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कम स्तनपान दर वाले देशों में ब्रिटेन शामिल

प्रोत्साहन की कमी से स्तनपान नहीं कराती महिलाएं ब्रिटेन की लाखों माताएं सहयोगी की कमी के कारण बच्चों को स्तनपान नहीं करातीं. इसकी वजह से यह देश सबसे कम स्तनपान वाले देशों में शामिल हो गया है.ब्रिटेन में हुए वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (डब्लूएचओ) के सर्वे में पता चला है कि यहां लाखों माताएं अपने साथी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 10, 2017 1:31 PM
प्रोत्साहन की कमी से स्तनपान नहीं कराती महिलाएं
ब्रिटेन की लाखों माताएं सहयोगी की कमी के कारण बच्चों को स्तनपान नहीं करातीं. इसकी वजह से यह देश सबसे कम स्तनपान वाले देशों में शामिल हो गया है.ब्रिटेन में हुए वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (डब्लूएचओ) के सर्वे में पता चला है कि यहां लाखों माताएं अपने साथी का सहयोग व प्रोत्साहन न मिलने के कारण बच्चों को स्तनपान नहीं कराती हैं. इसलिए ब्रिटेन सबसे कम स्तनपान करानेवाले देशों में शामिल हो गया है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन की सिफारिश है कि शिशुओं को विशेष रूप से जन्म के पहले छह महीनों के लिए स्तनपान करना आवश्यक है. कम से कम दो वर्ष की उम्र तक पूरक भोजन के रूप में स्तनपान करना चाहिए. स्तनपान से बच्चों में होनेवाले संक्रमण की दर में कमी होती है.
यह बच्चों को मोटापा और मधुमेह से भी बचाता है. स्तनपान करानेवाली माओं को स्तनकैंसर होने के चांसेज कम होते हैं. ब्रिटेन में स्तनपान का दर दुनिया में सबसे कम है. यहां 200 महिलाओं में से एक अपने बच्चों को साल भर तक स्तनपान कराती हैं. डब्लूएचओ और ब्रिटेन के स्वास्थ्य विभाग(एनएचएस) महिलाओं के सहयोगियों को सलाह देता है कि महिलाओं को स्तनपान कराने के लिए प्रेरित करें. लेकिन एक नये अध्ययन से पता चला है कि सहकर्मी महिलाओं को स्तनपान कराने का समर्थन नहीं करते हैं.
कार्डिफ के सामाजिक वैज्ञानिक डॉ एमी ग्रांट ने बताया कि शोध से जो पता चला है वह राष्ट्रीय मार्गदर्शन के विपरीत है. ब्रिटेन में स्तनपान का दर दिन पर दिन गिरता जा रहा है. क्योंकि महिला के सहयोगी और सहकर्मी उन्हें इसके लिए प्रेरित नहीं करते. यह शोध ब्रिटेन में 117 स्थानों पर 696 महिलाओं व बच्चों पर किया गया. जिसका प्रकाशन जर्नल मेटर्नल एण्ड चाइल्ड न्यूट्रीशन में किया गया. इस शोध के परिणाम बताते हैं कि स्तनपान के समर्थक केवल 56 प्रतिशत एनएचएस क्षेत्रों में हैं.
यॉर्कशायर और उत्तर-पूर्व लंदन का में स्तनपान करानेवालों की संख्या काफी कम है. शोध के अनुसार उन क्षेत्रों में जहां गरीब माताएं रहती हैं उन्होंने जागरूकता की कमी से अपने बच्चों को स्तनपान कराना जारी नहीं रखा. उन्होंने ने बताया कि यह उनकी प्रथमिकता नहीं थी. सर्वे में शामिल उत्तरदाताओं में से एक चौथाई ने कहा उन्होंने अपने आसपास में स्तनपान की जरूरत के बारे में महिलाओं को समझाया, लेकिन इसके बावजूद भी गरीब सामाजिक पृष्ठभूमि की माताओं ने स्तनपान कराने का समर्थन नहीं किया.
80 प्रतिशत माताएं जल्द रोक देती हैं स्तनपान
सर्वेक्षण में शामिल कई लोगों ने बताया कि इस बारे में जागरूकता नहीं फैलायी गयी. इसलिए लोगों का ध्यान इस ओर गया ही नहीं. लोग स्तनपान के गुणों से अनभिज्ञ हैं. इसलिए वे इसके लिए महिलाओं को प्रेरित नहीं करते.
एनसीटी के पैरेंट्स सर्विस की निदेशक जूलियट माउंटफोर्ड ने कहा कि ट्रस्ट ने एक वर्ष में 300 लोगों को स्तनपान की जागरूकता फैलाने के लिए नियुक्त किया. लेकिन, हालिया शोध के परिणामों से वे निराश हैं. अनुसंधान से पता चलता है कि शुरुआती दिनों में ही 80 प्रतिशत मां स्तनपान कराना बंद कर देती हैं. इन माताओं का कहना था कि उन्हें यह सार्वजनिक रूप से करना अच्छा नहीं लगता और लोगों का नजरिया भी इस ओर सकारात्मक नहीं है.

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