आदर्श बहू के लिए साड़ी पहनना ही उचित है, क्योंकि उनकी मान्यता थी कि साड़ी एक मर्यादित पोशाक है.
बाहर जाकर जॉब करना उनके विचारों के विरूद्ध था. परिवार में सुख-शांति बरकरार रखने के लिए पूजा ने हर परिस्थितियों से समझौता कर लिया. बिना किसी गिले-शिकवे के सारे घर की जिम्मेदारियां पूजा ने बखूबी संभाल ली. कभी किसी को शिकायत का मौका न देने के लिए वह हमेशा प्रयासरत रहती. जब भी वह अपनी सहेलियों की उपलब्धियों और तरक्की के बारे में सुनती, उसके मन के किसी कोने में टीस उठती. वह जान रही थी, उसके सभी सहपाठी बदलते समय के अनुसार अपने को परिवर्तित कर आधुनिक हो गये है और वह सबसे पिछड़ती जा रही थी. शायद यही जिंदगी की पेचीदगियां हैं, यह सोच कर वह अपने को संतुष्ट कर लेती.