भाभी ने परिवार पर दहेज का केस कर दिया

मेरे बाबा के भाई ने अपनी सारी जमीन बड़े चाचा के नाम लिख दी थी. कहा था कि सभी भाई आपस में बांट लेना. चाचा की डेथ हो चुकी है. अब चाची हमलोगों को जमीन नहीं देना चाहती. क्या उस जमीन पर हमलोगों का कोई अधिकार नहीं है? surbhijha1111@gmail.com आप नजदीक के किसी अच्छे अधिवक्ता […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 9, 2017 12:52 PM
मेरे बाबा के भाई ने अपनी सारी जमीन बड़े चाचा के नाम लिख दी थी. कहा था कि सभी भाई आपस में बांट लेना. चाचा की डेथ हो चुकी है. अब चाची हमलोगों को जमीन नहीं देना चाहती. क्या उस जमीन पर हमलोगों का कोई अधिकार नहीं है?
surbhijha1111@gmail.com
आप नजदीक के किसी अच्छे अधिवक्ता से सलाह-मशविरा करके स्थानीय सिविल कोर्ट में इस संबंध में टाइटल सूट फाइल करें.
हमलोगों ने एक माह पहले होटल में वेटर के तौर पर काम किया था, पर अब कॉन्ट्रैक्टर हमें हमारे पैसे नहीं दे रहा. हम क्या करें?
shridhersingh@gmail.com
आप अपने क्षेत्र के लेबर कोर्ट में लेबर सुप्रिटेंडेंट के समक्ष इस संबंध में लिखित शिकायत दर्ज करें, जिसमें पूरी बातों का विस्तारपूर्वक वर्णन शामिल हो.
मेरी भाभी मेरे पेरेंट्स से अलग रहना चाहती है. मना करने पर हर बार थाने जाकर दहेज संबंधी शिकायत दायर करवा देती है, जिससे हमें काफी परेशानी हो रही है. हम क्या करें?
jalendra40@gmail.com
इस संबंध में आपकी मां सिविल कोर्ट में मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के समक्ष सारी बातों की विस्तारपूर्वक लिखित जानकारी देते हुए ‘घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम-2005’ के तहत आवेदन दायर कर सकती हैं. इस आवेदन के आलोक में कोर्ट आपकी भाभी को इस बारे में पूछताछ के लिए बुला सकती है. साथ ही उन्हें आपकी मां के साथ हिंसा करने से रोक सकती है.
मैंने वर्ष 2011 में झारखंड हाइकोर्ट में एक केस फाइल किया था, जो कि अब तक पेंडिंग पड़ा है. वकील से पूछने पर वह कहता है कि वह हाईकोर्ट में नंबर लगाता है, पर कोर्ट से तारीख नहीं मिल पाती. केस की जल्दी सुनवाई करवाने के लिए कोई उपाय बताएं.
satyamjsr1979@gmail.com
आपने अपने मुकदमे का प्रकार नहीं बताया है. वैसे कोर्ट के मामलों में अकसर देरी होती है. इस बारे में आपके वकील ही आपको बेहतर बता सकते हैं. आप चाहे तो कोर्ट से जल्दी सुनवाई के लिए निवेदन कर सकते हैं, लेकिन इस विषय में अंतिम निर्णय का स्वविवेकाधिकार अंतत: कोर्ट का ही होगा.
श्रुति सिंह
एडवोकेट, पटना हाइकोर्ट

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