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मेनोपॉज के बाद दिल का एेसे रखें ख्याल

डॉ रागिनी ज्योति बीएचएमएस, सीजीओ, आदर्श होमियो क्लीनिक, राजीव नगर, पटना अमेरिका के यूनिवर्सिटी ऑफ पिट्सबर्ग ग्रेजुएट स्कूल ऑफ पब्लिक में हुए रिसर्च में कहा गया है कि प्राय: मेनोपॉज के बाद महिलाओं का वजन बढ़ जाता है, जो उनके लिए अच्छी बात नहीं है. महिलाओं में एस्ट्रोजन नुकसानदायक कोलेस्ट्रॉल की मात्रा कम और अच्छे […]

डॉ रागिनी ज्योति

बीएचएमएस, सीजीओ, आदर्श होमियो क्लीनिक, राजीव नगर, पटना

अमेरिका के यूनिवर्सिटी ऑफ पिट्सबर्ग ग्रेजुएट स्कूल ऑफ पब्लिक में हुए रिसर्च में कहा गया है कि प्राय: मेनोपॉज के बाद महिलाओं का वजन बढ़ जाता है, जो उनके लिए अच्छी बात नहीं है. महिलाओं में एस्ट्रोजन नुकसानदायक कोलेस्ट्रॉल की मात्रा कम और अच्छे कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को बढ़ाती है. मेनोपॉज के वक्त महिलाओं के अंदर हार्मोन एस्ट्रोजन कम हो जाता है, जिससे अत्यधिक वसा दिल के पास जमने लगती है, जिससे हृदय रोगों का खतरा बढ़ता है. समस्या उनमें ज्यादा होती है, जो शराब, मांस या सिगरेट का सेवन करती हैं.

दरअसल, मासिक धर्म के स्थायी रूप से बंद हो जाने को रजोनिवृत्ति (Menopause) कहते हैं. रजोनिवृत्ति होने पर स्त्री में शारीरिक और मानसिक दोनों बदलाव होते हैं. मेनोपॉज कोई रोग नहीं है, बल्कि यह स्त्री के शरीर की एक सामान्य प्रक्रिया है, जिससे होकर एक उम्र के बाद हर महिला को गुजरना पड़ता है. अधिकतर औरतों में मेनोपॉज 45 वर्ष से 55 वर्ष के बीच में होता है. लेकिन यह 40 वर्ष की आयु में भी हो सकता है और यह भी हो सकता है कि 60 की आयु तक भी आपको मेनोपॉज न हो.

मेनोपॉज एक आम शारीरिक क्रिया है, जिससे एक दिन हर महिला को गुजरना ही पड़ता है. लेकिन अक्सर मेनोपॉज के वक्त काफी दर्द भी होता है.

कुछ लोगों के लिए तो यह एक बुरा सपना ही बन जाता है. लेकिन ताजा रिसर्च में जो कहा गया है, वह और भी भयानक है.

तथ्य : भारत में हृदय रोग से पीड़ित महिलाओं की स्थिति और भी खराब है. दुनिया भर में हृदय रोगों के जितने मामले होते हैं, उनमें से 15 प्रतिशत मामले भारतीय महिलाओं के होते हैं. दुनिया भर में 86 लाख महिलाओं की मौत हृदय संबंधी रोगों से होती है.

इस की चपेट में आनेवाली ज्यादातर महिलाएं 60 वर्ष या उससे अधिक आयु की होती हैं. इस आयु में आकर धमनियों में खून के थक्के यानी कोलेस्ट्रोल का जमाव होता है, जिससे धमनियों के बंद हो जाने के कारण उचित रक्त का संचार नहीं हो पाता और छाती में दर्द और हार्ट अटैक की संभावना बढ़ जाती है.

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उनकी बढ़ी हुई धड़कन की वजह से परेशानी साफ महसूस हो रही थी. उनका वजन भी काफी बढ़ा हुआ था. ये सभी लक्षण रजोनिवृति के बाद के हैं और इस उम्र की अधिकतर महिलाओं में ये लक्षण देखने को मिलते हैं.उनकी स्थिति के अनुसार कुछ होम्योपैथी दवाएं लगातार तीन महीने तक सेवन करने की मैंने सलाह दी. इससे काफी हद तक उनमें सुधार आया.

जीवनशैली में लाएं बदलाव

व्यायाम करें : दिल को स्वस्थ रखने के लिए नियमित व्यायाम की जरूरत है. इसके लिए एरोबिक एक्सरसाइज, जैसे- टहलना, जॉगिंग, साइक्लिंग आदि हृदय के लिए फायदेमंद है. एक हफ्ते में 4 से 6 बार कार्डियो कसरत करना अच्छा रहता है.

मोटापा कम करें : मोटापा कई बीमारियों का कारण हो सकता है. वजन बढ़ने से रक्तचाप व कोलेस्ट्रोल की समस्या हो सकती है. डायबिटीज भी हो सकता है, जिससे शरीर में इंसुलिन भोजन को ऊर्जा में बदलने में मदद नहीं करता है. टाइप-2 डायबिटीज से हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है.

धूम्रपान न करें : धूम्रपान करनेवाली महिलाओं में हार्ट अटैक की संभावना धूम्रपान न करनेवाली महिला से दोगुना अधिक होती है, क्योंकि सिगरेट में मौजूद टॉक्सीन धमनियों को सीधा प्रभावित करती है.

इससे धमनियों में रक्त संचार के लिए बाधाएं पैदा हो जाती हैं. धूम्रपान से खून की नलियां चिपचिपी हो जाती हैं, जिससे रक्त संचार में अधिक कठिनाई के कारण स्ट्रोक की संभावना बनी रहती है. मेनोपॉज के बाद ECG, कोलेस्ट्रॉल और रक्तचाप का जांच नियमित कराएं, जिससे आप हृदय रोग के खतरों से बच सकती हैं.

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